ओवर थिंकिंग नेगेटिव एनर्जी का दूसरा नाम है, जो कि आपको किसी भी बड़ी-छोटी घटना पर कुछ अधिक सोचने की तरफ लेकर जाती है। अपने आस-पास आपने कई लोगों को यह बोलते हुए सुना होगा कि मुझे ओवर थिंकिंग की समस्या है। ऐसा कई बार होता है कि जब भी कोई व्यक्ति अधिक सोचता है, तो इसका बुरा प्रभाव उसकी जीवन शैली पर पड़ता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे आप खुद की आदत में सकारात्मक बदलाव करके ओवर थिंकिंग को रोक सकती हैं।
मेडिटेशन करने का फायदा
माना गया है कि तनाव कम करने का सबसे सही तरीका मेडिटेशन है। आपको इसके लिए योग जानकार से मदद लेनी होगी। आपको नियमित तौर पर मेडिटेशन करने की आदत बनानी चाहिए। अगर सुबह आपके पास मेडिटेशन के लिए समय नहीं है, तो शाम को घर लौटने के बाद सोने से पहले एक शांत कमरे में बैठकर आप मेडिटेशन कर सकती हैं। आप इसके लिए मेडिटेशन से जुड़े कई सारे संगीत का इस्तेमाल भी कर सकती हैं, जो कि यूट्यूब पर आसानी से मौजूद है। मुमकिन हो, तो मेडिटेशन एक्सपर्ट से सहायता लें।
किताबें पढ़ना
किताबें पढ़ने का शौक अगर आपको नहीं है, तो ओवरथिंकिंग से बचने के लिए इसे अपने शौक का हिस्सा बनाएं। जरूरी है कि आप रात में सोने से पहले प्रेरणादायक किताब के 3 से 5 पेज पढ़ने की आदत डालें। इससे सोने के बाद आपका दिमाग शांत रहेगा। साथ ही किताबों से दोस्ती आपके जीवन जीने के तरीके को नया नजरिया भी देगी। इंटरनेट पर अपनी दिलचस्पी के हिसाब से किताबों की खोज कर सकती हैं। आपको कई सारी बेस्टसेलर किताबों की सूचि आसानी से मिल जाएगी।
शौक को पूरा करना
अपने दिमाग को शांत रखने के लिए सप्ताह में एक दिन के लिए ही सही, लेकिन अपने शौक पर काम करना चाहिए, फिर चाहे वह डांस हो या पेंटिंग या फिर घूमने का शौक क्यों न हो, इससे आपको खुद से जोड़ चाहिए। अपनी रुचि से जुड़ी चीजों के लिए वक्त निकालने से आप खुद को पॉजिटिव और एक्टिव महसूस करेंगी या फिर आप एक्सरसाइज और योग से जुड़ी क्लासेस को भी अपने हर दिन के रूटीन का हिस्सा बना सकती हैं।
किसी अपने से बात करना
चुप रहना या फिर खुद में खोए रहना आपकी ओवर थिकिंग को और भी बढ़ा सकता है। अपने जीवन में एक ऐसा साथी जरूर रखें, जिससे आप अपने दिल की बात दिल खोलकर कर सकें, जो कि आपको कभी किसी बात के लिए टोके नहीं। कई बार हम अनजाने में हर किसी को अपना दोस्त मान लेते हैं, लेकिन सही दोस्त वही होता है, जो आपको कभी जज न करें। आप जैसी हैं वैसे ही आपको अपनाएं।
लिखने की आदत डालना
बचपन में आपने एक दफा ही सही, लेकिन डायरी जरूर लिखी होगी। अपने डायरी लिखने की आदत को फिर से अपनाएं। अपने हर दिन की सभी गतिविधियों को डायरी में नोट करें। अगर आपको कोई घटना ज्यादा परेशान कर रही है, तो उसके बारे में भी डायरी में लिखें। डायरी में लिखने से आपको अपने विचारों को खुद पढ़ने और उस पर विचार करने का बेहतर मौका मिलेगा। आपको यह भी समझ आ सकता है कि आप जिस बात से परेशान है, वो इतना जरूरी है भी या नहीं।