एक दौर में महिलाएं पढ़ाई के नाम पर सिर्फ अपना नाम लिखना भी सीख लें, तो बड़ी बात मानी जाती थी। ऐसे में एक दौर में सोच कर देखें कि जब पहली बार किसी महिला ने स्नातक की डिग्री हासिल की होगी, तो वह मंजर क्या रहा होगा, तो आइए हम जानते हैं एक ऐसी ही महिला कादंबिनी गांगुली के बारे में, जो अपने आप में एक मिसाल बनीं।
जन्म और परिवेश
कादंबिनी गांगुली का जन्म बिहार के भागलपुर( तब कोलकाता का हिस्सा था) में हुआ था। इन्हें भारत की पहली महिला स्नातक माना गया। साथ ही उन्हें भारतीय कांग्रेस अधिवेशन में सबसे पहले भाषण देने वाली महिला का गौरव प्राप्त है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कादम्बिनी गांगुली वह महिला मिसाल हैं, जो पहली दक्षिण एशियाई महिला मानी जाती हैं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था।
कई उपलब्धियां
Image courtsey : rishihood university
कादम्बिनी गांगुली के नाम और भी उपलब्धियां शामिल हैं, जैसे कि वह उन महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए जम कर काम किया। वह महान बुद्धिजीवी माने जाने वाले बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय से काफी प्रभावित थीं और उन्हें अपनी प्रेरणा मानती थीं। उनके पिता ने हमेशा ही पढ़ाई को प्राथमिकता दी। इस वजह से वर्ष 1882 में कोलकाता विश्वविद्यालय से उन्होंने बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। यही नहीं, चिकित्सा शास्त्र में भी डिग्री हासिल करने वाली वह प्रथम महिला रहीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ कभी भी समझौता नहीं किया था, उन्होंने विदेश से आगे की पढ़ाई की, जी हां, वह ग्लासगो और ऐडिनबर्ग विश्वविद्यालयों में गयीं और फिर वहां जाकर उन्होंने चिकित्सा में सर्वोच्च डिग्रियां हासिल किन। यह भारत के लिए बड़े ही सम्मान की बात है कि उन्हें भारत की पहली महिला डॉक्टर के रूप में जाना जाने का सम्मान 19वीं सदी में हासिल हो गया था।
अन्य गतिविधियां
कादम्बिनी गांगुली के बारे में आपको जानकारी दे दें कि उन्होंने वर्ष 1889 में मद्रास( अब चेन्नई) अधिवेशन में भाग लिया था और उन्हें वहां देने का भी मौका दिया गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उस वक्त इस खास स्थान में भाषण देने वालीं कादम्बिनी पहली महिला थीं। उन्होंने कोलकाता कांग्रेस के अवसर पर आयोजित महिला सम्मेलन की अध्यक्षता भी की थी। गौरतलब है कि जब गांधीजी उस वक्त अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध 'सत्याग्रह आंदोलन' का नेतृत्व कर रहे थे, उस वक्त उन्होंने भारत में रह कर इस आंदोलन के लिए राशि जुटाई थी। साथ ही उन्होंने कोलकाता में गांधी जी आये, तो उनके सम्मान में आयोजित सभा की अध्यक्षता भी की। कादम्बिनी गांगुली, राजनैतिक रूप से बहुत अधिक गतिविधियों का हिस्सा रहती थीं।
महत्वपूर्ण योगदान
कादम्बिनी गांगुली ने खुद को किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं किया था। उन्होंने रुढ़िवादी समाज की भी कड़ी आलोचना की थी। साथ ही महिलाओं के लिए कई अधिकारों की मांग की और इसके लिए आवाज उठाई थी। शर्मनाक बात है कि ऐसी महिला, जिन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए बहुत कुछ किया, उन पर लोगों ने कई तरह से फब्तियां कसी थी।