टेलीविजन के इतिहास में जो स्थान दूरदर्शन का है, वही स्थान दूरदर्शन के माध्यम से जन-जन के मन में अपनी खास जगह बनानेवाले लोगों का भी है। हालांकि इसमें पहला नाम आता है 5 मिनट की न्यूज पढ़कर जन-जन के दिलों में बसी प्रतिमा पुरी का। आइए जानते हैं प्रतिमा पुरी से जुड़ीं कुछ खास बातें।
प्रतिमा पुरी ने रचा इतिहास
आज जहां 24 घंटे न्यूज चैनलों के माध्यम से लगातार टेलीविजन पर चल रही खबरों के साथ दर्शकों को पल-पल की खबरें देने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं एक दौर वो भी था जब 5 मिनट में पूरे देश-दुनिया की खबरें बता दी जाती थी। वो दौर था दूरदर्शन की खबरों का, जिसे सुनने के लिए लोग अपने टीवी सेट के सामने जम जाया करते थे। ये वो दौर था, जब टेलीविजन देखना भी एक उत्सव हुआ करता था। उसी दौर में पहली बार प्रतिमा पुरी ने सादगी और शालीनता के साथ अपनी मीठी आवाज में दूरदर्शन पर 5 मिनट की खबर के साथ इतिहास रच दिया था। हालांकि उस वक्त शायद खुद प्रतिमा पुरी भी ये बात नहीं जानती थीं कि दूरदर्शन की पहली समाचार वाचिका के तौर पर उनका नाम हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो चुका है।
न्यूज रीडर से न्यूज एंकर बनने का सफर
हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक गोरखा परिवार में पैदा हुईं प्रतिमा पुरी का असली नाम विद्या रावत था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से ग्रेज्यूएशन किया था, जो सिर्फ लड़कियों के लिए था। अपनी मोहक आवाज के साथ प्रतिमा पुरी ने 1958 में अपने गृहनगर हिमाचल प्रदेश के ऑल इंडिया रेडियो केंद्र से अपने करियर की शुरुआत की थी। हालांकि 15 सितंबर 1959 को जब ऑल इण्डिया रेडियो का पहला प्रसारण शुरू हुआ था, तब प्रतिमा को न्यूज रीडर के तौर पर नई दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया था। लगभग 9 साल ऑल इंडिया रेडियो में रेडियो सेट के पीछे से अपनी आवाज अपने श्रोताओं को परोसती प्रतिमा को एक और मौका मिला, जब 1965 में दूरदर्शन ने अपना पहला समाचार बुलेटिन शुरू किया। दूरदर्शन द्वारा दिए गए इस एक मौके ने प्रतिमा पुरी को न्यूज रीडर से एक न्यूज एंकर बना दिया था। अब वे अपने श्रोताओं के सामने थी, जो उनके दर्शक बन चुके थे।
अपनी सरलता से जीता दर्शकों का दिल
अपनी सौम्य छवि, सरल रूप, मधुर आवाज और आकर्षक अदायगी से प्रतिमा पुरी ने बहुत कम समय में अपने काफी दर्शक बना लिए थे। हालांकि ये वो दौर था, जब रेडियो और दूरदर्शन से जुड़े न्यूज एंकर का स्थान किसी अभिनेता या अभिनेत्रियों से कम नहीं होता था। उस दौर में प्रतिमा पुरी एक प्रतिष्ठित हस्ती बन गई थीं। अपने करियर के दौरान उन्होंने कई बुलंदियां देखी, जिनमें न्यूज रीडिंग के साथ उस समय के प्रसिद्ध हस्तियों से मुलाकातें भी शामिल थी। गौरतलब है कि प्रसिद्ध हस्तियों के अलावा प्रतिमा पुरी ने अंतरिक्ष में जानेवाले पहले मानव यूरी गागरिन का इंटरव्यू भी लिया था। दरअसल, उस दौर में न्यूज एंकर के लिए युवाओं से अधिक परिपक्व लोगों को मौदे दिए जाते थे और प्रतिमा पुरी इस लिहाज से पूरी तरह फिट बैठती थीं।
दूरदर्शन का उल्लेखनीय सफर
गौरतलब है कि 15 सितंबर 1959 को एक छोटे से ट्रांसमीटर और एक अस्थायी स्टूडियो के साथ अपना प्रसारण शुरू करनेवाले दूरदर्शन के पास आज की तारीख में 64 दूरदर्शन केंद्र, 24 क्षेत्रीय समाचार केंद्र, 126 दूरदर्शन रखरखाव केंद्र, 202 हाई पावर ट्रांसमीटर, 828 लो पावर ट्रांसमीटर, 18 ट्रांसपोंडर और 30 चैनलों के साथ डीटीएच सेवाएं भी हैं। यही वजह है कि इतने बड़े पैमाने पर प्रसारण के क्षेत्र में लगे दूरदर्शन का स्थान आज पूरे विश्व में दूसरा है। इसमें दो राय नहीं कि यहां तक पहुंचने में दूरदर्शन ने काफी लंबा सफर तय किया है। 1947 में देश को आजादी मिली थी और देश अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश में लगा था। उसी दौरान देश ने अपने प्रसारण का सपना संजो लिया था। आखिरकार 1959 में दिल्ली में अपने प्रायोगिक प्रसारण के साथ भारत में दूरदर्शन की नींव पड़ी और अपना एक अलग चैनल का सपना देखनेवालों की उम्मीदें हकीकत में बदल गई थीं। 1965 में दिल्ली और उसके बाद1972 में मुंबई के साथ इसका विस्तार अमृतसर तक हुआ। हालांकि 1975 तक यह सुविधा सिर्फ 7 शहरों में शुरू हुई थी, लेकिन 1982 में राष्ट्रीय प्रसारण के साथ रंगीन दूरदर्शन का उदय हुआ और इसका परिचय पूरे देश से हो गया।
दूरदर्शन से प्रतिमा पुरी का जुड़ाव
1958 से लेकर 1970 तक प्रतिमा पहले ऑल इंडिया रेडियो, फिर दूरदर्शन से जुड़ी रहीं। हालांकि 1967 में जब सलमा सुलतान, दूरदर्शन से जुड़ीं तो प्रतिमा पुरी ने अपनी भूमिका उन्हें दे दी और खुद दूरदर्शन में आ रहे नए न्यूज रीडर्स को न्यूज रीडिंग के गुर सिखाने लगीं। ये वो दौर था, जब पूरा देश दूरदर्शन के आकर्षण से बंधा हुआ था और युवा दूरदर्शन से जुड़ने का सपना देखा करते थे। गौरतलब है कि दूरदर्शन के शुरुआती दिनों में 5 मिनट के न्यूज बुलेटिन में प्रतिमा पुरी के साथ गोपाल कौल दूरदर्शन का नियमित चेहरा हुआ करते थे। उसके बाद सलमा सुलतान, गीतांजलि अय्यर, निति रवीन्द्रन और रिनी साइमन दूरदर्शन के प्रतिष्ठित और सुप्रसिद्ध चेहरे बन गए। आखिरकार 12 वर्षों तक ऑल इंडिया रेडियो के साथ दूरदर्शन को अपनी सेवाएं देनेवाली प्रतिमा पुरी ने 1970 में स्वेच्छा अवकाश ले लिया और दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहने लगी थी। खबरों की मानें तो देश-दुनिया की खबरें लोगों तक पहुंचानेवाली प्रतिमा पुरी बिना किसी को खबर किए 29 जुलाई 2007 को इस दुनिया को अलविदा कहा।
lead story credit : @Prasar9.rssing.com