क्या आपने कभी सोचा है कि स्लीव्स जिसे हम आस्तीन कहते हैं, आखिर फैशन की दुनिया में इसने कदम कैसे रखा होगा, वर्तमान दौर में अब कई तरह के स्लीव्स पहने जा रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इसके इतिहास के बारे में।
जान लें इतिहास
स्लीव्स फैशन से जुड़ा एक स्टाइल स्टेटमेंट रहा है, जो लगभग हर देश में देखा गया है और हर अवधि के अनुसार इसमें बदलाव हुए हैं। दरअसल, बांहों के साथ जो स्लीव्स बनाये जाते हैं, ये उनमें से ही एक होती हैं। करीब-करीब अगर पूरी स्लीव्स की फिटिंग की बात करें, तो अपेक्षाकृत अनफिट और चौड़ी आस्तीन तक भिन्न-भिन्न होती हैं, इसके साथ ही देखें तो कुछ में बेहद चौड़े कफ होते हैं। इन दिनों कई तरह के स्लीव्स फैशन में आ चुके हैं। अगर हम बहुत ही पीछे, थोड़ा-सा ऐतिहासिक अध्याय पलट कर देखने की कोशिश करें तो प्रारंभिक पश्चिमी मध्ययुगीन आस्तीन(स्लीव्स) सीधे काटे जाते थे और सहजता देने के लिए अंडरआर्म त्रिकोण( ट्राइंगल) के आकार के गस्सेट का उपयोग किया जाता था।
शताब्दियों में बदला नजारा
दरअसल,धीरे-धीरे, जब हम 14वीं शताब्दी में पहुंचें, तो गोल आस्तीन(राउंड स्लीव्स) की शुरुआत हुई, जहां लोगों ने अधिक फिट रखी जाने वाली स्लीव्स का इस्तेमाल किया। होता यह था कि इससे आस्तीन( स्लीव्स) के सिर के चारों ओर आसानी होती थी और पीछे की ओर एक बड़ा कट होता था, जो कपड़े में आपको सांस लेने में दिक्कत नहीं करता था। चौदहवीं शताब्दी में गौर करें तो बाहरी अंगरखा के साथ स्लीव्स फैशन में आ चुकी थी और एल्बो तक पहुंचते-पहुंचते यह कफ खत्म हो जाती थी। वहीं पंद्रहवीं सदी की शैलियों में बिशप स्टाइल भी शामिल था, यह कलाई पर भी फिट होती है और गद्देदार कंधे की स्टाइल होती थी। वहीं 1560 के दशक में अपस्टैंडिंग पफ स्लीव्स भी काफी लोकप्रिय रहे। ट्रंक स्लीव्स भी फेमस रहे। 18 वीं शताब्दी की बात करें, तो महिलाओं के लिए जो गाउन हुआ करते थे, वो एल्बो से फिट होते थे और उन्हें डीप कफ के साथ फिनिश किया जाता था और इन्हें फनल स्लीव्स भी मानते थे। फिर वर्ष 1930 में पफ स्लीव्स मटन स्लीव्स के रूप में लोकप्रिय हुआ और बाद में एलिफेंट स्लीव्स की लोकप्रियता बढ़ती गयी। बेल स्लीव्स की जहां तक बात है, यह फैशन में वर्ष 1840 के दौरान आया। फिर डोलमान स्लीव्स की भी चर्चा रही। फिर जब हम 19वीं शताब्दी में प्रस्थान कर गए, चीजें और बदल गयीं, इस दौरान विक्टोरियन युग ने लोकप्रियता हासिल की और पश्चिमी संस्कृति बहुत अधिक चर्चे में रहा। इस दौरान कई बार महिलाओं की पोशाक की स्लीव्स बेहद चौड़ी, गोल या गुब्बारों की तरह फूली हुई नजर आने लगीं, जिससे पोशाक के आकार को सहारा देने में काफी आसानी हो गयी। आधुनिक समय में कई तरह के स्लीव्स काफी लोकप्रिय हो चुके हैं।
1920-1930 भी रहा खास
फैशन की दुनिया की बात करें तो 1920 के दौर में और कई बदलाव हुए, जिन्हें समझना बेहद जरूरी है, खासतौर से फैशन के लिहाज से कई सारे नए बदलाव आ गए थे, जहां तक स्लीव्स के बदलाव की बात करें, तो उस दौर में महिलाएं शाम में जो भी गाउन पहना करती थीं, उन्हें छोड़ कर, जो दिन भर कपड़े पहनती थीं, वे छोटे स्लीव्स के होते थे, ताकि खाना बनाते हुए या कोई भी घरेलू काम करते हुए परेशानी न आये।
वहीं फिटेड स्लीव्स में थोड़ी जगह छोड़ी जाने लगी थी, ताकि यह आपके शरीर को किसी भी तरह से दिक्कत न दे और सांस लेने में आसानी हो। वहीं 1930 में स्लीव्स मीड लेंथ और पतली हुई करती थीं। घर के कपड़ों की बात करें तो वाइडर यानी चौड़े कंधे वाले या पफ स्लीव्स अधिक लोकप्रिय हुए। साथ ही कैपलेट वाले स्लीव्स या आस्तीन लोकप्रिय हुए और ये स्लीव्स एकदम छोटी-सी नजर आती थी। इन्हें बटरफ्लाई आस्तीन भी कहा जाता था।
1940-1950-1960 में भी बदले ट्रेंड
बात अगर 1940 की की जाए, तो 1940 में एल्बो से ऊपर के स्लीव्स पहनना बंद हो चुका था। उस दौर में कफ भी अधिक लोकप्रिय नहीं हो रहे थे। 40 से छोटे स्लीव्स की शुरुआत हो गई थी और केप स्लीव्स इन्हें कहते हैं। वहीं 1950 से 1960 की बात करें तो स्लीव्स थोड़े लंबे, छोटे, कि स्लीव्स और स्लीवलेस भी ट्रेंड में आये। पफी स्लीवस लेकिन फिर आउट ऑफ ट्रेंड हुए। फिर 1980 में 1990 में फिर से डोलमैन स्लीव्स, जिन्हें बैटविंग स्लीव्स भी कहते हैं इसने भी लोकप्रियता हासिल की।
फिर आया 2000 का जमाना
बिशॉप और फ्लोन्स स्लीव्स फिर से फैशन में लौट आया और बेल स्लीव्स की सबसे बड़ी लोकपिर्यता बढ़ी।
साथ ही एक्सट्रा लॉन्ग स्लीव्स ने भी कमाल किया, क्योंकि इस दौर में ओवर साइज्ड ड्रेसेज पसंद किये जाने लगे। साथ ही ऑफ शोल्डर स्लीव्स ने भी ट्रेंड करना शुरू किया। अभी भी यह स्लीव्स काफी लोकप्रिय रहे। यही नहीं इनके साथ-साथ कोल्ड शोल्डर्स भी लोकप्रिय होने लगे। वर्तमान दौर में भी यह स्लीव्स काफी लोकप्रिय रहा।
कुछ खास स्लीव्स
फैशन के होनहारों ने स्लीव्स को खासतौर से दो श्रेणियों में बांटा है, इन्हें सेट इन स्लीव्स और वन पीस स्लीव्स के रूप में जाना जाता है। सेट इन स्लीव्स को नॉर्मल स्लीव्स माना जाता है जो कि राउंडेड स्लीव केप के साथ बढ़ले हैं। वहीं दूसरी स्लीव्स की बात करें तो शर्ट स्लीव्स होते हैं। वहीं रागलन स्लीव्स की बात करें, तो यह एक ऐसी स्लीव्स है, जो ब्लाउज से जुड़ी रहती है, और उसकी जो डायगोनल सीम होता है, वह अंडरआर्म के सामने और पीछे से नेकलाइन तक रहती है। केप स्लीव्स के बारे में बात करें तो यह आर्म्स को ऊपर की तरफ से कवर करते हैं। एक्सटेंंडेड केप्स स्लीव्स की बात करें तो यह कंधों से एक्सटेंशन देता है। फिर ब्रासलेट स्लीव्स की बात करें, तो एल्बो( कोहनी) और रिस्ट (कलाई) से पहनी जाने वाली स्लीव्स काफी लोकप्रिय हैं। एक और स्लीव्स जो लोकप्रिय मानी जाती है, वह है लालटर्न स्लीव्स, यह लॉन्ग स्लीव्स में से एक होती है। इनके अलावा, फ्लटर स्लीव्स और बैट्विंग्स काफी लोकप्रिय माना जाने लगा, खासतौर से फैशन डिजाइनर ने लगातार इन स्लीव्स में कई बदलाव किये हैं और लोगों तक फैशन को आधुनिक बना कर रखने की कोशिश की है।