पश्चिमी सभ्यता की पहचान रहा इवनिंग गाउन कब फिल्मी रेड कार्पेट के जरिए ग्लैमरस गाउन बना और हमारी पार्टियों के साथ शादियों और फैमिली फंक्शन का स्पेशल ड्रेस बन गया, हमें पता ही नहीं चला। आइए जानते हैं इवनिंग गाउन के साथ बॉल गाउन और वेडिंग गाउन के बारे में।
कब हुई फैशनेबल इवनिंग गाउन की शुरुआत
जैसा कि नाम से ही जाहिर है इवनिंग गाउन, शाम को पहनी जानेवाली एक लंबी पोशाक है, जो यूरोप में आमतौर पर औपचारिक अवसरों पर हाथ के दस्तानों के साथ पहनी जाती रही हैं। ये इवनिंग गाउन शिफॉन, वेलवेट, सैटिन और ऑर्गेंजा कपड़ों से बनाए जाते रहे हैं, लेकिन सिल्क से बने गाउन हमेशा से फैशन में रहे हैं। इवनिंग गाउन पहनने की शुरुआत फैशन के दीवाने यूरोप के शासक फिलिप द गुड के शासनकाल के दौरान बर्गंडियन दरबार में कोर्ट ड्रेस के तौर पर हुई थी। हालांकि उस दौरान इसकी बुनाई ऊन से होती थी, जिसे निम्न वर्ग की महिलाएं पहनती थीं। वहीं शाही महिलाएं महंगे कपड़े और सिल्क से बने इवनिंग गाउन पहना करती थी, जो उनकी सामाजिक स्थिति बयान करती थी। हालांकि 14वीं शताब्दी के आसपास जब रेशम से बुनाई की कला स्थापित हो गई, तब धनी पैट्रिशियन और व्यापारी वर्ग की महिलाएं भी इसे पहनने लगीं।
कोर्ट ड्रेस से इवनिंग गाउन का सफर
16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान शाही जीवन में कला, साहित्य और संगीत के साथ महिलाओं की औपचारिक परिधानों को भी खास तवज्जो दी जाने लगी, क्योंकि भव्य डिनर पार्टी के साथ बॉल डांस और थियेटर प्रस्तुतियां होने लगी, जिन्होंने फैशनेबल महिलाओं को सजने-संवरने का एक खास मौका दिया। यूरोप का फैशन अब इटली के साथ फ्रांस पहुंच चुका था था, जिनमें लंबी ट्रेनवाली ड्रेप्ड स्कर्ट के साथ टाइट टॉप, लेस से सजी कम नेकलाइन और कढ़ाई की हुई लेस और रिबन से सजी फुल स्लीव्स गाउन शामिल हो गई। ये गाउन सैटिन, टैफेट और वेलवेट जैसी समृद्ध कपड़ों से बनाई जाती थी। इसी दौर में इन गाउन और स्कर्ट्स को अतिरिक्त आकार, डिजाइन और सिल्हूट मिला। इस दौरान बॉल और इवनिंग गाउन, पूरी तरह से कोर्ट ड्रेस का पर्याय बन चुकी थी। हालांकि ‘बॉल गाउन और इवनिंग गाउन’ शब्द 18वीं शताब्दी के दौरान अस्तित्व में आया क्योंकि अब डांस, सिर्फ राजघरानों या अभिजात्य वर्ग तक सिमित नहीं रह गया था। हालांकि यह फ्रांसीसी क्रांति का परिणाम था, जिसने उच्च समाज में सभी वर्ग के लोगों को मजबूती से स्थापित किया। गौरतलब है कि दिन में पहने जानेवाले ड्रेसेस की तरह ही इवनिंग गाउन को भी रीजेंसी ड्रेस कहा जाता था, फर्क सिर्फ इतना था कि इवनिंग गाउन में कम नेकलाइन के साथ घेरा ज्यादा, कढ़ाई और शॉर्ट स्लीव्स हुआ करती थी।
19वीं में बदलता गाउन का अंदाज
19वीं सदी के दौरान इवनिंग गाउन्स में जबरदस्त बदलाव आया। इनमें 1830 के दौरान जहां लंबी स्लीव्स आई वहीं 1840 में ऑफ-द-शोल्डर और चौड़े फ्लॉन्सेस का फैशन आया। 1850 में छोटी गर्दन, तो 1860 में कम नेकलाइन और शॉर्ट स्लीव्स चलन में आया। हालांकि 1870 में स्लीव्स और शॉर्ट हुई, तो 1880 में ये स्लीवलेस हो गई और इसे ओपेरा दस्तानों के साथ पहना जाने लगा। 19वीं शताब्दी में ही डिनर, डांस और थियेटर के लिए जहां इवनिंग गाउन चलन में आया, वहीं औपचारिक मामलों में बॉल गाउन का इस्तेमाल होने लगा। एडवर्डियन युग या बेले एपोक के दौरान एस-आकार का गाउन फैशन में था, जिसमें कमर बहुत पतली हुआ करती थी। हालांकि 1920 के दशक में इवनिंग गाउन की हेमलाइन बढ़ गई और 1930 के दशक में एम्पायर कट के साथ मरमेड, ए-लाइन और ट्रम्पेट आकार लोकप्रिय हो गया। हालांकि मोनाको की राजकुमारी ग्रेस केली के इवनिंग गाउन को आज भी याद किया जाता है।
भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बना पश्चिमी सभ्यता का गाउन
वर्तमान समय में इवनिंग गाउन के आकार और लंबाई में काफी फर्क आया है। फुल स्कर्ट बॉल गाउन जहां औपचारिकता का शिखर बना हुआ है, वहीं इवनिंग गाउन को कम औपचारिक फंक्शंस में ब्लैक टाई या सफेद टाई के साथ पहना जाता है। इन फंक्शंस में औपचारिक डिनर पार्टी, ओपेरा, थियेटर, प्रीमियर, डांस और इवनिंग मैरिज सेरेमनी शामिल हैं। समय के साथ गाउन के डिजाइन पैटर्न, कपड़ों और आकार में भी फर्क आया है। अब हर मौकों के लिए अलग-अलग गाउन आने लगे हैं। पश्चिमी सभ्यता में इवनिंग गाउन के साथ बॉल गाउन और वेडिंग गाउन काफी पहले से था, लेकिन अब भारतीय परंपरा में भी गाउन को अपनाकर उसे भारतीय तीज-त्यौहारों और उत्सव-समारोहों के अनुरूप ढ़ाल लिया गया है। सिंपल से फ्लेयर्ड गाउन अब भारतीय परंपरा में रंगकर हैवी कढ़ाई और नगीनों से लैस हो चुके हैं। सिर्फ यही नहीं कई विवाह समारोहों में पारंपरिक साड़ियों और लहंगा-चोली की जगह महिलाएं गाउन को तवज्जो देने लगी हैं।
इवनिंग गाउन और वेडिंग गाउन में अंतर
इवनिंग गाउन पूरी लंबाई या मिड काफ (टखनों) से लेकर एंकल (एड़ी) के नीचे या ऊपर हो सकती हैं, लेकिन वेडिंग गाउन जमीन को छूती हुई ही होती है। इनके रंगों पर यदि हम ध्यान दें तो पश्चिमी संस्कृतियों में वेडिंग गाउन सफेद रंग के होते हैं, वहीं भारतीय संस्कृति में दुल्हनें अक्सर चटख लाल रंग चुनती हैं। स्टाइल की बात करें तो इवनिंग गाउन की कई किस्में हैं, जैसे सेक्विन, कफ्तान, सैटिन, फ्लोरल, फिश-कट और रफल्ड, लेकिन वेडिंग गाउन में घेरदार बॉल गाउन के साथ ए-लाइन ड्रेस ही आते हैं। इसके अलावा इवनिंग गाउन जहां अक्सर सिल्क, ऑर्गेंजा, वेलवेट, सैटिन शिफॉन, जॉर्जेट, नेट या शिमर किसी भी मटेरियल से बन सकते हैं, वहीं वेडिंग गाउन के लिए सिर्फ सिल्क और सैटिन जैसे हैवी मटेरियल ही इस्तेमाल किये जाते हैं।
क्या है बॉल गाउन?
वेडिंग गाउन और इवनिंग गाउन की तरह ही इवनिंग गाउन और बॉल गाउन में भी हल्का-फुल्का फर्क होता है। हालांकि सबसे पहले तो आप ये समझ लें कि बॉल गाउन आम तौर पर परियों की कहानी में पहनी गई राजकुमारियों जैसी होती हैं। ऐतिहासिक रूप से बॉल गाउन, 18वीं शताब्दी की शुरुआत में फॉर्मल डांसिंग के दौरान हाई फैशन और समृद्धि को दर्शाने के लिए पहने जाते थे। स्पेशल बॉल गाउन फिट टॉप के साथ कमर पर उभरी, लंबी स्कर्ट हुआ करती थी, जो जमीन को छूती थी। आम तौर पर इसे सिल्क, सैटिन या ट्यूल जैसे शानदार कपड़ों से बनाए जाते थे और आज भी बनाए जाते हैं। इवनिंग गाउन, परियों की कहानियों में पहने जानेवाले किरदारों की बजाय फिल्मी रेड कार्पेट पर एक्ट्रेसेस द्वारा पहनी जानेवाली ड्रेसेस हैं। इवनिंग गाउन की शुरुआत 15वीं शताब्दी में शाम को होनेवाले फॉर्मल प्रोग्राम्स में पहनने के लिए किया गया था। आम तौर पर लंबे इवनिंग गाउन, बॉल गाउन की तरह भारी नहीं होते। हालांकि इसके साथ पहने जानेवाले शूज और हैट इसे एक अलग लुक दे देते हैं।
सोच-समझकर करें गाउन के साथ एसेसरीज का इस्तेमाल
विभिन्न डिजाइंस के साथ अलग-अलग कपड़ों में मिलनेवाले इन गाउन्स में अपने आकार और पसंद अनुसार सही गाउन चुनना बहुत जरूरी है। यह ठीक वैसी ही बात है जैसे आप अपने फिगर को तराशने के लिए स्विमसूट चुनती हैं। हो सकता है कुछ बॉल गाउन आपके कर्व्स के लिए अच्छे हो सकते हैं, तो कुछ इवनिंग गाउन आपके ओवरऑल फिगर को हाइलाइट करें और कुछ वेडिंग गाउन आपके वेडिंग को यादगार बना दें। फिलहाल इन सबमें सबसे जरूरी है इन गाउन्स के साथ पहनी जानेवाली एसेसरीज या आभूषण। ये आपकी यादगार ड्रेस को बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। एसेसरीज और आभूषणों के अलावा एक और चीज जो बेहद जरूरी है, वो है इनके रंग। ऐसे में सही रंगों के साथ सही डिजाइन और सही आभूषण का संयोजन करना न भूलें।