यह बिल्कुल सच है कि हुनर उम्र की मोहताज होती नहीं है और होनी भी नहीं चाहिए, कुछ ऐसा ही हुनर अभिनेत्री छाया कदम ने दिखाया है, जो अभिनय में देर से आयीं, लेकिन लगातार अपने किरदारों से हैरान रहीं। कान फिल्मोत्सव पुरस्कृत फिल्म से लेकर लापता लेडीज’ में उन्होंने यादगार किरदार निभाया है। आइए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से इस वीडियो के माध्यम से।
अचानक मिला अभिनय का रास्ता
यह बिल्कुल सच है कि हुनर उम्र की मोहताज होती नहीं है और होनी भी नहीं चाहिए, कुछ ऐसा ही हुनर अभिनेत्री छाया कदम ने दिखाया है, जो अभिनय में देर से तो आयीं, लेकिन अपने किरदारों से लगातार सफलता के रेड कार्पेट पर वॉक रही हैं। कान फिल्मोत्सव पुरस्कृत फिल्म से लेकर लापता लेडीज’ में उन्होंने यादगार किरदार निभाया है।
कबड्डी खेलने में माहिर
अभिनेत्री छाया कदम बचपन में कबड्डी खेलने में माहिर थीं। छाया बताती हैं कि पढ़ाई में वह थोड़ी कमजोर थीं, वह कहती हैं मैं आठवीं क्लास में थीं, जब उन्हें कबड्डी में दिलचस्पी जगी। उस वक़्त उपनगर की टीम में मेरा सेलेक्शन हुआ। शुरू से खेलने में ही मजा आने लगता था। स्टेट लेवल पर खेला, फिर कॉलेज से भी खेला, लेकिन कॉलेज में एक कोई कॉम्पटीशन था, उस वक्त पैरों में चोट लग गई थी, क्योंकि प्रैक्टिस बहुत करती थी, वह काफी बढ़ गया दर्द और कुछ साल बाद, ऑपरेशन करना पड़ा और फिर उसके बाद कम हो गया, क्योंकि दो ऑपरेशन हो गया। फिर खेलना बंद हो गया।
फिर एक बड़ा सदमा लगा
छाया बताती हैं कि उनके परिवार के दो अहम सदस्य, उनके पापा और भाई को उन्होंने खोया, उस वक्त उन्हें जीवन में कठिनाई आ गई थी, लेकिन फिर कुछ समय के बाद अचानक अभिनय की तरफ रुख किया, ताकि अकेलेपन को दूर कर सकूं।
जीवन के खास लोग
छाया मानती हैं कि जब वह इस बात को लेकर कन्फ्यूज थीं कि आगे जीवन में क्या होना है, क्या करना है, ऐसे में कुछ लोग आते हैं, जो आपको बैठ कर सिखाते नहीं हैं, लेकिन बहुत खास चीजें सिखाते हैं, जैसे मेरे लाइफ में नागराज आये, रवि जादव आये, सचिन, शशांक शिंदे और किशोर कदम जैसे लोग आये, जिनसे मैंने काफी कुछ सीख लिया।
लापता लेडीज यानी खुशियों का ठिकाना
लापता लेडीज को अपने करियर का बड़ा नाम मानती हैं छाया, वह कहती हैं लापता लेडीज को मैं मानती हूं कि सिर्फ इस साल के लिए नहीं, मेरे लिए पूरी जिंदगी भर के लिए वो कैरेक्टर बन चुका है, मंजू माई के कैरेक्टर में काफी रिलेट करती हूं, क्योंकि उससे कई लोगों ने रिलेट किया, सबको लगता है कि मंजू माई जीवन में होनी ही चाहिए, जब मेरे पास ये कैरेक्टर आया, लेकिन मैंने जब इस पर काम करना शुरू किया, तो काम करते हुए ही कॉन्फिडेंस बढ़ गया कि मंजू माई ने सिखाया कि लाइफ में किसी के सामने झुकना नहीं है, डरना नहीं है, तो ऐसे कैरेक्टर जब आ जाते हैं, तो खुद ब खुद आपके लिए बेस्ट बन जाते हैं।
टैक्सी ड्राइवर से भी मिली सराहना
छाया बताती हैं कि उनके लिए आम लोगों से लोकप्रियता मिलना और सराहना ज्यादा मायने रखता है, वह एक दिलचस्प बात बताती हैं कि हाल ही में उन्होंने एक कैब बुक किया, तो उन्हें कैब में एक बुके रखा हुआ मिला, उन्हें आश्चर्य हुआ, तो कब ड्राइवर ने बताया कि यह उनके लिए ही है, कैब ड्राइवर ने कहा ‘हो ताई, तुमचा साठी आहे’ उस वक्त छाया को बेहद अच्छा लगा। उस कैब वाले को पता था कि कोई विदेश में उन्हें अवार्ड मिला है। छाया कहती हैं कि कान फिल्म महोत्सव में आपकी ओरिजिनल और इर्द-गिर्द पर फिल्माई गई कहानी को लोग तवज्जो देते हैं, इसलिए उनकी फिल्म को सम्मान हासिल किया और इसलिए कॉन्टेंट को बेस्ट करना बेहद जरूरी है। छाया कहती हैं कि कई बार वह किरदारों को कई बार हां कॉन्टेंट की वजह से ही हां कहती हैं।
फिल्मोग्राफी
छाया कदम की लोकप्रिय फिल्मों की बात करें तो लापता लेडीज, झुंड, फैंड्री, बाईमानुस, अंधाधुन, गंगूबाई काठियावाड़ी, कान फिल्मोत्सव में पुरस्कृत फिल्म ऑल वी सर्च ऐज लाइट हैं, इनके अलावा अगर उनके नाटकों की बात करें तो उनका पहला नाटक 2006 में झुलवा था। उनकी फिल्म मि सिंधुताई सपकाल और बाबू बैंड बाजा जैसी मराठी फिल्मों ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीते।