गुजरात के एक छोटे से गांव नागला की रहनेवाली 66 वर्षीय नवलबेन पिछले 7 वर्षों से उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं, जो निरक्षर होने के बावजूद कुछ कर गुजरना चाहती हैं। आइए जानते हैं अपने घर से ही डेयरी बिजनेस की शुरुआत कर सालाना करोड़ों रूपये कमा रहीं नवलबेन दलसंगभाई चौधरी के बारे में।
मिथ है बिजनेस के लिए यूनिवर्सिटी डिग्री
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वर्ष 2020 में जब कोविड के दौरान वर्किंग क्लास के लिए सर्वाइव करना मुश्किल था, उस दौरान अपने डेयरी बिजनेस से करोड़ों कमाकर न सिर्फ 66 वर्षीय नवलबेन ने नई शुरुआत की, बल्कि कई अन्य महिलाओं को प्रेरित भी किया। उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि किसी भी बिजनेस को खड़ा करने या समझने के लिए जरूरी नहीं कि आपके पास नामी बिजनेस यूनिवर्सिटीज की डिग्री हो। गौरतलब है कि मात्र 15 वर्ष की आयु में जब नवलबेन की शादी दलसंगभाई चौधरी से हुई थी, तब उनके ससुराल में 15 गाय-भैंसे थी, जिनकी संख्या आज 150 के करीब हो चुकी है। दिन-रात अपने पशुओं की सेवा में लगी रहनेवाली नवलबेन बचपन से ही डेयरी के कामों में लगी हुई हैं, लेकिन इसे बिजनेस के रूप में खड़ा करने का आइडिया उन्हें उनके बेटों ने दिया।
अपनी उड़ान के साथ, अन्य महिलाओं को भी दिए पंख
चार बेटों की मां नवलबेन दलसंगभाई चौधरी ने अपने डेयरी के अनुभवों को बिजनेस में तब डाला, जब सारी दुनिया में कोविड के कारण कोहराम मचा हुआ था। एमए बीएड कर शहरों में नौकरी कर रहे उनके बेटे उस दौरान उनके पास ही थे और उन्होंने भी अपनी मां के कामों में हाथ बंटाने का फैसला किया। मात्र 5 लोगों से शुरू हुआ यह बिजनेस आज 20 लोगों की मदद से फल-फूल रहा है। नवलबेन के इस प्रयास से गांव की महिलाओं को न सिर्फ रोजगार मिला है, बल्कि एक नई दिशा भी मिली है। हालांकि डेयरी बिजनेस शुरू करने से पहले नवलबेन स्थानीय लोगों तक दूध, दही, घी और मक्खन की आपूर्ति करती थीं, लेकिन हमेशा से बिजनेस वूमन बनने की चाह में नवलबेन ने वर्ष 2019 में 60 वर्ष की उम्र में अपना बिजनेस शुरू किया, जो आम तौर पर रिटायरमेंट एज मानी जाती है।
करोड़ों कमाकर रचा इतिहास, बनीं चर्चा का विषय
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गुजरात के बनासकांठा जिले में नागला गांव की रहनेवाली नवलबेन दलसंगभाई चौधरी ने अपने डेयरी बिजनेस की शुरुआत 80 भैंसों और 45 गायों से शुरू की थी, जिनकी संख्या अब 150 के करीब पहुंच गई है। डेयरी के कामों को बेहद करीब से देखनेवाली नवलबेन के लिए इसे बिजनेस के रूप में खड़ा करना बिल्कुल आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और वर्ष 2019 में करीब 90 लाख का दूध बेचकर पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गईं। हालांकि अपना रिकॉर्ड स्वयं तोड़ते हुए उन्होंने अगले वर्ष 2020 में लगभग 1 करोड़ 10 लाख का दूध बेचकर इतिहास रच दिया। हर रोज लगभग हजार लीटर दूध बेचनेवाली नवलबेन दलसंगभाई चौधरी के ग्राहकों में विशेष रूप से गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन कंपनी की बनास डेयरी प्रमुख है, जो हर रोज उनसे 750 लीटर दूध खरीदती है और फिर उसे शहरों में बेचती है।
‘आत्मनिर्भर भारत’ का हिस्सा बनकर हैं बेहद खुश
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अपने डेयरी बिजनेस की बदौलत प्रतिदिन 30 हजार कमानेवाली नवलबेन दलसंगभाई चौधरी को उनके बिजनेस स्किल के लिए दो बार ‘पशुपालक’ पुरस्कार और तीन बार ‘लक्ष्मी’ पुरस्कार दिया जा चुका है। अपनी उपलब्धि से गौरवान्वित नवलबेन दलसंगभाई चौधरी इस बात से बेहद खुश हैं कि वे ‘आत्मनिर्भर भारत’ का हिस्सा बनकर अपनी तरह कई और महिलाओं की मदद कर रही हैं। हालांकि उनकी देखा-देखी अन्य गांवों में भी कई महिलाओं ने डेयरी बिजनेस की शुरुआत कर दी है, लेकिन इनमें आज भी पहले नंबर पर नवलबेन दलसंगभाई चौधरी का ही नाम है।
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