शारीरिक थकान, मानसिक अकेलापन और ऐसी कुछ और परेशानियां हैं, जिनसे एक उम्र के बाद जूझना कठिन सा हो जाता है। ऐसे में खुद को फुर्तीला बना कर रखना जरूरी है, तो आइए जानते हैं कुछ आदतें अपनाकर कैसे बढ़ती उम्र के साथ भी खुद को परफेक्ट बनाया जा सकता है।
फिटनेस को दें प्राथमिकता
अक्सर देखा गया है की जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती है, लोग अपनी शारीरिक गतिविधियों पर विराम लगाते हुए मानसिक गतिविधियों में खो जाते हैं, हालांकि होना चाहिए इससे विपरीत। बुढ़ापे में होनेवाली बीमारियों को रोकने, बेहतर नींद लेने, तनाव कम करने और बेहतर महसूस करने के लिए जरूरी है कि सप्ताह में कम से कम 5 दिन आधे घंटे की सैर के साथ आधे घंटे हल्का वर्कआउट करें। हालांकि वर्कआउट का अर्थ ये नहीं कि आप जिम में जाकर पसीना ही बहाएं। अपने डॉक्टर्स की सलाह के मुताबिक अपने हाथ पैरों के मसल्स को फिट रखने के लिए हल्की कसरत कर सकती हैं। इसके अलावा, आप घर पर रहकर योग भी कर सकती हैं, जो सबसे अच्छा विकल्प है। अगर स्वीमिंग का शौक है, तो किसी क्लब की मेंबरशिप लेकर हर रोज 30 मिनट स्वीमिंग कर सकती हैं। और हां, साथ ही साथ आप डांस भी कर सकती हैं। अगर अपने इस शौक को आपने अब तक वक्त नहीं दिया है, तो ये सही मौका है। याद रखिए डांसिंग, सिर्फ मन के लिए ही नहीं तन के लिए भी एक बहुत अच्छा वर्कआउट है। इन सबके साथ चेहरे पर मुस्कुराहट बंटोरें, ताकि जब आप किसी से मिलेंगी तो वे भी कहेंगे, कुछ तो खास है जिंदगी में।
स्वस्थ खाएं, स्वस्थ रहें
फिट रहने की पहली शर्त अच्छा और संतुलित भोजन है। स्वस्थ खान-पान से आप न सिर्फ फिट रहेंगी, बल्कि दिल की समस्याओं और शुगर के साथ अन्य बीमारियों से भी बची रहेंगी। हालांकि जब संतुलित खान-पान की बारी आती है, तो बुढ़ापे की कुछ बीमारियों के कारण विकल्प अधिक नहीं बचते हैं, लेकिन अपने डॉक्टर्स की सलाह पर आप अपने लिए उचित खान-पान का चुनाव कर सकती हैं। वैसे सब्जियों और फलों में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। पर्यावरण अनुसार हरी सब्जियों के साथ ब्रोकली, गाजर और रंगीन सब्जियों का चुनाव कोई भी कर सकता है। याद रहे, बढ़ती उम्र के साथ पाचन तंत्र कमजोर होता जाता है। ऐसे में कोलेस्ट्रॉल, बीपी और शुगर को काम करने के लिए आपके भोजन में फाइबर का होना बहुत जरूरी है। पर्याप्त फाइबर के साथ कमजोर होती जा रही हड्डियों के लिए कैल्शियम भी बहुत जरूरी है। ऐसे में ऑस्टियोपोरोसिस नामक हड्डियों की बीमारी से बचने के लिए अपने भोजन में दूध, दही, पनीर और अपनी रूचि अनुसार टोफू के साथ बादाम जरूर शामिल करें। लेकिन इन सबके साथ अपने भोजन में प्रोटीन को शामिल करना मत भूलिए। पर्याप्त प्रोटीन, चिंता और तनाव के प्रति आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हुए आपकी मानसिक स्थिति में भी सुधार करते हैं।
स्वस्थ और संतुलित आहार के साथ कैलोरी पर भी रखें नजर
गौरतलब है कि आप जो संतुलित भोजन करती हैं, उससे प्राप्त होनेवाली ऊर्जा को कैलोरी में मापा जाता है, जिसका आकलन अति आवश्यक है। इससे आप अपने वजन पर नियंत्रण रखते हुए स्वस्थ भी रहते हैं। बढ़ती उम्र के साथ वजन पर नियंत्रण रखना और भी ज्यादा जरूरी है, क्योंकि इससे न सिर्फ आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि आपकी गतिशीलता भी बाधित होती है। और इस बात से तो आप भी इत्तेफाक रखेंगी कि गतिशीलता, हमारी पसंदीदा चीजों को लम्बे समय तक करने की संभावनाओं को बढ़ाता है। अत: अपनी शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाते हुए कम कैलोरी का सेवन करें और मोटापे से दूर रहें। इसके लिए कोशिश कीजिए कि आप ऐसे भोजन का चुनाव करें, जिसमें पोषक तत्व अधिक और कैलोरी काफी कम हो। इनमें मुख्यत: आप अपनी रुचि और प्रकृति अनुसार फल, सब्जियों, साबुत अनाज और लो फैट दूध या दूध के उत्पादों का इस्तेमाल कर सकती हैं।
संतुलन बिगड़ने और गिरने से सावधान रहें
बुजुर्गों के लिए गिरना अक्सर घातक साबित होता है, क्योंकि इससे न सिर्फ उनकी गतिशीलता बाधित होती है, बल्कि दूसरों पर आश्रित होने का डर उनके आत्म-सम्मान को भी खा जाता है। अत: बुढ़ापे में गिरने के जोखिम को कम करना, स्वतंत्र रहते हुए स्वस्थ और संतुलित रहना अति आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि कोई भी काम करते या कहीं आते-जाते या चलते समय जल्दबाजी न करें। साथ ही ऊंची एड़ी, ढीली चप्पल या चिकने तलवों वाली चप्पल पहनने की बजाय नॉनस्किड तलवोंवाली टिकाऊ जूते पहनें। संभव हो तो चलते समय छड़ी का इस्तेमाल करें और अपने निवास स्थान को संशोधित करें। जैसे, अपने बाथरूम के पास ग्रैब बार लगाएं। बेहतर सुरक्षा के लिए शॉवर कुर्सी के साथ हैंड हेल्ड शॉवर का उपयोग करें। अगर घर में सीढ़ियां हों तो सुनिश्चित करें कि सीढ़ियों के आस-पास सुरक्षित रेलिंग लगी हो। पूरे घर में रौशनी बढ़ाएं, विशेष रूप से सीढ़ियों के ऊपर और नीचे। साथ ही नयी दवाइयां या बिना प्रिस्क्रिप्शन की दवाइयां लेते समय उसके दुष्प्रभावों से सावधान रहें। इन दवाइयों से आपको चक्कर आ रहा हो या संतुलन बिगड़ रहा हो, तो तुरंत अपने डॉक्टर्स से संपर्क करें।
स्वास्थ्य जांचों के साथ उचित टीकाकरण करवाएं
बुढ़ापे में जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है। ऐसे में कई ऐसी बीमारियों के होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिसके कारण अधिक समय तक या तो अस्पताल में रहना पड़ता है या फिर वो मृत्यु का कारण बन जाती है। ऐसे में समय-समय पर स्वास्थ्य जांच करवाते हुए उचित टीकाकरण करवाते रहें। मौसमी फ्लू इंजेक्शन और टीडी या टीडीएपी वैक्सीन (डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस) के साथ दाद का टीका, न्यूमोकोकल पॉलीसेकेराइड वैक्सीन और न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन के बारे में अपने डॉक्टर्स से उचित सलाह लेते हुए टीकाकरण करवाएं। ये टीके आपको गंभीर बीमारियों से न सिर्फ बचाते हैं, बल्कि उनसे लड़ने में भी मदद करते हैं।
दोस्तों के पास और तनाव से दूर रहें
बचपन के मुकाबले बुढ़ापे में तनाव से निपटना और उसे नियंत्रित करना काफी मुश्किल होता है। विशेष रूप से बुजुर्गों में अस्थायी स्मृति हानि इसी का परिणाम होता है। इसी के साथ सिरदर्द, अपच, दिल की तेज धड़कन, खराब ध्यान, चिड़चिड़ापन, रोना या अधिक खाने की समस्याएं भी तनाव की देन हैं। इसके अलावा, क्रोनिक तनाव से ग्रस्त लोगों को हृदय की बीमारी, हाई बीपी, शुगर और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं के साथ क्लिनिकल डिप्रेशन जैसे मानसिक विकारों का खतरा पैदा हो जाता है। अत: स्वस्थ भोजन और वर्कआउट के साथ उन गतिविधियों को अपनाना भी जरूरी है, जो आपको खुशी देती है। अपनी पसंदीदा गतिविधियों में मन लगाते हुए अपने परिवार के साथ अपने दोस्तों से मेल जोल बनाए रखें। ये दोस्त ही होते हैं, जिनसे कोई रिश्ता न होते हुए भी एक मजबूत रिश्ता होता है और वे जीवन के हर मोड़ पर आपको सहारा देते हैं। ये दोस्त ही होते हैं, जो आपके तनाव को अपने ठहाकों से दूर भगाने की कूवत रखते हैं। हो सके तो उनके साथ बच्चे बन जाएं, फिर देखें तनाव आस पास भी नहीं फटकेगा।
अल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहें
आम तौर पर अल्कोहल और धूम्रपान को तनाव से दूर रखने का पर्याय माना जाता है, लेकिन सच तो यह है कि ये आपकी समस्याएं घटाने की बजाय, आपकी समस्याएं बढ़ाता है। विशेष रूप से बढ़ती उम्र में यही चीजें आपकी अधिकतर बीमारियों की वजह बनती हैं। अत: कोशिश करें कि इनमें अपनी खुशियां ढूंढने की बजाय अपने आस-पास के उन लोगों में अपनी खुशियां ढूंढें, जो आपको खुश देखकर खुश होते हैं। अगर आप चाहकर भी इसे छोड़ नहीं पा रहे हैं, तो अपने परिवार, दोस्तों या किसी चिकित्सकीय सलाहकार की मदद ले सकती हैं।