रुढ़िवादी सोच या मानसिकता को तोड़ते हुए इन दिनों कई महिलाएं ऐसी हैं, जो कि सफलता की ऊंची उड़ान पार कर रही हैं। इसी फेहरिस्त में एक और नाम शामिल होने जा रहा है अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला बस कंडक्टर तुंगब रीबा का। अपनी सोच और उपलब्धियों से तुंगब रीबा ने यह साबित कर दिखाया है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। अपने हौसले से उन्होंने कई युवा लड़कियों को जीवन में सतत आगे बढ़ने का हौसला दिया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
अरुणाचल प्रदेश की तुंगम रीबा ने डिग्री प्राप्त करने के बाद भी खुद के लिए ऐसी राह का चयन किया, जो कि कई सारी मुश्किलों से भरी हुई थी। उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स से अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए पारंपरिक करियरों को चुनने के फैसले को दरकिनार किया। उन्होंने अपने शहर पासीघाट में अरुणाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में बस कंडक्टर पद के लिए आवेदन किया और अपने भविष्य का चयन किया। इसी के साथ अरुणाचल प्रदेश में ऐसा करने वाली पहली महिला बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया।
अपने इस बड़े फैसले के कारण तुंगम रीबा को कई लोगों से तारीफ मिली। लोगों का कहना है कि लैंगिक बाधाओं को तोड़ते हुए रीबा ने अपनी उपलब्धियों से इतिहास रच दिया है। उनका यह फैसला कई महिलाओं को हौसला देगा और साथ ही तुंगम रीबा कई महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बनेंगी। जाहिर-सी बात है कि तुंगम रीबा ने जिस तरह का लचीलापन और धैर्य दिखाया है, उनके इस साहसी कदम की तारीफ होनी चाहिए। यह माना जा रहा है कि कंडक्टर बनने की कठिन राह को चुनकर उन्होंने यह बता दिया है कि महिलाएं बहादुरी और दृढ़ता का प्रतीक हैं। रीबा ने अपने हौसले से साबित कर दिया है कि सामाजिक बाधाओं की परवाह किए बिना किसी भी सपने को पूरा करने के साहस और निरंतर प्रयास को साफ तौर पर दर्शता है।