भारत को हैंडलूम का खजाना माना जाता है, ऐसे में आइए उन शहरों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं, जिन्हें हैंडलूम प्रधान शहर माना गया है।
मध्य प्रदेश हैंडलूम
भारत का मध्य प्रदेश हैंडलूम के लिहाज से खास शहर माना गया है, यहां कई प्रकार के हैंडलूम रहे हैं। ऐसे में अगर हम मध्य प्रदेश में चंदेरी के कपड़े की बात करें, तो शहर ने इस हाथ से बुने हुए रेशम को अपना नाम दिया है। दरअसल, प्रकृति में बेहद शांत रहने वाले इस शहर ने अपनी पहचान बनाई है, चंदेरी और माहेश्वरी साड़ियों की खासियत रखने वाले इस राज्य में लोग दूर-दूर से शॉपिंग करने आते हैं। चंदेरी कपड़े की अगर खासियत की बात करें, तो इनमें जो रेशम की चमक और कपास के खास गुण हैं, वे बेहद पसंद किये जाते हैं। दरअसल, इसमें सूती धागे में रेशम और सूती जरी का उपयोग करके कपड़ा बुना जाता है। यही वजह है कि इस राज्य में इसकी बिक्री खूब होती है और बाकी जगहों पर यहां से साड़ियों को इम्पोर्ट यानी निर्यात किया जाता है। वहीं बात अगर माहेश्वरी सिल्क की की जाए, तो माहेश्वरी रेशम, जिसका नाम मध्य प्रदेश के महेश्वर शहर के नाम पर रखा गया है, यहां तकनीक ने हथकरघा कपड़ों की सुंदरता और आकर्षण को नया रूप दिया है। खास बॉर्डर और पल्लू के लिए जानी जाने वाली माहेश्वरी रेशम साड़ियों का निर्माण खास तरह से होता है। यह कपास के साथ रेशम का मिश्रण बना कर बनाया जाता है। बात अगर हैंड मेड फैब्रिक्स की करें, तो हाथ से इंदौर के कपड़े आपको आकर्षित कर सकते हैं। हाथ से बुने हुए कपड़े रंगों और डिजाइन आपको खूब देखने को मिलेंगे। यहां लकड़ी के ब्लॉक या स्क्रीन का खास उपयोग होता है। अगर बात बाटिक प्रिंट की करें, तो मध्य प्रदेश का पवित्र शहर उज्जैन भी भारत का एकमात्र स्थान है, जहां बाटिक प्रिंटिंग को खास माना गया है। इस कपड़े से साड़ियां, कुर्तियां, बेडशीट, बेड कवर, कुशन कवर, कुर्ते और कई अन्य आवश्यक कपड़ों को सजाया जाता है। अगर बात बाघ प्रिंट की की जाए, तो बाग प्रिंट कपड़ा भी कमाल का काम करता है। मध्य प्रदेश के बाग प्रिंट को खास माना गया है। बाग नदी के पास उत्पन्न, कपड़ों पर हाथ से पेंटिंग करने की इस तकनीक में प्री-प्रिंटिंग, प्रिंटिंग और पोस्ट प्रिंटिंग शामिल है। नदी में पाए जाने वाले रंगों और रासायनिक गुणों का उपयोग करके इसे बनाया जाता है। सबसे ज्यादा इसे सूती और रेशमी कपड़ों पर चित्रित किया जाता है, ये प्रिंट्स काफी मुलायम होते हैं।
महाराष्ट्र हैंडलूम
आपको जानकर हैरानी होगी कि महाराष्ट्र में भी हैंडलूम को प्राथमिकता दी गई है। दरअसल, रेशमी कपड़ों में से एक पैठणी रेशम का नाम उस शहर के नाम पर पड़ा, जो मूल रूप से औरंगाबाद के पास पैठन नामक एक महाराष्ट्र के एक गांव में बनाया गया था। पैठनी को सोने के धागों और जारी के साथ रेशम का उपयोग करके हाथ से बुना जाता है। इसके अलावा, सोलापुरी चादर हाथ से बुना हुआ सूती कंबल खास माना जाता है। साथ ही साथ सोलापुर अपने कपड़ा उद्योगों के लिए जाना जाता है और एक समय पर हर घर में कम से कम एक या दो हथकरघा होते थे, परिवार के अन्य सभी सदस्य चादर की बुनाई को पूरा करने में कारीगर की मदद करते थे। वहीं बात अगर कोसा सिल्क की की जाए, तो कोसा रेशम यूं तो मुख्य रूप से भारत के छत्तीसगढ़ के लिए खास है, लेकिन महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जिला भी कोसा रेशम के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। कोसा भी तशर सिल्क का ही एक रूप माना जाता है। वहीं बात अगर हिमरू और मशरू की करें, तो औरंगाबाद के ये शिल्प माने जाते हैं।
कोटा हैंडलूम
राजस्थान का कोटा हैंडलूम काफी लोकप्रिय माना जाता है। कोटा हैंडलूम की भी खासियत होती है कि यह काफी टिकाऊ रहता है। यहां की साड़ियां सबसे अधिक लोकप्रिय मानी जाती हैं और कोटा साड़ियों के नाम से पूरे विश्व में लोकप्रिय है। जहां तक बात है कि हम पैटर्न की बात करें तो यह अपने खास चौकोर पैटर्न, जिसे "खट" कहा जाता है, के लिए जाना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन आज भी राजस्थान के कोटा के पास कैथून में पारंपरिक पिट करघे पर हाथ से इसकी बुनाई होती है। साथ ही यहां की सिल्क साड़ियां काफी लोकप्रिय मानी गई हैं।
लखनऊ हैंडलूम
अब अगर लखनऊ के हैंडलूम की बात करें, तो पूरे विश्व में यहां के हैंडलूम के चर्चे रहते हैं और दुनिया से लोग इन्हें खरीदने आते हैं। यहां की चिकनकारी सबसे लोकप्रिय है। चिकन का काम लखनऊ की सबसे लोकप्रिय और गौरवपूर्ण कृतियों में से एक है। कपड़ों में खासतौर से शिफॉन, रेशम, मलमल, ऑर्गेंडी और ऑर्गेना कपड़ों में यह चिकनकारी देखने को मिलती है। वहीं जरदोजी की बात की जाए, तो जरदोजी में धातु के धागों की मदद से कपड़ों पर सिलाई की जाती है और यह काफी कठिन कढ़ाई मानी जाती है और इसलिए काफी महंगी भी आती है।
बनारसी हैंडलूम
बात जब बनारस के हैंडलूम की होती है तो बनारस को भी बेहद खास माना जाता है, अपनी बनारसी साड़ियों के लिए यह वर्ल्ड फेमस शहर है। भारत में सबसे फैब्रिक में से एक माना जाने वाली बनारसी साड़ियां खास मानी जाती हैं और यह अपने महीन, बारीक और चमकदार रेशम के लिए मानी जाती है। यहां की साड़ियां बुनाई में चांदी और सोने की जड़ी के काम के लिए जाना जाता है। खासतौर से यह मुगल डिजाइनों से प्रेरित रहती है और काफी आर्टिस्टिक स्टाइल के लिए माना जाता है। इसके अलावा, यह अपने मेटालिक विजुअल्स, जाल और मीनाकारी वर्क के लिए जाना जाता है।
पानीपत हैंडलूम
पानीपत में आज भी अच्छे कार्पेट मिलते हैं और इस शहर को हैंडलूम का शहर माना जाता है। दरअसल, इस जगह को बुनकरों का शहर कहा जाता है, क्योंकि यहां कपड़ा और कालीन का उत्पादन होता है। यह भारत में गुणवत्तापूर्ण कंबल और कालीन का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है और इसमें हथकरघा बुनाई उद्योग सबसे महत्वपूर्ण है।
दक्षिण भारत हैंडलूम
दक्षिण भारत में भी हैंडलूम की लोकप्रियता हमेशा बरकरार रही है और यहां की कांजीवरम साड़ियों से लेकर, मैसूर सिल्क, हैदराबादी सिल्क, केरल सिल्क और ऐसी कई साड़ियां काफी लोकप्रिय रही हैं। इनके अलावा, उत्तर पूर्व में भी काफी हद तक हैंडलूम के काम लगातार हो रहे हैं।