अक्सर यह बात बिना किसी हिचक के लोग कह देते हैं कि मैं अपने मोबाइल के बिना नहीं रह सकता हूं। मैं अपने मोबाइल के साथ सोता हूं और उसके साथ ही उठता हूं। अगर आप भी इसी सोच तरह की लाइफस्टाइल जीने वाले लोगों की फेहरिस्त में शामिल हैं, तो आज ही अपनी आदत को बदल लें, क्योंकि मोबाइल के हानिकारक विकिरण आपके शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं। दरअसल, मोबाइल फोन के हानिकारक विकिरण से कैंसर सहित कई दूसरी गंभीर बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है, जानकारों की मानें तो मोबाइल विकिरण (मोबाइल रेडिएशन) हृदय रोग और डायबिटीज की बीमारी को भी बढ़ाने में कारगर है। कुल मिलाकर यह आपको शारीरिक से लेकर मानसिक तौर पर कई गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता हैं। तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि मोबाइल विकिरण के काम करने के कुछ प्रभावी उपाय, जिसे अपनाकर हानिकारक विकिरण से खुद को दूर रखा जा सकता है।
फोन से निश्चित दूरी बनाएं
फोन से एक निश्चित दूरी आपको विकिरण( रेडिएशन) के सीधे असर को कम कर सकती है। मौजूदा दौर में फोन हम सब की जिंदगी का अहम हिस्सा है, ऐसे में मोबाइल से दूरी हम चाहकर भी नहीं बना सकते हैं। हां , मगर कुछ तरीकों को अपनाकर हम थोड़ी बहुत दूरी बना सकते हैं, जो हानिकारक विकिरण(रेडिएशन) के सीधे प्रभाव से भी हमें दूर कर सकती है। आप अपने सिर और सेल फोन के बीच अधिक दूरी रखने के लिए स्पीकर मोड, हेड फोन या ईयर बड्स का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। अगर आपकी बातचीत वॉइस कॉल के बजाय टेक्स्ट मेसेजिंग के जरिये हो सकती है, तो अपने हेल्थ के लिए ज्यादा से ज्यादा इसी माध्यम से बातचीत करने की कोशिश करें ।
लैंडलाइन को लाइफस्टाइल में जोड़ें
ओल्ड इज गोल्ड अक्सर यह कहावत सुनने को मिलती है। मौजूदा दौर के सेलफोन या वायरलेस लैंडलाइन के बजाय ९० के दशक का वायर वाला लैंडलाइन फोन के लिए यह बात कही जा सकती है। अगर आपके घर या ऑफिस में अब भी यह फोन मौजूद है तो लंबे समय तक होने वाली बातचीत के लिए इसी लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा विकल्प है। रिपोर्ट्स की मानें तो जब एक वायरलेस फोन आपके करीब होता है, तो 50 प्रतिशत से अधिक रेडिएशन आपके मस्तिष्क और शरीर में अवशोषित(एब्जॉर्ब्ड) हो जाता है। लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल कर आप 50 प्रतिशत तक इस रेडिएशन को कम कर सकती हैं।
मोबाइल डेटा को समय-समय पर करें बंद
दिन के कुछ घंटे ऐसे भी होते हैं, जब मोबाइल फोन पर हमारी निर्भरता सिर्फ कॉल आने तक की होती है। जब आप सिर्फ कॉल के लिए सेल फोन का उपयोग कर रहीं हैं हों तो उन एंटेना को बंद कर दें, जिनका आप उपयोग नहीं कर रही हैं। उदाहरण के लिए, इंटरनेट का उपयोग न करने पर मोबाइल का डेटा बंद कर दें। जरूरत न होने पर ब्लूटूथ और हॉटस्पॉट को भी बंद कर दें। कोशिश करें कि इनका इस्तेमाल करने के तुरंत बाद ही इन्हें बंद कर दें।अन्यथा,सभी एंटेना हर समय संचारित होते रहते हैं और उससे मोबाइल विकिरण का प्रभाव भी बढ़ जाता है। मोबाइल विकिरण (रेडिएशन) को कम करने के लिए जब जरूरत न हो तो आप अपने फोन को कुछ समय के लिए फ्लाइट मोड पर भी रख सकती हैं।
सिग्नल कमजोर होने से फोन से बनाए दूरी
सिग्नल कमजोर होने पर कॉल करने से बचें, क्योंकि इससे सेल फोन आरएफ ट्रांसमिशन पॉवर को बढ़ावा देता है, जो हानिकारण विकिरण को सीधे हमसे जोड़ देता है। ध्यान रखें कि जब आप खराब नेटवर्क एरिया में हो या फिर मेटल से बने वाहनों जैसे कार, बस, ट्रेन, हवाई जहाज और लिफ्ट के अंदर, तो कॉल लेना अवॉयड करें क्योंकि इस दौरान आपका फोन अधिकतम मात्रा में विकिरण उत्सर्जित(एमिटेड) करता है। दरअसल, जब आपके फोन में सेल टॉवर की एक या दो लाइन ही मोबाइल में दिखती हैं, तो इस दौरान फोन का नेटवर्क निकटतम सेल टावर तक पहुंचने के लिए आरएफ विकिरण पावर आउटपुट को 1000 गुना से अधिक बढ़ा सकता है, जो हमारी बॉडी के लिए बहुत हानिकारक है ।
फोन के बिना सोएं
फोन हमारी दिनचर्या के 24 /7 का हिस्सा है। अधिकतर लोगों के दिन की शुरुआत फोन के साथ होती है और लोग फोन को अपने आसपास लेकर ही सोना पसंद करते हैं। लेकिन यह हमारे शरीर के लिए सबसे हानिकारक है, क्योंकि जागते हुए हमारी बॉडी रेडिएशन से लड़ने की कोशिश करती हैं, लेकिन जब आप सो रहे होते हैं, तो आपके शरीर की सुरक्षा सबसे कमजोर होती है। नींद की अवस्था के दौरान बायोलॉजिकल रिपेयर प्रक्रियाएं शुरू होती हैं। सेल फोन विकिरण और ईएमएफ बॉयलॉजिकल रेपियर को बाधित कर सकता है और बेचैन करने वाली नींद का कारण बन सकता है। सोते हुए फोन को अपने आसपास न रखकर आप 25 से 40 प्रतिशत तक मोबाइल रेडिएशन के काम किया जा सकता है।
बच्चों को ऐसे बचाएं मोबाइल रेडिएशन से
बच्चे के रोने से ही मोबाइल बच्चे के हाथों में पकड़ा देना उसे सीधे तौर पर रेडिएशन का शिकार बना रहा है। मोबाइल बच्चों के लिए कितना हानिकारक यह बात कई शोधों में सामने आ गयी है, लेकिन आपकी यह दलील रहती है कि आप अपने बच्चों को स्टडीज या गेमिंग के हिसाब से कुछ समय के लिए मोबाइल देती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि जब भी मोबाइल दें, उसके स्टडीज या गेमिंग से जुड़े वीडियोज को सबसे पहले अपलोड कर लें। उसके बाद अपने फोन को फ्लाइट मोड में करके अपने बच्चों के हाथों में दें। इससे आप अपने बच्चे को हानिकारक मोबाइल रेडिएशन से बचा सकती हैं।
फोन को रखें पर्स या हैंडबैग में
फोन को अपने पॉकेट्स में रखना कई लोगों की आदत में शुमार है, यह ऐसी आदत है, जिससे हम मोबाइल विकिरण का शिकार सबसे आसानी से होते हैं।हमें पता भी नहीं होता है। कई बार नेटवर्क वीक एरिया में हम होते हैं और रेडिएशन 100 गुना बढ़कर एक्टिव हो जाता है। ऐसे में अगर दिल और प्राइवेट पार्ट्स के आसपास मोबाइल की मौजूदगी कई तरह की बीमारियों को हमसे जोड़ देती है और हमें इसका पता भी नहीं चलता है, जिसमें फर्टिलिटी इश्यूज भी शामिल हैं, इसलिए हमेशा फोन को अपने शरीर से दूर किसी पर्स या बैग में ही रखें। अगर कभी आपके पास बैग या हैंडबैग मौजूद नहीं है और आपके पास फोन को रखने का कोई विकल्प नहीं है, तो आप अपने जीन्स या पैंट की बैक पॉकेट में इसे रखें और इस बात का भी ध्यान रखें कि मोबाइल का मुंह आपकी बॉडी की तरफ हो। इससे मोबाइल विकिरण की समस्या थोड़ी कम हो सकती है।
प्रेगनेंसी में रखें विशेष ध्यान
प्रेग्नेंट महिलाएं फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें। मोबाइल विकिरण बच्चे की ग्रोथ पर असर डालने के साथ साथ बच्चे को ऑटिज्म सहित कई दूसरी बीमारियों से भी जोड़ सकता है, क्योंकि मोबाइल से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणें सीधे तौर पर मस्तिष्क पर असर डालती हैं। मोबाइल के सीमित इस्तेमाल में ही इसका बचाव है। दूध मुंहे शिशु को गोद में लेकर भी लंबे समय तक मोबाइल पर बात करने से बचें। इससे भी आप अपने बच्चे को हानिकारक विकिरण के संपर्क में ला सकती हैं।
चार्ज करते हुए फोन में न करें काम
मौजूदा दौर में हमारा स्मार्ट फोन हमारे काम की भी जरूरत बन गया है। लोगों को हम तक जोड़े रखने से लेकर मनोरंजन करने तक ऐसे में स्मार्ट फोन की भी अपनी एक सीमा होती है और वह सीमा है बैटरी का खत्म हो जाना। बैटरी खत्म हो जाने के जब कगार पर होती है, तो हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को कांटेक्ट कर यह बता देना चाहते हैं कि हमारा फोन बंद होने वाला है तो जो भी जरूरी बातें या चीजें हैं। वो हम बता देना चाहते हैं, लेकिन बैटरी के लो होने के दौरान बातचीत करना मोबाइल विकिरण के सबसे अधिक चपेट में आने जैसा है। मोबाइल बंद होने के बाद जैसे ही हम इसे चार्ज के लिए रखते हैं। हम स्मार्टफोन के ऑन होने के साथ चार्जिंग के दौरान ही उस पर कॉल या मैसेज करना शुरू कर देते हैं, जो किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं है। मोबाइल विकिरण के सबसे ज्यादा संपर्क में हम उस वक्त आ जाते हैं।
मोबाइल खरीदने से पहले रखें इसका ध्यान
आमतौर पर हम जब स्मार्टफोन खरीदने जातें हैं, तो हम सबसे पहले उसके फीचर्स के बारे में सोचते हैं और उसके बारे में जानकारी लेते हैं, लेकिन हमें सबसे अधिक इस बात की ओर ध्यान रखने की जरूरत है कि हमारा मोबाइल कितना रेडिएशन फैला रहा है। आमतौर पर स्मार्टफोन कंपनियां SAR रेटिंग को बॉक्स के साथ आने वाले यूजर मैनुअल में ही लिखकर दे देती हैं, जिससे आप आसानी से इस बात को पढ़कर जान सकते हैं, लेकिन 99 प्रतिशत लोग इसकी और ध्यान नहीं देते हैं, जबकि यह सबसे अहम पहलू हैं। तय मानकों के अनुसार किसी भी डिवाइस का SAR लेवल 1.6 W/Kg से ज्यादा नहीं होना चाहिए। ऐसे में अगली बार स्मार्ट फोन खरीदते हुए इसको मैनुवल में पढ़कर ही आप फोन खरीदने का फैसला करें।