भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ न सिर्फ अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं, बल्कि आईएमएफ (इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड) की पहली महिला डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं, जिन्होंने लॉकडाउन के दौर से गुजर रही दुनिया को मंदी से बाहर निकलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी खास बातें।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
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8 दिसंबर 1971 को कोलकाता में जन्मीं भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ, मूल रूप से केरल के मलयाली हिंदू परिवार से हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई कर्नाटक में मैसूर के निर्मला कॉन्वेंट स्कूल से हुई है। स्कूली पढ़ाई के बाद गीता गोपीनाथ ने मैसूर में ही महाराजा पीयू कॉलेज से साइंस की पढ़ाई की और फिर इंजीनियरिंग या मेडिकल फिल्ड में जाने की बजाय दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में बीए ऑनर्स किया। उसके बाद दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से इकोनॉमिक्स विषय में एमए करने के बाद वे वाशिंगटन चली गईं और वहां के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया। गौरतलब है कि स्कूली दिनों में गीता गोपीनाथ एक एवरेज स्टूडेंट हुआ करती थी, जिनके 45% से अधिक मार्क्स नहीं आते थे।
बतौर इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ की नीतियां
आईएमएफ के फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर चुनी गईं गीता गोपीनाथ ने वर्ष 2021 में जियोफ्रे ओकामोटो की जगह ली थी। विश्व के नामी इकोनॉमिस्ट में गिनी जानेवाली गीता गोपीनाथ इंटरनेशनल फाइनेंस और मैक्रोइकोनॉमिक्स से रिलेटेड रिसर्च वर्क के लिए जाना जाता है। विशेष रूप से कोरोना काल में जब सारी दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही थी, तब उन्होंने अपनी नीतियों से न सिर्फ सारी दुनिया को चकित किया, बल्कि कोरोना को कंट्रोल करने के लिए पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन गोल अचिव करने की प्लानिंग भी बनाई। यह उन्हीं की दूरदृष्टि सोच थी, जिससे आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, डब्ल्यूटीओ और डब्ल्यूएचओ ने मिलकर न सिर्फ मल्टी लेटरल टास्क फोर्स बनाया, बल्कि वैक्सीन प्रोडक्शन से लेकर वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन तक की सारी प्रॉब्लम्स दूर की।
करियर और पर्सनल लाइफ
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वर्ष 2019 से 2022 के बीच इन तीन वर्षों तक आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट रहीं गीता गोपीनाथ को वर्ष 2021 में डिप्टी मैनेजिंग डाइरेक्टर का पदभार सौंपा गया था। हालांकि आईएमएफ में शामिल होने से पहले वर्ष 2005 से 2022 तक वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की जॉन ज्वानस्ट्रा प्रोफेसर थीं। हालांकि इससे पहले वर्ष 2001 से 2005 तक वे शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकी हैं। इसके साथ ही वे केरल के चीफ मिनिस्टर की एडवाइजर और नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च में इंटरनेशनल फाइनैंस और मैक्रोइकोनॉमिक्स प्रोग्राम की को-डायरेक्टर भी रह चुकी हैं। हालांकि आईएमएफ की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डाइरेक्टर का पदभार संभालने के बाद अब गीता गोपीनाथ वापस प्रोफेसर के तौर पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी लौट चुकी हैं। अमेरिका की नागरिक बन चुकी गीता गोपीनाथ ने अपने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के सहपाठी इक़बाल सिंह धारीवाल से विवाह रचाया है और उनका एक 23 वर्षीय बेटा है, रोहिल सिंह धारीवाल।
सम्मान और पुरस्कार
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वर्ष 2014 में गीता गोपीनाथ को आईएमएफ ने जहां 45 वर्ष से कम उम्र की 25 हाइएस्ट इकोनॉमिस्ट में से एक चुना था, वहीं वर्ष 2011 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने उन्हें यंग ग्लोबल लीडर के तौर पर चुना था। यही नहीं वर्ष 2018 में गीता गोपीनाथ को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के साथ इकोनॉमिक सोसाइटी का फेलो चुना गया था। वर्ष 2019 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हाथों प्रवासी भारतीय सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2021 में उन्हें फाइनेंशियल टाइम्स ने वर्ष की 25 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में भी शामिल किया था। इसके अलावा इंटरनेशनल इकोनॉमिक एसोसिएशन ने उन्हें जहां शुम्पीटर-हैबरलर प्रतिष्ठित फेलो के रूप में नामित किया, वहीं एसोसिएशन ऑफ एग्रीकल्चरल एंड अप्लाइड इकोनॉमिक्स ने उन्हें जॉन केनेथ गैलब्रेरथ अवार्ड से सम्मानित किया। सिर्फ यही नहीं टाइम पत्रिका ने अपने एडिशन में उन्हें शक्तिशाली महिला के तौर पर दर्शाया, जो मुश्किलों को तोड़कर पहली बार आईएमएफ की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनी थीं।
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