शांति, खुशी, शक्ति और जीत का प्रतीक दुर्गा पूजा के मुख्य आकर्षणों में सिर्फ बंगाली व्यंजनों की महक, ढाक की ताल और धुनुची नृत्य नहीं होते, बल्कि दुर्गा पूजा देखने आई सजी-धजी महिलाएं और उनका श्रृंगार भी होता है। आइए जानते हैं दुर्गा पूजा के दौरान पहने जानेवाले पारंपरिक बंगाली परिधानों के साथ आभूषणों के बारे में।
बंगाल की सांस्कृतिक विरासत हैं उसके आभूषण
अगर ये कहें तो गलत नहीं होगा कि बंगाल की सांस्कृतिक विरासत में उसके आभूषणों का काफी योगदान है। इनमें विशेष रूप से दुर्गा पूजा के दौरान महिलाओं द्वारा पहने जानेवाले पारंपरिक सोने के चूर से लेकर सीता हार और झुमकों के साथ पहने जानेवाले कान पाशा (ईयर कफ्स), इन सभी आभूषणों का समावेश है। साल के बेहद खूबसूरत दिनों में चमकीली साड़ियों के साथ इन आभूषणों, और बालों में लगे शिउली (चमेली) के गजरे महिलाओं की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। सच पूछिए तो साहित्य और फिल्मों में चित्रित बंगाली महिलाओं का मजबूत व्यक्तित्व की नींव उनका श्रृंगार ही है। बंगाली महिलाओं के लिए दुर्गा पूजा के ये 5 दिन बेहद खूबसूरत और आनंदमयी होते हैं, क्योंकि इस दौरान दुर्गा पूजा की उत्सव की खुशी में चूर यह महिलाएं अपने प्रियजनों के साथ सज-धजकर पंडालों में घूमते हुए स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाती हैं। श्रृंगार को महत्व देनेवाली बंगाली महिलाएं परंपरा के साथ आधुनिकता को भी काफी महत्व देती हैं और इसका सबूत है उनकी साड़ियां, उनके आभूषण और उनका एलिगेंट लुक।
महाषष्ठी के दिन पारंपरिक और हेरिटेज लुक को दें महत्व
दुर्गा पूजा की शुरुआत होती है नवरात्र की महाषष्ठी से। महाषष्ठी के दिन अकाल बोधन, आमंत्रण और अधिवास नामक पवित्र अनुष्ठान के साथ मां दुर्गा का हर घर में स्वागत किया जाता है और मनमोहक कार्यक्रमों के साथ मां सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाती हैं। अगर यह कहें तो गलत नहीं होगा कि यह दिन हर बंगाली स्त्री को उनकी जड़ों की याद दिलाता है और वे पारंपरिक कपड़ों और बंगाली आभूषणों को पहनकर अपने प्रियजनों के साथ हंसी-मजाक करते हुए अपनी पुरानी यादें ताजा करती हैं। महाषष्ठी, दुर्गा पूजा का पहला दिन होता है, इसलिए आम तौर पर महिलाएं हल्के से मेकअप के साथ सेमी-कैजुअल, इंडो-वेस्टर्न, सलवार-कुर्ता या सूती साड़ी पहनती हैं। अगर आप इस दिन को और खास बनाना चाहती हैं तो दिन के दौरान चमकीले और हल्के रंगों के कपड़ों के साथ स्टेटमेंट पेंडेंट वाला सिंपल गले का हार या सिर्फ सोने की चेन पहन सकती हैं। इसके साथ हल्के झुमके और सिंपल सी सोने की या कांच की चूड़ियां भी आप पहन सकती हैं। हां, शाम के समय जामदानी रिच सिल्क की साड़ी के साथ कुंदन की बालियां और सोने का हार पहनना न भूलें। इससे आपको एक पारंपरिक और हेरिटेज लुक मिलेगा।
महासप्तमी के दिन अपनाएं कंटेम्प्ररी फैशन
दुर्गा पूजा का अगला दिन महासप्तमी का होता है। ऐसी मान्यता है कि ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के द्वारा दुल्हन की तरह सजाए गए केले के पौधे में मां की आत्मा का आह्वाहन किया जाता है। ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के बाद मां दुर्गा जीवित हो उठती हैं और आंखें खोलकर पहली बार अपने श्रद्धालुओं को देखती हैं। इस खास दिन पर आप हाइड्रेंजिया नीली, गुलाबी या पीले रंग की जेकक्वार्ड बुनाई वाली साड़ी पहन सकती हैं। अगर आप साड़ियों की शौकीन नहीं हैं, तो आप सलवार सूट या शरारा के साथ एक कुर्ती भी पहन सकती हैं। इन परिधानों के साथ स्टेटमेंट ज्वेलरी और मेकअप में सटल न्यूड या कोरल लिप चुन सकती हैं। इसके अलावा मीनाकारी वाली मल्टीपल अंगूठी के साथ हीरे की बालियां या हैंडमेड बालियां भी पहन सकती हैं। शाम को स्मोकी आंखों के साथ होंठों पर डार्क लिपस्टिक लगाकर एक ग्लैमरस लुक अपनाएं। इसमें आप गोल्डन साखा पोला और नोआ के साथ पारंपरिक सीता हार भी पहन सकती हैं। अगर आप लहंगा या शरारा पहन रही हैं, तो रंगीन पत्थरों से सजी सोने-चांदी की चूड़ियां पहनना न भूलें। आम तौर पर प्लैटिनम और व्हाइट गोल्ड के आभूषण, कंटेम्प्ररी फैशन का प्रतीक मानी जाती हैं और फ्यूजन के साथ-साथ क्लासी परिधानों के साथ पूरी तरह मेल खाती हैं। यदि आप इस तरह के परिधान पहन रही हैं, तो प्लेटिनम और व्हाइट गोल्ड बेहतर विकल्प हो सकता है।
महाअष्टमी यानी एलिगेंट परिधानों का दिन
महाअष्टमी, दुर्गा पूजा का सबसे खास और महत्वपूर्ण दिन होता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। ऐसे में ध्यान और प्रार्थनाओं वाले महा अष्टमी के दिन आपको पारंपरिक आभूषणों के साथ खूबसूरत साड़ी ही पहननी चाहिए। ध्यान रहे कि सुबह पहनने के लिए साड़ी का रंग आप चाहे, जो चुनें लेकिन होंठों पर लाल या मैरून रंग की डार्क लिपस्टिक लगाना न भूलें। इसी के साथ कलाइयों में पारंपरिक सोने की चूड़ियों के साथ कंगन और कानों में बाली पहनना न भूलें। गले में आप चिक या चोकर पहन सकती हैं। अगर कानों में आप बालियों की बजाय झुमके पहन रही हैं, तो एलिगेंट ब्यूटी के लिए आप हाथों से बनी व्हाइट, ऑफ व्हाइट या पेस्टल कलर के कान पाशा पहन सकती हैं। बंगाली महिला के तौर पर पारंपरिक और कंटेम्प्ररी आभूषणों के सही मिश्रण के लिए आप मेकअप हल्का रखेंगी तो बेहतर होगा। बंगाली परंपरा के अनुसार अष्टमी तिथि के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि के पहले 24 मिनट की अवधि संधि काल कहलाता है, जिसके अंतर्गत देवी दुर्गा की संधि पूजा होती है। अष्टमी और नवमी के बीच सबसे शुभ समय महिषासुर को मारने के लिए देवी दुर्गा पीली साड़ी पहनकर प्रकट होती हैं। ऐसे में चाहें तो आप भी कोई पीली या सुनहरे रंग की साड़ी के साथ सोने का झुमका, मल्टी लेयर्ड गोल्ड नेकलेस पहन सकती हैं। अगर आप गोल्ड नेकलेस नहीं पहनना चाहती, तो पोल्की नेकलेस या कॉलर नेकलेस भी इस अवसर के लिए सही रहेंगे। हालांकि मेकअप के लिए आप बोल्ड लिप्स के साथ शिमरी आईशैडो और चीकबोन्स को हाइलाइट करने के लिए कोरल ब्लश चुन सकती हैं।
पारंपरिक और सुरुचिपूर्ण परिधानों का दिन है महानवमी
महानवमी, महाआरती का दिन होता है और अग्नि, देवी दुर्गा का प्रतीक है। ऐसे में पारंपरिक और सुरुचिपूर्ण परिधानों के साथ उसी तरह के आभूषण चुनना बेहतर विकल्प है। इसके लिए आप बंगाल के हैंडलूम साड़ियों के साथ ट्रेडिशनल बंगाली आभूषणों को भी चुन सकती हैं। इसके साथ बोल्ड आई लुक के लिए आप शिमर और आईशैडो से मेल खाती लिपस्टिक शेड अपनाएं। सुबह ट्रेडिशनल बंगाली साड़ियों के साथ आप सोने के बने पारंपरिक आभूषण, जिनमें एक पेंडेंट वाले गोल्ड नेकलेस के साथ चूड़ियां और बालियों या झुमके से मेल खाता झूमर पहन सकती हैं। हां, शाम को आप आरामदायक फैशन के लिए सॉलिड सिल्हूट और सीधे कट के साथ एक एंटीक नेकलेस और उसी से मेल खाती एक नोज रिंग पहन सकती हैं। विजयादशमी का दिन देवी दुर्गा के अपने पति शिव से मिलने का दिन होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं, देवी दुर्गा को विदाई देते हुए उनके माथे पर सिंदूर लगाकर, उन्हें मिठाई खिलाते हुए उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेती हैं और दूसरी महिलाओं को गालों पर सिंदूर लगाकर ‘सिंदूर खेला’ का वैवाहिक जश्न मनाती हैं।
आइकॉनिक बंगाली आभूषण और लाल पाढ़ शादा
विजयादशमी के दिन होनेवाले ‘सिंदूर खेला’ के दौरान आम तौर पर हर विवाहित स्त्री लाल बॉर्डर वाली आइकॉनिक लाल पाढ़ शादा यानी लाल-सफेद रंग की बंगाली साड़ी पहनती हैं। आप चाहें तो इस दिन को खास बनाने के लिए आप भी इस साड़ी के साथ गोल्ड चोकर, गोल्ड चेन और हाथों में चूड़ियों के साथ साखा पोला और नोआ पहनकर अपना स्पेशल लुक पा सकती हैं। इसके अलावा आइकॉनिक बंगाली आभूषणों में चंद्र बाला, झुमके के साथ हाथों में एक सुंदर मकरमुखी बाला या मोर और कमल के डिजाइन का सोने का रत्नचूर भी पहन सकती हैं। गौरतलब है कि रत्नचूर का अर्थ है हर उंगली के लिए अंगूठियों वाला एक कंगन।