यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि साल 2024 महिलाओं के नाम रहा है। इसकी वजह यह रही है कि आम महिलाओं ने भी अपनी प्रतिभा से खुद को साल 2024 की सबसे खास महिलाओं में शामिल कर लिया है। इन सभी महिलाओं ने अपनी उपलब्धि और हौसले के दम पर आने वाली युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनने का सराहनीय कार्य किया है। आइए जानते हैं विस्तार से इस साल की सुर्खियां बटोरने वाली महिलाओं के नाम।
दिव्य पुत्री शीना रानी
भारत ने इस साल अग्नी-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल चीन के उत्तरी हिस्से के साथ यूरोप और लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक सीमा के तहत ला सकती हैं। उल्लेखनीय है कि इस पूरे प्रोजेक्ट के पीछे महिला वैज्ञानिक शीना रानी का हाथ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीना रानी को इस मिशन को सफल करने के लिए सराहना करते हुए उनका नाम दिव्य पुत्री रखा है। ज्ञात हो कि 57 वर्ष की शीना रानी, हैदराबाद में हाईटेक लैब में कार्यरत है। काम के प्रति उनकी मेहनत देखते हुए पहले से ही हुई पावर हाउस ऑफ एनर्जी के नाम से बुलाया जाता है। शीना रानी को अग्नि पुत्री भी कहा जाता है।
गोड्डा की बेटी प्रेरणा
कॉरपोरेट सेक्टर की लाखों की नौकरी छोड़ गोड्डा की प्रेरणा ने अपने गांव की महिलाओं के जीवन में आर्थिक प्रकाश लाने का सराहनीय कार्य किया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रेरणा के इस सोच को सलाम किया है। कोरोना काल में बड़े सेक्टर की नौकरी छोड़ प्रेरणा अपने गांव पहुंची। गांव में उन्होंने महिला समूह के साथ मिलकर लोगों के लिए नौकरी का जरिया तलाश किया। सत्तू, मसाला और भी तरह-तरह की चीजों को महिला समूहों द्वारा बनाने और ऑनलाइन बेचने का कार्य करती हैं।
बछेंद्री पाल, माउंट एवरेस्ट
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल इस साल फिर से खबरों में छा गईं। उन्होंने एवरेस्ट बेस्ट कैंप तक ट्रैकिंग करके माउट एवरेस्ट पर अपने 40 साल के सफर को पूरा करने का जश्न मनाया। यह भी बता दें कि साल 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित बछेंद्री पाल ने 1993 के अभियान में अपनी टीम के साथ महिलाओं के साहसिक नेटवर्क वानी का भी गठन किया।
सिविल जज, श्रीपति
पहाड़ी गांव की आदिवासी समुदाय की युवा महिला ने श्रीपति ने महिला के जीवन के महत्व को बखूबी दर्शाया है। उन्होंने बताया है कि एक महिला अगर मां है, तो समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी वह बखूभी निभा सकती है। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के पुलियूर गांव की 23 साल की आदिवासी महिला श्रीपति को सिविल जज के तौर पर चुना गया है। उनका सिविल जज बनना चर्चा में इसलिए भी रहा है, क्योंकि उन्होंने अपने बच्चे के जन्म देने के कुछ ही दिन बाद परीक्षा दी थी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी उनकी तारीफ की।
लोको पायलट, रितिका तिर्की
वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन इसी साल 15 सितंबर से किया गया। इस एक्सप्रेस की कमान महिला लोको पायलट रितिका तिर्की के हाथ में है। विदित हो कि रितिका तिर्की झारखंड के छोटे से आदिवासी गांव से आती हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस की कमान अपने हाथ में लेने से पहले रितिका ने 2019 में दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर डिवीजन में शंटर के तौर पर अपने रेलवे करियर की शुरुआत की। उन्होंने मालगाड़ी भी चलाई है।
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