भारतीय फैशन की खास बात यह है कि इसमें कलाकारी यानी पेंटिंग को भी काफी तवज्जो दी गई है, आइए जानें फैशन की दुनिया में कैसे फैब्रिक्स पर पेंटिंग करें।
कैसे चुनें फैब्रिक पेंट्स
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फैब्रिक पेंटिंग कपड़ों और जूतों से लेकर विभिन्न वस्तुओं को नए फैशनेबल अंदाज में बदलने का एक शानदार तरीका है। ऐसे में अगर गौर करें, तो कपड़ों के लिए ऐक्रेलिक पेंट बेहद अच्छे होते हैं। यही वजह है कि कई कलाकार इन्हें चुनते हैं, क्योंकि यह स्थिरता को भी बरक़रार रखता है और विभिन्नता को भी बरकरार रखता है। ऐक्रेलिक की खूबी होती है कि इस पेंट के साथ काम करना बेहद आसान होता है और यह अधिकांश कपड़ों पर टिकाऊ रूप से रहता है। और यह फैब्रिक्स आपके लिए सबसे सस्ते और कम बजट में मिलने वाले विकल्प में से एक है। फैब्रिक पेंट्स की बात करें तो साड़ियों, जूतों, सलवार सूट्स पर इसका खूब इस्तेमाल होता है।
पिगमेंट्स
पिगमेंट्स ऐसे कॉन्सेंट्रेटेड पाउडर होते हैं, जो कि लिक्विड, सोय मिल्क होते हैं, और इसे फैब्रिक पर पेण्ट करने से पहले इस्तेमाल किया जाता है। इसे वॉशिंग करने से पहले हीट सेट भी करना चाहिए। इससे आपकी फैब्रिक पर एक शानदार इफेक्ट भी आएगा।
फैब्रिक डाई
डाई किये हुए फैब्रिक भी पेंटिंग किये गए फैब्रिक के ही अंतर्गत आते हैं, इसलिए इन्हें भी सोच-समझ कर चुना जाना चाहिए। तो डाई ऐसे चुनें, जो आपके फैब्रिक को खराब न करें। गौर करें तो कुछ ऐसे भी इंक होते हैं, जो पेंट्स नहीं होते हैं और यह कई सारे फैब्रिक्स पर बहुत अच्छे से काम करते हैं।
किसी भी फैब्रिक को करें प्री वॉश
कोई भी फैब्रिक पहले से केमिकल युक्त होता है और इससे फिर आपको फैब्रिक पर कुछ भी पेंटिंग करने में दिक्कत होती है, इसलिए प्री वॉश करना बेहद जरूरी है। एक और खास बात का ध्यान रखना जरूरी है कि फैब्रिक पेंट में परतों के बीच में केमिकल बहने की संभावना होती है। इसलिए बेहतर है कि एक बैरियर जैसे कार्डबोर्ड का टुकड़ा का उपयोग किया जाए। आपको इन बातों का भी ख्याल रखना चाहिए कि कपड़े पर ऐक्रेलिक पेंट को सेट कैसे करना है। इसके लिए आपको हीट सेटिंग करनी चाहिए, इसके लिए आपको पेंट को सूखने के लिए 24 घंटे का समय दें, सूखी इस्त्री से मध्यम-धीमी आंच पर गर्म करें और फिर धोने से पहले चार से पांच दिन तक प्रतीक्षा करें।
मधुबनी पेंटिंग
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मधुबनी पेंटिंग भी एक अद्भुत प्राचीन पेंटिंग की कला है, ऐसे में इसे उत्तर भारत की एक प्राचीन प्रसिद्ध कला में से एक माना जाता है। इस पेंटिंग की कला की सबसे खास बात यह है कि इस अनूठी शैली का उपयोग महिलाएं समृद्धि और शांति के रूप में अपने घर की दीवारों और दरवाजों को सजाने के लिए करती थीं। मधुबनी हाथ से पेंट की गयीं साड़ियां उंगलियों, टहनियों, ब्रश, निब पेन और माचिस की तीलियों से बनाई जाती हैं और यह प्रकृति की विभिन्न शैलियों और पहलुओं को दर्शाती है। मधुबनी साड़ियां आज के दौर में विदेशों में भी खूब पहनी जाती हैं। यह मिथिला की महिलाओं द्वारा अपने रीति-रिवाजों और मान्यताओं को दिखाने का एक दिलचस्प तरीका भी है, जिन्हें वे साड़ियों पर पेंटिंग के माध्यम से दर्शाती हैं । महाकाव्य रामायण में मधुबनी कला के कुछ संदर्भ भी मिलते हैं, जिनमें सीता के पिता राजा जनक ने राजकुमार राम के साथ अपनी बेटी की शादी के लिए अपने चित्रकारों से दीवारों को मधुबनी पेंटिंग से सजाने के लिए कहा था। गौरतलब है कि मधुबनी साड़ियां भारत की समृद्ध कला को खूबसूरती से दर्शाती हैं, साथ ही इन पेंटिंग में पौराणिक पैटर्न, सूर्य, पेड़, फूल, मछलियां, बांस और कई अन्य चीजें भी साड़ी की सुंदरता को बढ़ाते हैं। खास बात यह भी है कि मधुबानी साड़ियों को टसर, घिचा सिल्क, क्रेप, देसी टसर सिल्क, कॉटन और शिफॉन जैसे कई कपड़ों पर चित्रित किया जाता है।
कलमकारी साड़ियां
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कलमकारी पेंटिंग भी साड़ियों पर कई तरह से की जाती है, यह आंध्र प्रदेश की कलाओं में से एक है। इस कला का मुख्य केंद्र मछलीपटनम और कलाहस्ती शहर है, ऐसे में कलमकारी साड़ियां फैशन के लिहाज से बेहद पसंद की जाती है। कलमकारी कागजों, मंदिरों और कपड़ों पर उकेरी जाती है। यह जानना दिलचस्प है कि कलमकारी कला कलम द्वारा की जाती है, लेकिन यह कई सालों पहले तक हुआ करता था, अब इसके ब्लॉक भी तैयार किए जाते हैं और फिर इन्हें कपड़े के प्रिंट पर उकेरा जाता है। मगर आज भी कई लोग डिजाइन तैयार करने के लिए चित्रकार कलम का ही इस्तेमाल करते हैं। यह जानना दिलचस्प है कि जहां मच्छलीपटनम के कलाकार ब्लॉक्स का इस्तेमाल करते हैं, वहीं कलाहस्ती के चित्रकार आज भी कलम से चित्र बनाना पसंद करते हैं। कलमकारी साड़ियां 700 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक मिलती है।
ओडिशा की संबलपुरी साड़ियां
ओडिशा के संबलपुर के एक गांव में संबलपुरी साड़ियों वालीं पेंटिंग बहुत होती है। कारडोला गांव चित्रकार लगातार मशहूर संबलपुरी साड़ी के डिजाइन को दीवारों पर पेंट करते हैं।
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