खान-पान में मिठाइयों का काफी महत्व है। मिठाइयों से आपका मुंह मीठा हो, लेकिन कितना अच्छा हो, अगर उनके रंगों पर भी ध्यान दिया जाये, तो हिंदुस्तानी मिठाइयां भी किसी इंद्रधनुष से कम नजर नहीं आती है, तो आइए कुछ रंग-बिरंगी मिठाइयों के बारे में जान लेते हैं।
लड्डू वाला ‘पीला’
लड्डू वाला पीला रंग हर स्वादिष्ट मिठाइयों की थाली में सजी रहती है, है न ! फिर चाहे कोई भी त्यौहार हो, आपको लड्डू नजर आएगा ही, यह स्वादिष्ट तो होता ही है, थाली में बेहद खूबसूरत भी नजर आता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि लड्डू को सबसे पहले ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में बनाया गया था, ऐसी मान्यता है। जब सुश्रुत नाम के एक प्राचीन भारतीय चिकित्सक ने अपने रोगियों को आयुर्वेदिक दवाएं खिलाने के लिए इस मिठाई को एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया था। उस वक्त लड्डू केवल एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में ही देखा जाता था। बाद में मोतीचूर के लड्डू, नारियल के लड्डू, पिंदी के लड्डू, बूंदी के लड्डू और बेसन के लड्डू काफी लोकप्रिय हुए। लड्डू' नाम संस्कृत शब्द 'लड्डुका' से लिया गया है। लड्डू शुद्ध घी में बनाये जाते हैं और बेहद टेस्टी लगते हैं। पीले रंग की अन्य मिठाइयों की बात करें, तो रसमलाई, जलेबी और मैसूर पाक भी खूब चाव से खाई जाती है।
गाजर का हलवा वाला रंग ‘गाजरी’ या ‘केसर’
गाजर का हलवा हमेशा से महत्वपूर्ण मीठे पकवान के रूप में खाया जाता रहा है। ऐसे में अगर गाजर का हलवा की बात करें, तो यह गाजरी या केसर रंग में नजर आने वाली सबसे स्वादिष्ट मीठा पकवान है। इसके इतिहास की बात करें तो यह हमेशा से ठंड के मौसम का राजा माना जाता है, क्योंकि भारत के हर कोने में गाजर काफी मात्रा में इस समय मिलता है। यह हाथों से बनाई गई मिठाइयों में से एक मिठाई है और माना जाता है कि इससे सबसे पहले 13वीं शताब्दी में मध्य-पूर्व में बनाया गया, जब मुहम्मद इब्न अल-हसन इब्न अल-करीम ने हलवा व्यंजनों की गिनती में गाजर का हलवा भी शामिल किया है। इसे चीनी, दूध, ड्राई फ्रूट्स और घी के साथ बनाया जाता है।
पश्चिम बंगाल की शान ‘सफेद’ रसगुल्ला
पश्चिम बंगाल की शान ‘सफेद’ रसगुल्ले को माना जाता है। दूध से निकाले गए छेने के साथ चीनी मिला कर फिर चाशनी में डूबो कर तैयार किये गए रसगुल्ले के बारे में माना गया है कि ओडिशा के इतिहासकारों के अनुसार, रसगुल्ला की उत्पत्ति पुरी में खीरा मोहना के रूप में हुई, जो बाद में पहला रसगुल्ला बन गया। इसे पारंपरिक रूप से पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देवी लक्ष्मी को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। इसे हर त्यौहार और समारोह में बड़े ही शौक से बनाया और खाया जाता है। बिहार और उत्तर प्रदेश की शादियों में रसगुल्ले को खूब पसंद किया जाता है, सफेद रंग की मिठाइयों की बात करें तो मलाई चॉप, काजू कतली और सैंडविच चॉप जैसी मिठाइयां सबसे अधिक लोकप्रिय हैं।
'ब्राउन' रंग की स्वादिष्ट मिठाइयां
अगर ब्राउन यानी भूरे रंग की बात करें तो स्वादिष्ट मिठाइयां ब्राउन रंग में कई सारी बनती हैं, जिनमें अंजीर की बर्फी, खजूर की बर्फी, लड्डू और ऐसी ही कई मिठाइयां आती है, अंजीर और खजूर की बर्फी तो सेहत के लिहाज से भी काफी अच्छे और टेस्टी लगते हैं। चॉकलेट बर्फियां भी काफी टेस्टी लगती हैं।
पिस्ता की ‘ग्रीन’ मिठाई
पिस्ता अपने आप में काफी सेहत से भरपूर ड्राई फ्रूट्स है और लगभग हर मिठाई में इसका इस्तेमाल होता है और पिस्ता से बनी पिस्ता बर्फी भी आपकी सेहत को हरियाली से भर देगी। ग्रीन हलवा भी खाने में काफी स्वादिष्ट लगती है।