लड़कियों के लिए हर फुटवेयर के हर किस्म के आने भी लगे हैं और इसके ट्रेंडी स्टाइल को लोगों ने हमेशा पसंद भी किया है। आइए ऐसे में जानते हैं कि फुटवेयर्स ने किस तरह से हर दौर में फैशन के ट्रेंड में बदलाव किये हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
इतिहास
महिलाओं के लिए जो भी ट्रेंड जूतों या फुटवियर के लिए रहे हैं, हमेशा ट्रेंड में रहे हैं। ऐसे में उनके खास अंदाज का एक इतिहास भी रहा है, खासतौर से महिलाओं के फुटवेयर्स को लेकर। जूतों की बात करें, तो हजारों वर्षों से मानव संस्कृति का यह एक अनिवार्य हिस्सा रहे हैं। गौरतलब है कि प्राचीन काल से लेकर आधुनिक चलन तक, जूतों का इतिहास एक दिलचस्प यात्रा है, जो मानव सभ्यता की कहानी कहती है। इसलिए इसके बारे में आपको जानने की कोशिश करनी चाहिए। दरअसल, सबसे पहले ज्ञात जूते लगभग 8,000 ईसा पूर्व के हैं और शुरुआत में यह बुनी हुई घास से बनते थे। इन जूतों के डिजाइन सरल होते थे और यह कई तरीकों से उबड़-खाबड़ जगहों पर आपके पैरों को चोटिल होने से बचा लेते थे। मानव इतिहास में जूतों ने हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे न केवल हमारे पैरों की रक्षा करते हैं, बल्कि हमारी फैशन समझ, संस्कृति और सामाजिक स्थिति को भी दर्शाते हैं। बात जब महिलाओं के जूतों या फुटवेयर की आती है, तो यह एक नए विचार, शैली विकास और सामाजिक परिवर्तनों की एक आकर्षक कहानी कह जाती है। गौर करें, तो प्राचीन काल से लेकर आधुनिक फैशन तक, महिलाओं के जूतों ने एक पहचान स्थापित की है और ये जूते महिलाओं के लिए सशक्तिकरण को दर्शाते हुए आये हैं।
शुरुआत
अगर हम शुरुआत की बात करें, तो महिलाओं के जूतों के इतिहास के बारे में आपको यह जान लेना चाहिए कि इनके साक्ष्य आपको प्राचीन सभ्यताओं से मिलते हैं। मेसोपोटामिया में, लगभग 3500 ईसा पूर्व, महिलाएं बुने हुए नरकट या चमड़े से बने साधारण सैंडल पहनती थीं। हालांकि ये सैंडल गर्मी के मौसम के लिए हमेशा से अच्छे रहे और उबड़-खाबड़ इलाकों से सुरक्षा प्रदान करते थे। वहीं अगर प्राचीन मिस्र की बात करें, तो महिलाओं के जूते न केवल फंक्शनल थे, बल्कि सामाजिक स्थिति को भी दर्शाते थे, मतलब जो जितनी ऊंची जूतियां या हील्स पहनते थे, उतना ही उनका पद ऊंचा माना जाता था। अगर मिस्र की महिलाओं की बात करें, तो पपीरस की पत्तियों और चमड़े जैसी सामग्रियों का उपयोग करके अपने जूतों को जटिल डिजाइनों से तैयार किया गया था। वहीं महिलाओं के जूतों की अगर शुरुआती लुक की बात करें, तो यह सामाजिक पहचान को दर्शाने की कोशिश करते हैं।
रोमन साम्राज्य
रोमन साम्राज्य की बात करें, तो महिलाओं के जूते अधिक जटिल डिजाइन और सामग्रियों को शामिल करने के लिए विकसित हुए थे, जबकि महिलाएं डेकोरेटिव अंदाज और लुक में चमड़े के सैंडल पहनती थीं। बता दें कि रोमन महिलाओं ने "कैल्सी" नामक लेस वाले जूते भी खूब पहनें, जो कि व्यावहारिक और फैशनेबल दोनों ही हुआ करते थे।
मध्यकालीन यूरोप में हील्स
मध्ययुगीन यूरोप की बात करें, तो ऊंची एड़ी के जूतों यानी हील्स की शुरुआत के साथ महिलाओं के जूतों में एक खास ड्रैमैटिक मोड़ आया। पहले हील्स को केवल घुड़सवारी करने के लिए पहना जाता था और जूते उस तरह से डिजाइन भी किये जाते थे। लेकिन वे जल्द ही अभिजात वर्ग और उच्च फैशन का प्रतीक बन गए।
एक दिलचस्प जानकारी यह भी है कि मध्य युग में, जूते अक्सर व्यक्तिगत कारीगरों द्वारा बनाए जाते थे और धन और शक्ति का प्रतीक थे। पुरुष नुकीले जूते पहनते थे, जिन्हें पौलाइन्स के नाम से जाना जाता था, जो दो फीट तक लंबे हो सकते थे। जहां तक बात है कि महिलाओं के जूते की, तो अक्सर कढ़ाई और ज्वेलरी के रूप में एसेसरीज का इस्तेमाल हुआ करता था। अच्छी बात यह हुई कि समय के साथ हील्स ने ऊंचाई छोड़ी और धीरे-धीरे नीचे वाले यानी लोअर हील्स बनने की शुरुआत हुई। यह भी एक दिलचस्प जानकारी है कि 1846 में सिलाई मशीन के आविष्कार ने जूतों के उत्पादन को बढ़ा दिया और जूते को घर-घर तक पहुंचा दिया। फिर 20वीं सदी के आते-आते हुए जूतों ने फैशनेबल दुनिया में कदम रख लिया। खासतौर से हील्स, स्नीकर्स और जूतियां-जूते पॉपुलर होते चले गए। बाद में कई डिजाइनर इस क्षेत्र में आ गए।
हील्स
प्रथम विश्व युद्ध के आस-पास की बात है, लो हील्स को महिलाओं ने अपनी रोजाना गतिविधियों का हिस्सा बना लिया था। लेकिन धीरे-धीरे हाई हील्स और बूट्स ने एक बार फिर से अपनी जगह बना ली थी। वर्ष 1920-30 के दशक में फैशन की दुनिया में छोटे कपड़े जब फैशनेबल बन गए, तब हाई हील्स और अधिक लोकप्रिय हुआ। खासतौर से 30 के दशक में अक्सर देखा जाने वाला एक डिजाइन टी-स्ट्रैप हील काफी पसंद किया जाने लगा। 50 के दशक में सिलौट हील्स फैशन में आ गया। हालांकि यह हाई हील्स में बहुत कम्फर्टेबल शूज में से एक नहीं माना गया। 60 और 70 के दशक में हील की फैशनेबल दुनिया में क्यूबल हील्स की एंट्री हुई। यह कम्फर्ट और फैशन का हिस्सा बन गया। उस दौर में डांस और म्यूजिक महत्वपूर्ण होते थे। लोगों को डिस्को का भी शुमार चढ़ा था और इस वक्त चंकी हील्स की एंट्री हो गयी। आपको एक दिलचस्प जानकारी यह भी दे दें कि कभी ऊंची एड़ी वाले जूते लड़कियां ही नहीं, बल्कि लड़के भी पहनते थे। इसके बारे में पढ़ने पर पता चलता है कि फ्रांस के लुइस चौदहवें के दौर में पुरुषों में हाई हील्स पहनने का प्रचलन बढ़ा था। दरअसल, इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि उसकी लम्बाई कम थी, इस वजह से वह हील्स पहनता था। अपनी इस कमी को छुपाने के लिए उन्होंने 10 इंच की हील के जूतों से पूरा किया। लेकिन फिर वर्ष 1740 के दौर मेंपुरुषों ने ऊंची हील का इस्तेमाल करना बंद कर दिया।
बूट्स
बात अगर 80 के दशक की करें, तो इस दौर में पैरों को बंद रखने वाले डिजाइन की डिमांड बढ़ी और बूट्स अस्तित्व में आये अपनी पूरी लोकप्रियता के साथ। आम लोगों के साथ-साथ उन महिलाओं ने भी इसे पसंद करना शुरू किया, जो किसी न किसी रूप में आर्टिस्ट थे। बैंड्स के लोगों का भी स्टाइल सिंबल बना, तो लोगों ने उनसे भी इंस्पीरेशन लेना शुरू किया।
स्नीकर्स
अब स्नीकर्स लड़कियों और लड़के दोनों की ही पहली पसंद बन चुका है। ऐसे में एक दिलचस्प बात आपको बता दें कि स्नीकर्स शब्द का पहली बार प्रयोग एनडब्लू आयर एंड संस कंपनी के एडवरटाइजिंग एजेंट हेनरी नेल्सन ने किया था। साथ ही साथ आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 1887 में बोस्टन जर्नल ने जब रबर के सोल वाले जूते पहने, तो उन्हें स्नीकर कहा जाने लगा। स्नीकर्स शूज को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें पंप शू, टेनिस शू, ट्रेनर शू, रनिंग शू और पीटी शूज जैसे नाम प्रमुख हैं। स्नीकर्स बनाने की बड़ी वजह खिलाड़ी बने, क्योंकि स्नीकर में रबर के सोल होने की वजह से कभी आवाज नहीं आती थी, तो उन्हें इस्तेमाल किया गया। कई कंपनियों ने जब इन जूतों के ब्रांड बनाये, तो आम लोगों में खासतौर से महिलाओं में लोकप्रियता बढ़ी।
प्लैटफॉर्म्स
फिर 90 के दशक में प्लैटफॉर्म्स पसंद किया। धीरे-धीरे प्लैटफॉर्म्स लड़कियों की पहली पसंद बना। फिर धीरे-धीरे फ्लिप फ्लॉप्स ने भी जगह बनायीं। अब तो लगातार फैशन के लिहाज से तरह-तरह के स्पोर्ट्स शूज भी ट्रेडिशनल कपड़ों के साथ पहना जा रहा है और आसानी से कई तरह के डिजाइन और स्टाइल मिल रहे हैं।