हृदय के कई रोग, ब्लड प्रेशर की समस्याएं और नींद संबंधी विकार मानसिक और भावनात्मक कारणों की आपस में जटिल क्रिया से होते हैं। आज के दौर में यह चक्र चिंता और न्यूरोसिस के दुष्चक्र में विकसित हो गया है। योग पूरी जीवनशैली में सुधार करते हुए स्वास्थ्य संबंधी देखभाल को और बेहतर करता है और इस दुष्चक्र को तोड़ता है। आइए जानते हैं योग एक्सपर्ट डॉ हंसा योगेंद्र से। डॉ हंसा 1918 में स्थापित दुनिया के सबसे प्राचीन संगठित योग केंद्र, द योग इंस्टीट्यूट की निदेशक हैं। साथ ही वह इंडियन योग एसोसिएशन और इंटरनेशनल योग बोर्ड की अध्यक्ष भी हैं।
Image Credit : Dr Hansa Yogendra
योगिक जीवन शैली
योग केवल एक्सरसाइज नहीं है, बल्कि पूरे जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने का माध्यम है। योग करने से पहले आपको अपने नजरिए में बदलाव लाना होगा और स्वयं को लेकर नए सिरे से जागरूक होना होगा। योग के साथ अपनी खान-पान की आदतों, शारीरिक सक्रियता, दिनचर्या, आराम और सही दृष्टिकोण को बढ़ावा देने वाली संतुलित मानसिक स्थिति के साथ व्यक्ति हृदय रोगों से बचाव कर सकता है।
जैसा कि डॉ जयदेव जोर देकर कहते हैं, 'बीमारी का इलाज हमारा प्राथमिक उद्देश्य नहीं है ‘, यह सिर्फ एक उपकरण है, एक प्रकार की प्रेरणा है, जिससे हमें लोगों को यह समझाने में मदद मिल सके कि उनकी जीवनशैली में बदलाव की जरूरत है।'
आहार संबंधी विकल्प
हृदय के स्वास्थ्य के लिए पहली चीज है सात्विक आहार, जिसमें कम वसा, नमक और प्रोटीन होता है। यह आसानी से पचने योग्य ताजा सलाद, सब्जियां, फल और हर्बल चाय वाला आहार होता है। तम्बाकू और शराब के सेवन पर नियंत्रण रखना बहुत ज़रूरी है।
योगिक तकनीकें
योग में सुरक्षित शारीरिक व्यायाम से हृदय प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया जाता है। बेहतर होगा आप एक कुशल और अनुभवी प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में योग करें ताकि ज्यादा फायदा हो और कोई गलती न हो।
कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य के उद्देश्य से आसन योग अभ्यास का एक अनिवार्य हिस्सा है। पर्वतासन, यष्टिकासन और मत्स्यासन जैसे स्ट्रेचिंग आसन और शवासन जैसे विश्राम आसन हृदय के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
पर्वतासन
यह मुद्रा हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाती है। इस तरह हमारा हृदय कुशलतापूर्वक अपना काम कर पाता है। यह आमतौर पर योगासनों के भाग के रूप में या शुरुआती मुद्रा के रूप में किया जाता है। कुछ विविधताओं के लिए सांस रोककर रखने की आवश्यकता होती है, लेकिन हृदय रोगियों को किसी भी योग क्रम के दौरान लगातार सांस लेते रहने की सलाह दी जाती है। पर्वतासन को सुबह खाली पेट तीन बार किया जा सकता है। हर बार अंतिम मुद्रा को 3-5 सेकंड तक बनाए रखने का प्रयास करें। इस आसन को शाम को भोजन के लगभग 2-3 घंटे बाद भी दोहराया जा सकता है।
यष्टिकासन
यष्टिकासन, मांसपेशियों में खिंचाव और जुड़ाव के माध्यम से ब्लड सर्कुलेशन को प्रवाहपूर्ण बनाता है, तनाव घटाते हुए हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसका अभ्यास खाली पेट, सुबह और भोजन के कुछ घंटों बाद किया जा सकता है। इस दौरान 15-30 सेकंड के लिए मुद्रा में रहना और इसे 3 बार दोहराना सबसे अच्छा है।
मत्स्यासन
यह मुद्रा हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह सीने को पूर्ण रूप से खुलने के लिए पसलियों (rib) को फैलाती है और फेफड़ों की क्षमता में सुधार करते हुए सांस को गहरी करती है। इससे हृदय में ऑक्सीजन का संचार बढ़ सकता है। यह आसन थायरॉयड ग्रंथि (thyroid gland) को भी उत्तेजित करता है, जिससे हृदय गति नियंत्रित रहती है। इसका अभ्यास सुबह खाली पेट और भोजन के कम से कम 4-6 घंटे बाद करना सबसे अच्छा है। शुरुआत में 15 सेकंड के लिए इस मुद्रा में बने रहें, धीरे-धीरे 2 मिनट तक बढ़ते रहें। इसका अभ्यास सुबह-शाम करें।
शवासन
शवासन हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे तनाव घटता है और विश्राम को बढ़ावा मिलता है। शरीर को पूरी तरह से आराम में लाकर और मन को शांत करते हुए शवासन तनाव के स्तर को कम करने और तनाव पैदा करने वाले हार्मोन के उत्पादन को कम करने में मदद कर सकता है। यह हार्मोन हृदय की समस्याओं में योगदान करते हैं। यह आम तौर पर योग सत्र के अंत में या अलग से विश्राम के अभ्यास के रूप में किया जाता है। आदर्श रूप से, इसका अभ्यास प्रतिदिन 5-10 मिनट तक किया जाना चाहिए, लेकिन गहन विश्राम चाहने वालों के लिए लंबी अवधि भी प्रभावी है। योग दिनचर्या में शामिल करने पर शवासन की ध्यानात्मक गुणवत्ता हृदय को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकती है।
प्राणायाम
प्राणायाम योग का एक अन्य प्रमुख हिस्सा है जो हृदय के स्वास्थ्य में योगदान देता है।
योगेंद्र प्राणायाम में समान अवधि तक सांस लेना और छोड़ना, तनाव कम करना और तंत्रिका तंत्र(nervous system) पर शामक प्रभाव उत्पन्न करना शामिल है। यह शांत प्रभाव पुराने तनाव के कारण हृदय पर पड़ने वाले तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
घुटनों को मोड़कर पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले योगेंद्र प्राणायाम-4 से उच्च रक्तचाप कम होते पाया गया है। सांस लेने की तकनीक फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाती है और रक्त को ऑक्सीजन प्रदान करती है, जिससे हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
मुद्राएं बढ़ाती हैं शरीर के भीतर ऊर्जा प्रवाह
विशेष रूप से, हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए योनि मुद्रा का एक मिनट के लिए अभ्यास किया जा सकता है। इस मुद्रा में अंगुलियों को इंद्रियों के ऊपर रखना शामिल है। यह सेंसरी इनपुट को कम करता है और माना जाता है कि यह हृदय की ऊर्जा में सामंजस्य स्थापित करता है और भीतर शांति और संतुलन की भावना को बढ़ावा देता है।
जीवन के प्रति दृष्टिकोण
जीवन के प्रति एक सकारात्मक रवैया अपनाना महत्वपूर्ण है। तनाव और परेशानियों से निपटने के लिए विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें और रोजमर्रा की स्थितियों पर अत्यधिक प्रतिक्रिया करने से बचें। अपने दिन की शुरुआत ध्यान या सुखदायक भक्ति संगीत जैसी शांत गतिविधियों से करें। इत्मीनान से टहलना, भ्रामरी प्राणायाम और ओम का जाप विश्राम को और बढ़ा सकता है।
स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना
अपने कर्तव्यों के क्रम को ठीक से समझें। व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, उसके बाद परिवार की देखभाल, बिना थके सभी कार्यों में कुशलता, सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वाह और परम पिता परमेश्वर के प्रति प्रतिबद्धता। यह समझ एक सामंजस्यपूर्ण, संतुलित और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देती है।
अनुचित तनाव से बचने के लिए काम के दौरान जागरूकता और शांत मानसिकता बनाए रखें। नियमित शारीरिक गतिविधि, जैसे तेज चलना, दिल को मजबूत बनाता है। जीवन पर एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करना, धर्मग्रंथ पढ़ना, खुशी के पलों को संजोना और शौक पूरा करना समग्र कल्याण में योगदान देता है।
निरंतरता बनाए रखें
स्वस्थ आदतों का पालन करना महत्वपूर्ण है। बार-बार अपनी सोच को बदलते रहना प्रगति में बाधा बन सकते हैं। योग-आधारित हृदय कल्याण अभ्यास के लाभ प्राप्त करने के लिए समर्पण और निरंतरता आवश्यक है। योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करने से हृदय स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकता है।
योग आहार विकल्पों, व्यायाम, दृष्टिकोण समायोजन, प्राथमिकता और समग्र कल्याण के माध्यम से हृदय स्वास्थ्य के पोषण के लिए एक पूरी रणनीति देता है। योगिक तकनीकें शरीर और दिमाग को मजबूत करने, हृदय को स्वस्थ बनाने में भूमिका निभाती हैं। योग मुद्राओं और श्वास व्यायामों के माध्यम से, महिलाएं और पुरुष दोनों अपने लचीलेपन में सुधार कर सकते हैं, तनाव कम कर सकते हैं, नींद की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं और चिंता कम कर सकते हैं। इससे आनंदमय जीवन जीया जा सकता है।