मोटा अनाज हमारे किचन का हिस्सा हमेशा से रहा है। लेकिन इसकी अहमियत को तब हमारे जीवन में अच्छे से जगह मिली, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया। मोटा अनाज यानी कि मिलेट। मिलेट में ज्वार, बाजरा, रागी, बैरी, कंगनी, जौ आदि शामिल है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि कई सारी ऐसी महिलाएं हैं, जो कि मिलेट की क्वीन बन चुकी हैं। मिलेट्स को रक्षा करने और उनकी महिमा का बखान करने के लिए इन महिलाओं का सम्मान विश्व स्तर पर हो चुका है। आइए मिलते हैं मिलेट क्वीन की इस फेहरिस्त में शामिल महिलाओं से।
रायमती घुरिया
ओडिशा की आदिवासी किसान रायमती घुरिया को मिलेट क्वीन के नाम से पुकारा जाता है। इसके पीछे की वजह यह है कि उन्होंने धान की 72 पारंपरिक किस्मों को मिलेट्स की तकरीबन 30 किस्मों से संरक्षित किया गया है। उल्लेखनीय है कि रायमती घुरिया बचपन से ही मिलेट्स के संरक्षण को लेकर कार्य किया करती थीं। उनका कहना है कि उन्होंने बचपन से ही मिलेट्स का संरक्षण करना और उसे उगाना सीखा है। मिलेट्स को लेकर उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी है कि उन्होंने गांव की महिलाओं को इसके लिए ट्रेनिंग देना भी शुरू किया है। जान लें कि वर्तमान में उन्होंने लगभग 2,500 किसानों को मिलेट्स की खेती करने का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। उनके इस जज्बे को दिल्ली में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन में भी सम्मानित किया गया।
लहरी बाई
मध्य प्रदेश के आदिवासी जिला डिंडोरी की निवासी लहरी बाई हैं। मिलेट्स को लेकर उन्होंने ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसकी तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए की है। पीएम मोदी के तारीफ के पीछे की वजह यह है कि लहरी बाई ने बेवर बीज बैंक को तैयार किया है। उल्लेखनीय है कि यह बीज बैंक उन्होंने खुद के आर्थिक बल पर तैयार किया है। उन्होंने इसके लिए सरकार से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं ली। उनकी इस काबिलियत को देखते हुए डिंडोरी के कलेक्टर ने उन्हें जिले का ब्रांड एम्बेसडर भी घोषित कर दिया है। वह बताती हैं कि बचपन से ही उनके घर में बेवर की खेती होती है। वहां से उन्हें बेवर की खेती और बीज से जुड़ा ज्ञान मिला है। लहरी बाई के घर में मिट्टी के कमरे हैं। इसी एक कमरे में 150 से अधिक वैरायटी के बीज मौजूद हैं। जान लें कि मिट्टी के कमरे में बीज सुरक्षित रहते हैं। लहरी के पास कई सारी प्रजाति के बीज मौजूद हैं।
हर्षिता प्रियदर्शनी
महज 12 साल की उम्र में हर्षिता ने मिलेट्स के 60 हजार से अधिक दुर्लभ किस्में तैयार की हैं। बता दें कि हर्षिता ने अपने घर पर एक फूड ग्रेड और बीज बैंक स्थापित किया है। साथ ही उन्होंने धान की 150 के अधिक दुर्लभ किस्में तैयार की हैं। इतना ही नहीं हर्षिता ने अपना साइंस क्लब भी शुरू किया है। इसमें उन्होंने किसानों को भी शामिल किया है, जो कि खेती के लिए दुर्लभ बीज को मुफ्त में उपलब्ध कराती हैं। उन्हें इसकी प्रेरणा कमला पुजारी अभियान से मिली हैं। उन्होंने इस अभियान के बारे में पढ़ा था। दिलचस्प है कि महज 12 साल की उम्र में हर्षिता बीजों के महत्व को समझती हैं।
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