कोविड ने पूरे देशभर में एक नई प्रणाली की शुरुआत की, वह है सबकुछ ऑनलाइन. अब यही न्यू नॉर्मल है. अब न सिर्फ़ आपको वर्क फ्रॉम होम करना है, बल्कि आपके बच्चों का भी ज़्यादातर समय ऑनलाइन पर ही गुज़रता है. कुछ सालों पहले हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते थे कि बच्चों को मोबाइल और कंप्यूटर से दूर रखा जाए, अब न चाहते हुए भी बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज़ के लिए घंटों कंप्यूटर और मोबाइल के सामने बैठना ही पड़ रहा है. ऐसे में जबकि अब हमारे हाथ में नहीं कि उन्हें ऑनलाइन से हटाया जाए, यह बेहद ज़रूरी है कि उनकी लाइफ़स्टाइल को ख़राब न होने दिया जाए और उन्हें आलसी न बनने दिया जाए.
फ़िज़िकल ऐक्टिविटी है बेहद ज़रूरी
अब चूंकि आपके बच्चे का समय घर में ही अधिक बीत रहा है, वे सिर्फ़ मोबाइल लेकर किसी कोने में जमे रहना पसंद कर रहे हैं. न तो वे खेलने के लिए बाहर दोस्तों के साथ जाते हैं, न ही वे किसी अन्य गतिविधियों का हिस्सा बन रहे हैं. ऐसे में वे बहुत ज़्यादा आलसी होते जा रहे हैं. ज़ाहिर है कि उनका वज़न तो इससे बढ़ेगा ही, हेल्थ से जुड़ी और भी कठिनाइयां सामने आ सकती हैं. इसलिए ज़रूरी है कि आप यह नियम बना दें कि हर दिन कम से कम शाम में एक घंटे, वह कुछ न कुछ फ़िज़िकल ऐक्टिविटी ज़रूर करे, ताकि वह फ़िट रहे और उसे किसी भी तरह की बीमारी न हों.
घर में न रखें मंचिंग वाले स्नैक्स
इन दिनों वर्क फ्रॉम होम हो जाने से बच्चों से लेकर बड़ों तक की यह परेशानी हो गई है, उन्हें हर वक़्त कुछ न कुछ खाने की तलब होती रहती है.
ऐसे में हर समय बच्चों के लिए हेल्दी स्नैक्स बनाने का समय किसके पास है, सो वे घर पर पैकेज्ड स्नैक्स लाकर रख देते हैं और नतीजन आपके बच्चे, अपनी क्लास के दौरान उन स्नैक्स को खाते रहते हैं. इससे वे ओवरईटिंग के शिकार तो हो ही रहे हैं, साथ ही बहुत सारा जंक पेट में जाने से उनको पेट से जुड़ी और दांतों से जुड़ीं समस्याएं हो रही हैं. इसलिए पैरेंट्स को चाहिए कि वे इन बातों का ख़्याल रखें. हफ़्ते में किसी एक दिन थोड़ा समय निकाल कर, कुछ हेल्दी स्नैक्स, जैसे- ड्राई फ्रूट्स या मूंगफली आदि को को हल्का सा भूनकर उसमें नमक मिलाकर बना दें. कुछ इस तरह के हेल्दी स्नैक्स बना कर रख दें. अव्वल तो ओवरईटिंग और हर वक़्त कुछ न कुछ खाने वाली आदत ही न लगाएं. कोई सिनेमा थिएटर में तो आपके बच्चे आए नहीं है, पढ़ाई कर रहे हैं. सो, उन्हें भी इस बात का एहसास होने दें.
वक़्त पर दें खाना
आप अपने वर्क फ्रॉम होम के चक्कर में हो सकता है कि कई बार अपना खाना भी समय पर खाना भूल जाएं और बच्चों का भी समय पर न दे पाएं. लेकिन इसके लिए आपको कैलेंडर पर नोट या रिमाइंडर लगा कर रखना होगा, ताकि आप समय पर कोई भी मील स्किप न करें. अपने बच्चों को तीनों मील समय पर दें.
बच्चों की आंखों का रखें ख़ास ख़्याल
एक काम तो पैरेंट्स को ज़रूर करना चाहिए और वह यह है कि बच्चों का क्योंकि ज़्यादातर समय कंप्यूटर और मोबाइल पर गुज़र रहा है, ऐसे में उनकी आंखों का ख़्याल रखें, क्योंकि आंखों पर इसका काफ़ी असर हो रहा है. तो बच्चों की आंखों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी ग्लासेज़ कम्प्यूटर में लगा लें. साथ ही बच्चों की आंखों की समय-समय पर जांच करवाती रहें. ऐसे आहार बच्चों के खाने में अधिक शामिल करें, जो आंखों के लिए अच्छे हों. बच्चों की आंखों के सामने ऐसी खाने पीने वाली चीजें रख दें, जो हेल्दी हैं. हर दिन एक फल जरूर दें. साथ ही, साग-सब्ज़ियां भी खिलाती रहें. साथ ही बच्चों को पानी पीने की आदत लगाएं. एक दिन में कम से कम 6 गिलास पानी उनको पीना ही है. बच्चों को लगातार कंप्यूटर पर न बिठाएं. एक क्लास ख़त्म होने के बाद, कम से कम पांच मिनट का ब्रेक ज़रूर दें बच्चों को. इससे बच्चे रिफ्रेश रहेंगे और फिर उन्हें थकान भी महसूस नहीं होगी.
हर दिन अच्छी नींद हो बच्चों की
ऑनलाइन क्लासेज़ और गैजेट्स की लत के कारण, रात को भी बच्चे बिस्तर पर गैजेट्स लेकर सोते हैं, इससे वे देर रात तक सो नहीं पाते हैं और फिर उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है. इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने बच्चों की नींद पर भी ध्यान दें. हर दिन 6 से 8 घंटे की नींद उनको पूरी करनी ही है. इस बात का ख़ास ख़्याल रखें. अगर उन्हें नींद आने में प्रॉब्लम हों तो अच्छी राइम या बेड टाइम स्टोरी सुनाएं.