आम तौर पर पर्यावरण प्रदूषण के लिए इंडस्ट्रियल वेस्ट, ऑइल रिफाइनरी और धुंआ छोड़ते ट्रांसपोर्टेशन को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन क्या आप जानती हैं कि इसके लिए काफी हद तक फैशनेबल कपड़े भी जिम्मेदार हैं, विशेष रूप से सिंथेटिक मटेरियल से बने कपड़े। आइए जानते हैं सस्टेनेबल फैशन के फायदों के साथ, सिंथेटिक कपड़ों के नुकसान।
केमिकल प्रदूषण के साथ माइक्रो प्लास्टिक प्रदूषण

इसमें दो राय नहीं है कि जब हम और आप ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की शिकायत करते हैं, तो उसमें अक्सर अपने फैशनेबल कपड़ों की तरफ देखना भूल जाते हैं। हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि इंडस्ट्री के कारण बायोडायवर्सिटी और क्लाइमेट चेंज को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और इसकी वजह है इसमें उपयोग होनेवाले फॉसिल फ्यूल्स, केमिकल्स और काफी मात्रा में लगनेवाला पानी। हालांकि इनमें से अधिकतर कपड़े रिसाइकल नहीं किए जा सकते, ऐसे में ये केमिकल प्रदूषण और माइक्रो प्लास्टिक प्रदूषण को भी बढ़ावा देते हैं। हालांकि पूरी दुनिया इस समस्या से जूंझ रही है, ऐसे में पर्यावरण को बचाने के लिए सिंथेटिक कपड़ों की बजाय लोगों ने सस्टेनेबल फैशन की तरफ कदम बढ़ा दिया है।
सिंथेटिक मटेरियल से बने सस्ते कपड़े बढ़ाते हैं प्रदूषण
दरअसल कपड़ों से होनेवाले प्रदूषण की एक वजह ये भी है कि पहले जहां हम सबकी अलमारी में कपड़े सिमित मात्रा में हुआ करते थे, वहीं आज अलग-अलग ओकेजन पर पहनने के लिए ढ़ेर सारे कपड़े आ गए हैं। घर के लिए अलग, ऑफिस के लिए अलग, शादी-फंक्शंस के लिए अलग, तो त्यौहारों के लिए अलग। ऐसे में सभी महंगे और टिकाऊ कपड़ों की बजाय ऐसे कपड़ों की तरफ रुख करते हैं, जो सस्ते दामों में आकर्षक दिखते हों। लेकिन क्या आप जानती हैं कि सस्ते दामों में मिलनेवाले आकर्षक चमकदार सिंथेटिक कपड़े माइक्रो प्लास्टिक प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं? दरअसल सस्ते दामों में मिले कपड़ों को कुछ समय पहनकर फेंक दिया जाता है, लेकिन उनमें से बहुत कम ऐसे कपड़े होते हैं जो रिसाइकल किए जाते हैं। अधिकतर कपड़े या तो जला दिए जाते हैं, या लैंडफिल पहुंच जाते हैं और वहां जाकर वे प्रदूषण बढ़ाते हैं। इसके अलावा कपड़ा बनाने में भी काफी गंदगी पैदा होती है, इस पर भी किसी का ध्यान नहीं जाता।
इसीलिए सिंथेटिक मटेरियल से बनाएं दूरी

आम तौर पर सिंथेटिक कपड़े, पॉलिएस्टर और नायलॉन जैसे प्लास्टिक मटेरियल से बने होते हैं और इन्हें नष्ट होने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। यही नहीं, यह कपड़े पानी में माइक्रो प्लास्टिक रिलीज करते हैं, जो समुद्री जीवों और पर्यावरण के लिए भी बेहद खतरनाक होते हैं। सिंथेटिक मटेरियल के उत्पादन में भारी मात्रा में ऊर्जा के साथ पेट्रोलियम जैसे नेचुरल रिसोर्सेस का उपयोग होता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का एमिशन बढ़ता है। इसके अलावा सिंथेटिक कपड़ों में होनेवाले केमिकल्स से स्किन इश्यूज होते हैं। इनमें विशेष रूप से एलर्जी और इरिटेशन प्रमुख हैं। इसके अलावा सिंथेटिक कपड़े पसीना एब्जॉर्ब नहीं करते, जिसके कारण ये आरामदायक भी नहीं होते। यही वजह है कि सिंथेटिक कपड़ों की अपेक्षा सस्टेनेबल फैशन इन दिनों लोकप्रियता के शिखर पर हैं, क्योंकि यह स्किन के लिए सेफ होने के साथ-साथ बायोडिग्रेडेबल भी होते हैं।
सिंथेटिक मटेरियल की बजाय अपनाएं सस्टेनेबल फैशन
विशेष रूप से कॉटन, खादी, लिनन, ऊन और रेशम कुछ ऐसे कपड़े हैं, जो नेचुरल होने के साथ-साथ टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल भी होते हैं। सच पूछिए तो नेचुरल तरीकों से मिलनेवाले ये कपड़े सिंथेटिक कपड़ों से कई गुना बेहतर होते हैं। ऐसे में इन पुराने कपड़ों को फेंकने की बजाय उन्हें नया रूप देकर आप इस्तेमाल कर सकती हैं। आप चाहें तो हर बार नए कपड़े खरीदने की बजाय थ्रिफ्ट स्टोर्स से शॉपिंग कर सकती हैं या फिर अपने पुराने कपड़ों को दान भी कर सकती हैं। हालांकि इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप ऐसे ब्रांड्स का चयन करें, जो पर्यावरण-अनुकूल कपड़े बनाते हों। साथ ही कपड़े खरीदते समय लोकल कारीगरों और हाथों से बने कपड़ों को प्राथमिकता दें। फास्ट फैशन की बजाय टिकाऊ और लंबे समय तक चलने वाले अच्छे कपड़े खरीदें, जो समय के साथ खराब न हों। इसके अलावा कपड़ों को सही तरीके से धोएं और सुखाएं, जिससे उनकी उम्र बढ़ जाए।

सस्टेनेबल फैशन या यूं कहें नेचुरल कपड़े उपयोग करने से कचरा और प्रदूषण, दोनों में कमी आती है। इनसे न सिर्फ लोकल कपड़ों और कारीगरों को समर्थन मिलता है, बल्कि आपकी स्किन के लिए भी सुरक्षित और आरामदायक होते हैं। हालांकि सस्टेनेबल फैशन का सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि आपको क्वालिटी और स्टाइल दोनों मिलता है। इसके अलावा सस्टेनेबल फैशन न सिर्फ हमारी धरती को बचाने में हमारी मदद करता है, बल्कि हमें एक जिम्मेदार नागरिक बनने का मौका भी देता है। हालांकि फैशन इंडस्ट्री में सस्टेनेबल फैशन के साथ इन दिनों एथिकल फैशन की भी काफी चर्चा है। एथिकल फैशन, मूल रूप से ऑर्गैनिक पसंद करनेवालों के लिए परफेक्ट है। इसमें जानवर या इंसान, किसी को भी परेशान किए बिना आकर्षक कपड़े डिजाइन किए जाते हैं। यदि ये कहें तो गलत नहीं होगा कि सस्टेनेबल फैशन और एथिकल फैशन, फैशन इंडस्ट्री के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
देश-विदेश के नामी सस्टेनेबल फैशन ब्रांड्स
पिछले कुछ सालों में पर्यावरण की सुरक्षा के मद्देनजर पूरे विश्व में फैशन इंडस्ट्री ने क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए ऐसे ब्रांड्स लॉन्च किए हैं, जिसने फैशन की दुनिया को ही बदलकर रख दिया है। ये ब्रांड्स, ग्लैमर और ग्लिट्ज की बजाय ऐसे कपड़े बनाती हैं, जो आपको कम्फर्ट दे। हालांकि बीते वर्षों में इन ब्रांड्स के बीच इको-फ्रेंडली कपड़ों को लेकर एक अनकहा कॉम्प्टीशन शुरू हो चुका है। इनमें जहां विदेशी ब्रांड्स में ह्यूमाना, जेनेरिका, अलिगने, पेंटागोनिया और जारा है, वहीं भारतीय ब्रांड्स में का-शा, बी लेबल, नो नास्टीज, ब्राउन बॉय और चकोरी एथनिक प्रमुख हैं। इनमें ह्यूमाना, अमेरिका का जाना माना सस्टेनेबल फैशन ब्रांड है, जो डिजाइनर कपड़ों के साथ शूज और ब्यूटी प्रोडक्ट्स भी बनाते हैं। ह्यूमाना की तरह जेनेरिका भी अमेरिकन ब्रांड है, जो डेनिम बनाती है। पेंटागोनिया, अमेरिका का एक ऐसा ब्रांड है, जो न सिर्फ सस्टेनेबल कपड़े बनाती है, बल्कि पुराने कपड़े लेकर डिस्काउंट भी देती है। इनके अलावा अलिगने एक यूरोपियन ब्रांड है, जो ऑर्गनिक कॉटन से लेकर सॉफ्ट विस्कस मटेरियल से बने, लंबे समय तक चलनेवाले कपड़े बनाती है। ये कपड़े सस्टेनेबल होने के साथ-साथ काफी रिच भी होते हैं। इन सबमें जारा एक स्पैनिश ब्रांड है, जो तेजी से बदलते फैशन को एडॉप्ट करने में माहिर है और रीसायकल कपड़ों के साथ बॉक्स और बैग्स भी बनाती है।
भारतीय सस्टेनेबल फैशन ब्रांड्स

भारत के नामी सस्टेनेबल फैशन ब्रांड्स में पहला नाम आता है का-शा का। पुणे की यह कंपनी महिलाओं के लिए हैंडमेड साड़ियां बनाती हैं। बी लेबल, बॉम्बे हेम्प कंपनी का ब्रांड है, जो ऐसे कपड़े बनाती है, जिनमें यूवी रेज और कार्बन एमिशंस जैसे जहरीले तत्व नहीं होते। इसके अलावा नो नास्टीज, वीगन कम्युनिटी को ध्यान में रखकर बनाया गया फैशन ब्रांड है। साथ ही ब्राउन बॉय, विशेष रूप से लड़कों के लिए कपड़े बनाते हैं, जिनमें हाथ से प्रिंटेड टी-शर्ट, स्वेटशर्ट, बनियान और योगा पैंट शामिल है और अंत में चकोरी एथनिक सबसे अलग और सबसे खास फैशन ब्रांड है, जो विशेष रूप से ग्रामीण भारत के टैलेंट और स्किल्स पर बेस्ड है। एथनिक कपड़ों में ट्रेडिशनल प्रिंट के तौर पर कलमकारी, शिबोरी, हैंड ब्लॉक और डब्बू शामिल है। यह ब्रांड विशेष रूप से ग्रामीण कारगीरों और शिल्पकारों के साथ काम करके उन्हें आर्थिक संपन्नता भी प्रदान करता है।