मान लीजिए कि आप किसी की बर्थ डे पार्टी में गए हैं और वहां आपने देखा कि जिस दोस्त की बर्थ डे पार्टी में आप गए हैं, उसकी बहन ने आप से बहुत झल्ला के बात की और ग़ुस्से में वहां रखे सामान को तोड़-फोड़ दिया. अब आपके दिमाग़ में यह बात घर कर गई कि अरे, वह तो शॉर्ट टेम्पर्ड है या फिर आप किसी दोस्त की गर्लफ्रेंड से मिलने जा रही हैं और आपके दोस्त ने ही अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में बहुत अलग बातें बता रखी हैंतो ज़ाहिर सी बात है कि आपके ज़ेहन में एक छवि बनेगी. लेकिन आप जब उनसे मिलती हैं तो वह आपको एकदम अलग दिखती हैं, इसे ही किसी के बारे में पूर्व अवधारणा बनाना कहते हैं, जिसमें आप किसी के बारे में पहले से ही एक छवि बना लेते हैं और फिर उसके आधार पर आप लोगों को ‘जज’ करते हैं तो जान लें कि यह बातबिल्कुल सही नहीं है. क्यों? आइए, इसके बारे में जानें
ग़लतफ़हमियों को देती है जगह
आप और आपके लाइफ़ पार्टनर के बीच, कई बार ऐसा होता है कि साथ रहते-रहते आप इन बातों से वाक़िफ़ हो जाते हैं कि वे आगे क्या कहने वाली हैं या क्याकहने वाले हैं. इसके आधार पर आप हर सिचुएशन के बारे में अनुमान लगा लेते हैं कि वे ऐसे ही रिऐक्ट करेंगी या करेंगे. ऐसे में यह बात तो तयशुदा है कि इससे केवल ग़लतफ़हमियों को ही जगह मिलेगी. कभी भी पहले से किसी के बारे में सोच बना कर रखना सही नहीं है. कोई भी इंसान, पूरी तरह ग़लत या सही नहीं होता है और हर समय स्थिति एक जैसी नहीं होती, जो वह एक तरह से बर्ताव करेगा. इसलिए ज़रूरी है कि आप किसी के बारे में सोच कर न रखें, इससे केवल ग़लतफ़हमियां ही होंगी. साथ ही यह रिश्तों में नेगटिविटी और दरार तक आ सकती है.
जज करने की आदत है बुरी
यह हमारी किसी को लेकर पूर्व अवधारणा ही होती है कि हम सामने वाले इंसान को जज करने लगते हैं कि अरे ये तो ऐसा ही है, वो तो वैसी ही है. किसी को जज करना सरासर ग़लत है. इससे बहुत संभव है कि आप किसी इंसान को आप ग़लत समझ कर बैठ जाएं, लेकिन वास्तविकता में हो सकता है कि वह इंसान गलत हो या न भी हो. इसलिए जज करने की प्रवृति ख़ुद से अलग कर लेना ही बेहतर है.
सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास न करें
आप किसी की एक छवि अपने मन में तब भी बना लेते हैं, जब उनके बारे में कई लोगों से सुनते हैं. लेकिन हक़ीक़ में जब आप उनसे मिलते हैं तो आपका नज़रिया बदलता है. आपको बातें समझ आती हैं कि अरे, इसके बारे में तो मैंने बहुत ही ग़लत सोच लिया था. इसलिए ज़रूरी है कि आप किसी की सुनी सुनाई नहीं, बल्कि अपनी आंखों देखी पर विश्वास करें. हो सकता है कि आपके साथ उस व्यक्ति ने जैसा बर्ताव किया है, दूसरे के साथ वैसा न किया हो. इसमें बहुत कुछ परिस्थितियों की भी वजह होती है. इसलिए इन बातों को समझना ज़रूरी है कि आप सिर्फ़ अपनी अक़्ल से काम लें. किसी के कहे पर किसी की छवि न बनाएं.
आधी-अधूरी जानकारी होना
किसी के बारे में पहले से कोई भी अवधारणा बना लेना बेहद आसान तरीक़ा होता है, क्योंकि इससे आप कुछ लोगों की नज़रों में अच्छे बनते हैं और आपको उन लोगों के साथ बुराई करने या गॉसिप करने का एक विषय मिल जाता है. तो आप किसी के बारे में आधी-अधूरी जानकारी लेकर भी ख़ुश होते हैं और गॉसिप करते रहते हैं. जबकि यह समझना बेहद ज़रूरी है कि इससे उस इंसान की ग़लत छवि का प्रचार लोगों के सामने हो रहा है, जो कि हरगिज़ सही नहीं है.
कपड़ों से, लुक से न लगाएं अनुमान
एक और बुरी आदत, जिससे हम सभी ग्रसित होते हैं, वह यह है कि हम लोगों को उनकी बातों और विचारों से कम, वे कैसे दिखते हैं, कैसे कपड़े पहनते हैं, इन बातों से अधिक जज करने लगते हैं और अनुमान लगाने लगते हैं. ऐसे में अचानक हमारे सामने कई चकित करने वाली सच्चाई आती है तो हमारी आंखें फटी की फटी रह जाती हैं इसलिए कभी भी किसी के लुक या उनके कपड़े या उनकी लाइफ़स्टाइल से अनुमान न लगाएं. याद रखें, जहां बहुत पैसे वाले लोग भी अच्छे या बुरे होते हैं, वहीं कम पैसे वाले लोग भी ईमानदार और बेईमान हो सकते हैं. पहले से किसी के बारे में अवधारणा बनाना बिल्कुल सही नहीं है.