निरोगी काया के लिए योग को वरदान माना गया है। मल्टी टास्कर होने के नाते महिलाओं के लिए योग को सबसे जरूरी माना गया है। केवल शारीरिक बल के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक तौर पर खुद को सेहतमंद रखने के लिए महिलाओं को अपने जीवन में 5 योग मुद्राओं को जरूर अपनाना चाहिए। योग इंस्ट्रक्टर अनुष्का बापट इस बात पर प्रकाश डाल रही हैं कि महिलाओं को अपनी रोजमर्रा के जीवन में कौन सी ऐसी पांच योग मुद्राएं हैं, जिसे अपनी आदत में शामिल करना चाहिए। आइए जानते हैं विस्तार से।
योग मुद्रा
योग मुद्रा के लिए पूरे शरीर और हाथों का उपयोग होता है। योग मुद्रा के कई सारे फायदे हैं, जो कि शरीर के साथ मानसिक सेहत के लिए वरदान माना गया है। महिलाओं के लिए यह जरूरी इसलिए है, क्योंकि कई बार महिलाएं अपने खान-पान को अनदेखा करती हैं, जो कि पेट से जुड़ी बीमारी को जन्म देता है, जैसे एसिडिटी और भूख से जुड़ी समस्या। योग मुद्रा अपनी आदत में शामिल करने से पेट से जुड़ी समस्या से राहत मिलती है। इस मुद्रा को करने से नींद में सुधार और शरीर को ऊर्जा भी मिलती है।
विपरीत करणी मुद्रा
इसमें दोनों पैर उठाकर इस मुद्रा को करना होता है। इससे रीढ़ की हड्डी को सबसे अधिक आराम मिलता है। एक उम्र के बाद महिलाओं को रीढ़ की हड्डी में दर्द होना शुरू हो जाता है, जो कि अधिक बैठकर काम करने से होता है। ऐसे में विपरीत करण मुद्रा करना महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है। इससे पैरों में खून का प्रवाह भी संतुलित रहता है। आत्मविश्वास में भी बढ़त होती है। महिलाओं में हार्मोनल इम्बैलेंस की समस्या से निजात विपरीत करणी मुद्रा से पाया जा सकता है।
प्राण मुद्रा
यह शरीर में शक्ति ऊर्जा का प्रवाह करता है। इस मुद्रा को करने से शरीर के कई जरूरी हिस्सों को यह सक्रिय करता है। महिलाओं में थकान और कमजोरी की समस्या से निपटने के लिए प्राण मुद्रा सबसे अधिक लाभकारी मानी गई है। इसके साथ स्मरण शक्ति बढ़ती है और आंखों से जुड़ीं हुईं दिक्कतों में भी आराम मिलता है।
ब्रह्म मुद्रा
ब्रह्म मुद्रा में कमर को सीधे रखते हुए पद्मासन में बैठना होता है। इसमें गर्दन को धीरे-धीरे ऊपर और नीचे की तरफ घुमाना होता है। महिलाओं में होने वाली थायराइड की बीमारी को ब्रह्म मुद्रा शरीर में पनपे नहीं देती है। इस मुद्रा को करने से गर्दन को भी मजबूती मिलती है।
ध्यान मुद्रा
इस मुद्रा में पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों की कोहनियां को घुटनों पर रखते हुए उंगलियों के सहारे इस योग को करना होता है। इस योग मुद्रा को करने से एकाग्रता बढ़ती है। मानसिक विकार दूर होते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। क्रोध, भय और ईष्या जैसी मानसिक समस्याओं से भी दूर रखती है।