ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में जब सारी दुनिया सिमटकर हमारी मुट्ठी में समा गई है, तो शॉपिंग के तरीके कैसे अछूते रह सकते हैं। आलम यह है कि ऑफलाइन शॉपिंग की तुलना में ऑनलाइन शॉपिंग की मांग काफी बढ़ गई है। फिर भी ऐसे कुछ लोग हैं, जिन्हें आज भी ऑनलाइन शॉपिंग रास नहीं आती। फिलहाल आपके लिए क्या है शॉपिंग का स्मार्ट तरीका, आइए जानते हैं।
शॉपिंग का फ्यूचर है हाइब्रिड मॉडल
आम तौर पर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, मोबाइल ऐप या फिर वर्चुअल स्टोर के जरिए इंटरनेट पर कोई सामान या सेवाएं खरीदने को ऑनलाइन शॉपिंग कहा जाता है। ऑनलाइन शॉपिंग के अंतर्गत एक ही क्लिक में जहां ढेर सारी सुविधाएं मिलती हैं, वहीं ऑफलाइन शॉपिंग में व्यक्तिगत बातचीत के जरिए लोकल दुकानों, मॉल या रिटेल दुकानों से देख, छू और आजमाकर चीजें खरीदी जाती हैं। बीते कुछ वर्षों में रिटेल के अंतर्गत ऑनलाइन और ऑफलाइन शॉपिंग मॉडल खूबियों को मिलाकर कुछ रणनीतियां बनाई गई हैं, जिसने शॉपिंग के तरीकों को काफी हद तक बदल दिया है। यूं तो ऑफलाइन वर्सेस ऑनलाइन शॉपिंग की बात करें तो दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं, लेकिन हाइब्रिड मॉडल को देखते हुए यही कहा जा सकता है, कि रिटेल बिजनेस का फ्यूचर दोनों को एक करने में है, जिससे बाजार, ग्राहकों की अपेक्षाओं पर खरा उतर सके।
ऑनलाइन शॉपिंग के फायदे
ऑनलाइन शॉपिंग का पहला फायदा यही है कि बिना बाहर गए, सिर्फ एक क्लिक की दूरी पर घर बैठे आप चाहे जब अपनी मनपसंद चीजें खरीद सकती हैं। सिर्फ यही नहीं आपकी शॉपिंग को ये एक खुला आकाश देता है, जहां आपको आपके पसंद की चीजों की कई वैराइटी मिलती है। और इन वैराइटी के साथ आपको मिलते हैं अलग-अलग दाम। अपनी जेब और अपनी पसंद अनुसार आप बिना थके घर बैठे कुछ भी खरीद सकती हैं। ऑनलाइन शॉपिंग का एक फायदा यह भी है कि इन साइटों पर आपको, रिव्यूज और रेटिंग्स के तौर पर अपने सामान से संबंधित बेहतर जानकारी भी मिल जाती है। लोगों के द्वारा दिए गए इन रेटिंग्स से आपको न सिर्फ बेहतर गाइडेंस मिलता है, बल्कि ये आपको आपके रुपयों की बेहतर कीमत भी देता है। इसके अलावा क्लिक एंड कलेक्ट मॉडल के जरिए उन्हें ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन शॉपिंग का भी बेहतर अनुभव मिलता है।
ऑनलाइन शॉपिंग के नुकसान
ऑनलाइन शॉपिंग के जहां फायदे हैं, वहीं उसके अपने नुकसान भी हैं, जैसे जब आप कोई कपड़ा अपने लिए सिलेक्ट करती हैं, तो उसे छूकर आप निश्चिंत हो जाती हैं, लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग में आप निराश भी हो सकती हैं। इसके अलावा मार्केट जाकर अपने पसंदीदा चीजों की कीमत चुकाने पर आप उसे तुरंत घर ले आती हैं, लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग में ऐसा नहीं होता। यहां आपको शिपिंग के साथ डिलीवरी बॉय पर निर्भर होना पड़ता है, जिससे कई बार चीजें समय पर न मिलने से निराशा होती है। इसके अलावा ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी के साथ हैकिंग और आर्थिक नुकसान के जोखिम की संभावना भी बनी रहती है। विशेष रूप से ये तब होता है, जब आप ट्रस्टेड ई-कॉमर्स वेबसाइट से शॉपिंग नहीं करतीं। आम तौर पर ऑनलाइन शॉपिंग के नियम पहले से तय होते हैं, जिनके अनुसार आप खरीदी हुई चीजें रिटर्न या रिप्लेस कर सकती हैं। लेकिन कई बार मुश्किल तब आती है, जब आपको सामान रिटर्न करने के बावजूद उसकी पूरी रकम नहीं मिलती। आम तौर पर ये तब होता है जब आपने उस सामान का शिपिंग चार्ज दिया हो।
ऑफलाइन शॉपिंग के फायदे
ऑनलाइन शॉपिंग के मुकाबले ऑफलाइन शॉपिंग में आप अपनी खरीदी हुई चीज तुरंत अपने घर ले जा सकती हैं। इसके अलावा ऑफलाइन शॉपिंग में आप अपनी पसंद की चीजों को छूकर, परखकर या आजमाकर तसल्ली कर सकती हैं कि आपको उसे लेना है या नहीं। विशेष रूप से कपड़े, शूज या इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स जैसी चीजों के संदर्भ में ऑफलाइन शॉपिंग हमेशा फायदेमंद का एहसास कराता है, क्योंकि इससे फिटिंग के साथ क्वालिटी भी पता चलती है। इसके अलावा आप उसे खरीदने से पहले दुकानदार से सामान से जुड़ा कोई भी सवाल भी पूछ सकती हैं। सिर्फ यही नहीं ऑफलाइन शॉपिंग से आपको अपने दोस्तों या परिवार के साथ जाकर शॉपिंग करने का खुशनुमा एक्सपीरियंस भी मिलता है, जिसे आप एक सोशल एक्सपीरियंस भी कह सकती हैं।
ऑफलाइन शॉपिंग के नुकसान
ऑफलाइन शॉपिंग का पहला नुकसान है सिमित जगह पर सिमित प्रोडक्ट का होना और ऐसे में सिलेक्शन के मौके भी काफी सिमित हो जाते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन शॉपिंग में जहां एक क्लिक पर आपको आपकी मनपसंद चीजें तुरंत मिल जाती हैं, वहीं ऑफलाइन शॉपिंग के दौरान दुकानों में चीजें ढूंढनी पड़ती हैं। चीजें ढूंढने के साथ-साथ स्टोर तक जाना और चेकआउट लाइनों में इंतजार करने के कारण भी कई बार ऑफलाइन शॉपिंग पूरे दिन की एक्टिविटी बन जाती है, जिसमें आपके बिजी समय का काफी हिस्सा खर्च हो जाता है। अक्सर देखा गया है कि ऑनलाइन शॉपिंग के मुकाबले ऑफलाइन शॉपिंग काफी महंगा सौदा होते हैं, और इसकी वजह है स्टोर चलाने में लगनेवाली लागतें, जैसे स्टोर का किराया, वहां काम कर रहे कर्मचारियों की सैलरी और अन्य खर्चें। ऑफलाइन शॉपिंग का एक नुकसान यह भी है कि स्टोर हर समय नहीं खुली रहती, बल्कि उनके खुलने और बंद होने का एक निश्चित समय होता है। इसके अलावा यह भी हो सकता है कि जिस स्टोर से आप शॉपिंग करती हों, वो जगह आपके घर से दूर हो, तो ऐसे में वहां पहुंचने में लगनेवाले ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी ऐडेड डिसएडवांटेज है।
ऑनलाइन-ऑफलाइन शॉपिंग का मिला जुला रूप हाइब्रिड मॉडल
बीते कुछ वर्षों में ग्राहकों के शॉपिंग एक्सपिरियंसेस को देखते हुए हाइब्रिड मॉडल की शुरुआत हुई है। इसके अंतर्गत अब कई रिटेल स्टोर्स में ग्राहकों को न सिर्फ ऑनलाइन सामान खरीदने की छूट देते हैं, बल्कि उसे देख-परखकर घर पहुंचाने की सुविधा भी देते हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन को जोड़कर शुरू हुआ यह शॉपिंग एक्पीरियंस अपने ग्राहकों को प्राथमिकता देते हुए उसे बेहतर बनाने की गारंटी देता है। हालांकि वर्तमान समय में इस तरह की सुविधाएं बहुत कम स्टोर्स में हैं, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि ग्राहकों की बदलती शॉपिंग टेंडेंसी को देखते हुए शॉपिंग का फ्यूचर यही होनेवाला है, ऐसे में सभी स्टोर मालिकों को इसके अनुकूल होना ही पड़ेगा।
ऑफलाइन-ऑनलाइन शॉपिंग में टेक्नोलॉजी की भूमिका
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ मोबाइल ऐप, ऑनलाइन शॉपिंग की सबसे पहली जरूरत है। इसके अलावा ऑगमेंटेड रिएलिटी और वर्चुअल रिएलिटी ग्राहकों को जिस तरह ऑनलाइन शॉपिंग में वर्चुअली चीजों को छूने, परखने और आजमाने का मौका मिल रहा है, उससे हर तरह के ग्राहकों के लिए शॉपिंग आसान हो गई है। विशेष रूप से मोबाइल शॉपिंग से ऑनलाइन शॉपिंग को काफी बढ़ावा मिला है, क्योंकि इससे चलते-फिरते शॉपिंग आसान हो गई है। उस पर डिजिटल पेमेंट की सुविधाओं ने रही-सही परेशानियां भी खत्म कर दी हैं। बीते कुछ वर्षों में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के अलावा सोशल मीडिया ने भी ऑनलाइन शॉपिंग को प्रभावित किया है। विशेष रूप से इन वेबसाइट्स पर बार-बार पॉप अप होते प्रोडक्ट्स न सिर्फ ग्राहकों को शॉपिंग के लिए उकसाते हैं, बल्कि ये प्लेटफॉर्म सीधे आपको उक्त वेबसाइट पर ले जाते हैं, जहां से शॉपिंग आसान हो सके। ऐसे में ये कहें तो गलत नहीं होगा कि ऑनलाइन और ऑफलाइन शॉपिंग में टेक्नोलॉजी की जबरदस्त भूमिका है। विशेष रूप से हाइपरलोकल मार्केटिंग में टेक्नोलॉजी की भूमिका काफी बड़ी है। हालांकि अगले कुछ वर्षों में ऑनलाइन वर्सेस ऑफलाइन शॉपिंग के फ्यूचर को समृद्ध करने में टेक्नोलॉजी और किस तरह से भूमिका निभाती है, ये देखना भी दिलचस्प होगा।