इंडियन नेशनल कार रेसिंग 2024 के जरिए पुरुष-प्रधान मोटरस्पोर्ट चैंपियनशिप जीतकर डायना पुंडोले ने न सिर्फ 18 अगस्त 2024 को इतिहास रच दिया है, बल्कि महिला रेसरों के लिए एक प्रेरणा भी बन चुकी हैं। आइए जानते हैं डायना पुंडोले से जुड़ी कुछ खास बातें।
रेसर के साथ टीचर भी और मां भी
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अपनी फैमिली लाइफ के साथ प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बिठाती डायना पुंडोले फिलहाल चर्चा का विषय बन चुकी हैं, क्योंकि अपनी सारी चुनौतियों को अंगूठा दिखाती डायना पुंडोले ने हाल ही में चेन्नई में आयोजित इंडियन नेशनल कार रेसिंग चैंपियनशिप 2024 जीतकर इतिहास रच दिया है। गौरतलब है कि पुरुषों का वर्चस्व रखने वाली इस चैंपियनशिप में अपनी मजबूत दावेदारी के साथ इसे जीतनेवाली यह पहली महिला हैं। गौरतलब है कि डायना पेशे से टीचर होने के साथ दो बच्चों की मां भी हैं और इंडियन नेशनल कार रेसिंग 2024 के अलावा पॉर्श 911 जीटी 3 कप, फेरारी 488 चैलेंज, बीएमडब्लू एम2 कॉन्टेस्ट और रेनॉल्ट क्लियो कप सहित कई हाई प्रोफाइल चैंपियनशिप का हिस्सा रह चुकी हैं। सिर्फ यही नहीं इंडियन टूरिंग कार्स में उन्हें पहली और एकमात्र महिला रेसर होने का गौरव भी प्राप्त है।
नेशनल टैलेंट हंट ने सींचा टैलेंट
रैली रेसिंग से अपने करियर की शुरुआत करनेवाली डायना पुंडोले का रेसिंग के प्रति आकर्षण तब बढ़ा, जब वह आठ साल पहले वर्ष 2016 में कोयंबटूर में आयोजित कार रेसिंग चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए एक नेशनल टैलेंट हंट में गई थी। यहां हजारों की तादाद में आई महिलाओं में से चुनी गई 200 महिलाओं में से एक थीं। इस टैलेंट हंट कॉम्पटीशन के दौरान वे कई कठोर परीक्षणों से गुजरीं। इसी दौरान कई चुनौतियों का सामना करते हुए, अपने दृढ़ संकल्प से उन्होंने न सिर्फ टॉप 6 में अपनी जगह बनाई, बल्कि रेसिंग के प्रति अपने जुनून को भी पहचाना।
जन्मदिन पर दिया खुद को चैंपियनशिप का तोहफा
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पूरे देश को अपनी कामयाबी से चकित कर चुकी 28 वर्षीय डायना पुंडोले के प्रशंसकों को शायद ही यह बात पता हो कि जिस दौरान वे ये चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रचने की कोशिशों में लगी थीं, उस दौरान उनका जन्मदिन था। हालांकि इस दौरान उनके कोच ने न सिर्फ उन्हें उनके फोन से, बल्कि उनके चाहनेवालों से भी दूर रखा था, जिससे उनका ध्यान न भटके। मछली की आंख को निशाना बनाने जा रहीं डायना के लिए वो लम्हा वाकई काफी मुश्किलों भरा था, लेकिन जैसे ही वह इस चैंपियनशिप को जीतकर एक चैंपियन बनकर उभरीं, तो उन्हें बधाई देनेवालों का तांता लग गया। फोन मिलते ही उन्होंने देखा उनका मैसज बॉक्स उनके दोस्त, परिवार और शुभचिंतकों के प्यार से सराबोर संदेशों से भरा पड़ा है। हालांकि जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ इनमें कई संदेश उनके चैंपियनशिप जीतने के लिए भी थे।
बच्चे हैं मजबूत समर्थक
गौरतलब है कि एक ऐसे गेम का हिस्सा बनना, जिसमें सिर्फ पुरुषों का वर्चस्व रहा हो और फिर उसे जीतना डायना के लिए बिल्कुल आसान नहीं था। बच्चों के साथ अपना घर-परिवार संभालती डायना को कई बार इस गेम के लिए लोगों के ताने भी सुनने पड़े। इसके अलावा कई ऐसे मौके भी आए जब उनके टैलेंट पर लोगों ने संदेह किया, लेकिन उन्होंने अपना हौंसला कभी नहीं गंवाया। उम्मीद का दामन थामे वे अपनी डगर चलती रहीं और पर्सनल लाइफ के साथ प्रोफेशनल लाइफ में एक संतुलन बिठाए रखा। कई बार उन्हें बच्चों से दूर टूर्नामेंट में भी काफी वक्त बिताना पड़ा, लेकिन उनके बच्चों ने बिना किसी शिकायत के हमेशा उनका हौंसला बढ़ाया। यही वजह है कि आज अपनी कामयाबी पर डायना अपने बच्चों को अपना मजबूत समर्थक मानती हैं।
रेसिंग की नींव बचपन में पिता ने डाली
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बचपन में डायना अपने पिता के साथ फॉर्मूला वन रेस देखने जाया करती थीं। इस शुरुआती दौर में उनके मन में रेसिंग को लेकर एक आकर्षण जरूर पैदा हो गया था, लेकिन तभी उन्होंने यह नहीं सोचा था कि वे कभी इसमें अपना करियर बनाएंगी या लोगों को अपने कारनामों से आश्चर्यचकित कर देंगी। यही वजह है कि अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद वे टीचर बन गयीं, लेकिन नियति उन्हें खींचकर वहां ले ही आई, जहां उन्हें इतिहास रचना था। गौरतलब है कि आठ साल पहले कोयंबटूर चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए डायना को उनके भाई ने प्रोत्साहित किया था और उन्होंने भी इसे एक चैलेंज की तरह लिया था।
हर चुनौती को अवसर में बदला
अपनी ड्राइविंग टेक्निक में अच्छे-अच्छों को मात दे रहीं डायना ने अपने शुरुआती दौर से ही काफी चुनौतियों का सामना किया। कभी लोगों की बातों ने उन्हें निशाना बनाया, तो कभी आर्थिक दबाव ने उनके मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया। कई बार ऐसा भी हुआ कि उनके प्रायोजकों ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर आघात किया। हालांकि इन सबमें सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई लैंगिक बाधाओं ने, जो हर कदम पर उनका मखौल उड़ाती रहती थी। लेकिन इन सब चुनौतियों से जूझते हुए डायना पुंडोले ने न सिर्फ नेशनल चैंपियनशिप का खिताब जीता, बल्कि भारतीय कार रेसिंग में महिलाओं के लिए एक खास जगह भी बनायीं।