हमारी संस्कृति हमारी सबसे बड़ी धरोहर है। इस संस्कृति की पहचान उन सारी ऐतिहासिक इमारत और भवनों में बसी हुई है, जिसकी अनदेखी कहीं न कहीं होती आयी है। ‘इंडियन हेरिटेज सोसायटी’ मुंबई की अध्यक्ष अनिता गरवारे कई सालों से अपनी देखरेख में मुंबई की धरोहर को सुरक्षित करने का जिम्मा उठाती आ रही हैं। अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने संस्कृति और निर्मित विरासत के बारे में जागरूकता लाने और इसे भावी पीढ़ियों तक आगे ले जाने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। आइए विस्तार से जानते हैं अनिता गरवारे से इंडियन हेरिटेज सोसायटी और उसके कार्यों के बारे में।
बाणगंगा फेस्टिवल की शुरुआत
अनिता गरवारे हेरिटेज को लेकर अपनी दिलचस्पी के संबंध में कहती हैं कि जब मैंने साल 1990 में सुना कि बाणगंगा टैंक भर रहे थे। उस वक्त मुंबई में पहले पांच टैंक थे, उसमें से चार भर गए थे और सिर्फ एक टैंक था, जो बरसात के पानी से नहीं भरा था, बल्कि नीचे से पानी आ रहा है। इसलिए मैंने इसे लेकर काम शुरू किया। मैंने कहा कि इस धरोहर को सुरक्षित करना चाहिए, क्योंकि किसी को नहीं पता था कि बाणगंगा टैंक कहां और उसे लेकर जागरूकता नहीं थी। उसका क्या महत्व है, इसे लेकर सभी लोग अनजान थे। ऐसे में मैंने बाणगंगा के आस-पास हुई खराबी और बिजली की समस्या पर भी लोगों का ध्यान केंद्रित किया।
ऐसे हुई धरोहर को सुरक्षित करने की शुरुआत
अनिता आगे कहती हैं कि इसके बाद मैंने इसे लेकर काम शुरू किया और उस समय के म्युनिसिपल कमिश्नर के साथ मिलकर एक कमेटी बनाई गई। सबसे पहले बाणगंगा की खराबी खत्म की गई और फिर लोगों के बीच जागरूकता लाने के लिए साल 1992 बाणगंगा महोत्सव की शुरुआत की गई। जहां पर अभिनेत्री हेमा मालिनी के क्लासिकल नृत्य के साथ संगीत का आयोजन किया गया। यह 2 दिन का फेस्टिवल था। हर साल हम इस उत्सव को करने की सफल कोशिश करते हैं। नियमों के कारण हम बाणगंगा में इस उत्सव का आयोजन नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन हम मुंबई में किसी न किसी जगह पर मुंबई संस्कृति के नाम से फेस्टिवल का आयोजन करते आ रहे हैं।
भारतीय धरोहर की अनदेखी
अनिता इस बात को मानती हैं कि भारतीय धरोहर को अनदेखा किया जा रहा है। उनका कहना है कि हम लोग अपनी धरोहर को अनदेखा कर रहे हैं। उसके रख-रखाव से लेकर उसको लेकर जागरूकता फैलाने तक में। ऐसे में मुंबई की जो जनसंख्या है, उन्हें विरासत की तवज्जो नहीं मिल रही है। ऐसे कई जगह हैं, जिन्हें तोड़कर नए घर बनाए जा रहे हैं। सो, यही वजह है कि धरोहर की गरिमा को बनाए रखने के लिए, हम हर बार किसी न किसी तरह के उत्सव का आयोजन करते हैं, जिसे लेकर किसी से कोई फीस नहीं ली जाती है। साथ ही साथ हम संगीत और नृत्य प्रेमियों को भी बाकायदा बुलाते हैं। दरअसल, हमारा लक्ष्य भी केवल एकमात्र यही है कि धरोहर को लेकर जागरूकता बढ़े और हर समाज और हर आयु के लोग इस तरह के त्योहार का हिस्सा बनें और भारतीय परंपरा और संस्कृति से लोग अधिक से अधिक जुड़ें।
मुंबई के इतिहास से अनजान
अनिता यह भी मानती हैं कि कहीं न कहीं धरोहर की अहमियत को लोग समझ पा रहे हैं। लेकिन वर्ष 1992 से शुरुआत किये गए फेस्टिवल के माध्यम से धरोहर के महत्व को समझ पा रहे हैं। हमारी उपलब्धि है कि अब बाहरी देशों में भी भारत की धरोहर की लोकप्रियता बढ़ी है। इंटरनेशनल टीवी से लेकर कोरियन चैनल पर भी हेरिटेज फेस्टिवल को दिखाया जा रहा है। यह बताया जा रहा है कि कैसे मुंबई अपनी धरोहर की पहचान को लेकर आगे बढ़ रही है। मुंबई के इतिहास की जानकारी के बारे में उनका कहना है कि सबसे पहले तो किसी को मुंबई का इतिहास ही नहीं पता है। इसलिए बेहद जरूरी है कि सबसे पहले लोगों के बीच कॉलेज और स्कूल में मुंबई और भारत के इतिहास को लेकर पढ़ाया जाना चाहिए। इस संबंध में जानकारी देनी चाहिए, ताकि इतिहास के जरिए लोग धरोहर की कीमत को समझ पाएं। उसकी कद्र कर पाएं।