बच्चों के इमेच्योर दिमाग को सही दिशा देना या यूं कह लीजिए कि पढ़ाई-लिखाई के साथ उनकी इंटेलेक्चुअल डेवेलपमेंट का विशेष ख्याल रखना बेहद जरूरी है। आइए डॉक्टर सुमन पॉल से जानते हैं कि कैसे आप अपने बच्चों के मेंटल हेल्थ के साथ उनकी इंटेलेक्चुअल डेवेलपमेंट यानी बौद्धिक विकास को बढ़ा सकती हैं।
समस्याओं में बिखरना नहीं, निखरना सिखाएं

अक्सर देखा गया है कि बच्चों के लिए माना जाता है, इतनी सी उम्र में इन्हें क्या टेंशन होगी? लेकिन सच तो यह है कि अपनी छोटी सी उम्र में भी वे इतनी सारी चीजों से डील कर रहे होते हैं, जिनकी आप उम्मीद भी नहीं कर सकतीं। दरअसल ऐसा इसलिए भी होता है कि स्कूल के साथ पियर प्रेशर और फैमिली प्रेशर झेल रहे बच्चे पहले तो समझ ही नहीं पाते कि उनके साथ ये क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है। इसके अलावा उन्हें इस बात का अनुभव ही नहीं होता कि इसे वे कैसे हैंडल करें, क्योंकि यह उनके लिए बिल्कुल नया एहसास होता है। ऐसे में उनकी परेशानियों को समझते हुए उनके मेंटल हेल्थ और इंटेलेक्चुअल एबिलिटी को निखारना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे सिर्फ उनकी जिंदगी नहीं, बल्कि उनका भविष्य भी जुड़ा होता है। माना जाता है कि इंटेलेक्चुअल डेवेलपमेंट, मेंटल हेल्थ के आठ आयामों में से एक है। ऐसे में बच्चों की इंटेलेक्चुअल डेवेलपमेंट के लिए सबसे पहले उनके मेंटल हेल्थ का ख्याल रखा जाना चाहिए।
अपने इमोशंस के साथ दूसरों की इमोशन का भी सम्मान
यह भी माना जाता है कि हर बच्चा जन्म से सकारात्मक होता है, बस आप उसकी क्रिएटिविटी, शौक और हेल्दी लाइफस्टाइल को एक सही दिशा देते हुए उसके अंदर एक स्वस्थ दिमाग डेवेलप कर सकती हैं और इसका शानदार तरीका है प्यार। मजबूती के साथ फ्लेक्सिबल एटीट्यूड डेवेलप करने के लिए जरूरी है कि आप उन्हें प्यार से रूबरू करवाएं। उनके इमोशन को समझें और उन्हें प्यार के साथ शब्दों का महत्व समझाएं। बच्चों के साथ एक हेल्दी बातचीत भी बेहद जरूरी है, जिससे उनके जीवन में पॉजिटिविटी बरकरार रहे। इसके अलावा, जहां तक हो सके उनके साथ अधिक से अधिक वक्त बिताएं। इससे वे न सिर्फ कोई भी चीज जल्दी सीखते हैं, बल्कि उनका बौद्धिक विकास भी जल्दी होता है। आप चाहें तो उनके साथ क्रिएटिव आइडियाज शेयर करते हुए उन्हें कुछ नया भी सीखा सकती हैं।
क्रिएटिव एक्टिविटीज के साथ बनाएं स्ट्रेस-फ्री

स्कूली पढ़ाई-लिखाई के अलावा बच्चों की हॉबीज और उनकी पसंद को महत्व देना भी बेहद जरूरी है, जिससे उन्हें मेंटली ग्रो होने का मौका मिले। पेंटिंग,पॉटरी, म्यूजिक, स्पोर्ट्स और किसी भी तरह की क्रिएटिव एक्टिविटीज को करने के लिए उन्हें समर्थन देने के साथ-साथ अवसर भी दें। क्रिएटिविटी के साथ उनके फिजिकल एक्टिविटीज पर नजर रखते हुए उन्हें ऐसी चीजों में इन्वॉल्व करें, जो उनको फिजिकली ही नहीं मेंटली भी चार्ज करे। अपने बच्चों को स्ट्रेस-फ्री बनाने के लिए आप चाहें तो कुछ अलग-अलग एक्टिविटीज के साथ कुछ अलग स्पोर्ट्स भी उनके साथ खेल सकती हैं। उन्हें हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ हेल्दी फूड और फिटनेस का महत्त्व सिखाएं। विशेष रूप से आज जब बच्चे फास्ट फूड की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं, ऐसे में उन्हें घर का बना खाना खाने के लिए प्रोत्साहित करें।
करें माइंडफुलनेस को प्रोत्साहित
कहते हैं हेल्दी बॉडी यानि हेल्दी तन-मन, ऐसे में बच्चों को होनेवाले स्ट्रेस पर नजर रखें, जिससे वे मेंटली डिस्टर्ब न हों। उन्हें अच्छी नींद के साथ अच्छी आदतों के लिए भी प्रोत्साहित करें। इसके अलावा उन्हें समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि जिन बच्चों में समस्याओं को सुलझाने की क्षमता होती है, वे जीवन में किसी भी चुनौती को सहजता से पार करते हुए बहुत लंबा सफर तय करते हैं। ऐसे में उनके अंदर माइंडफुलनेस को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें स्ट्रगल मैनेजमेंट सिखाएं और उनके नजरिए का सम्मान करें। स्कूली किताबों के अलावा उन्हें अलग-अलग किताबें, जैसे स्टोरी बुक्स, नॉलेज बुक्स और साइंस से जुड़ी अलग-अलग किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें। आप चाहें तो उनसे उस पुस्तक पर सवाल-जवाब भी कर सकती हैं। उनसे पहेलियां बूझते हुए उन्हें शतरंज, माइंड गेम्स, नंबर गेम्स और अबैकस का उपयोग करने के लिए प्रेरित करें।
किताबें पढ़ने के साथ कविताएं-कहानियां लिखने को करें प्रेरित

बच्चों में इंटेलेक्चुअल डेवेलपमेंट के लिए आप उन्हें साइंस एक्सपेरिमेंट्स के साथ DIY प्रोजेक्ट्स और आर्ट क्राफ्ट में भाग लेने के लिए भी प्रेरित कर सकती हैं। हो सके तो आप उन्हें अपने साथ खेतों, म्यूजियम और साइंस सेंटर, इन अलग-अलग जगहों पर ले जाएं। उन्हें कहानियां, कविताएं और संवाद के माध्यम से नई भाषा सिखाएं और हो सके तो बच्चों को दो या अधिक भाषाएं सिखाएं, जिससे उनकी सोचने और समझने की क्षमता बढ़े। टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करते हुए उन्हें एजुकेशनल ऐप्स और ऑनलाइन कोर्सेस का इस्तेमाल करना सिखाएं। हां, ये भी जरूरी है कि आप उनके स्क्रीन टाइम को लिमिट करें और उन्हें सही कंटेंट देखने के लिए ही प्रेरित करें। उन्हें दूसरों की भावनाओं को समझने और अभिव्यक्त करने के लिए प्रेरित करें। ग्रुप एक्टिविटीज, रोल-प्ले और कहानी सुनाने जैसी एक्टिविटीज करवाएं। यकीन मानिए यदि आप इन सब चीजों को बच्चों की रोजमर्रा की आदतों में शामिल करेंगी, तो बच्चों का इंटेलेक्चुअल डेवलपमेंट तेजी से होगा और वे एक स्मार्ट, सेल्फ डिपेंडेंट और क्रिएटिव इंसान बनेंगे।