अमूमन जब बात बुजुर्गों से मिली विरासत का होता है, तो लोग पैसों, जमीन और जायदाद की ही बातें करते हैं, जबकि असली धरोहर तभी है, जब बुजुर्ग अपनी अगली पीढ़ी को कुछ ऐसी चीज दे जाएं, जिन पर वो गर्व महसूस कर सकें। आइए जानें विस्तार से।
आज में जीने की कला
घर के किसी भी बुजुर्ग या बड़े सदस्य को अपने हर छोटे बच्चे को यह समझाना चाहिए कि जीना जिंदगी में बेहद जरूरी है कि आप जब आज में जीते हैं, तभी अपने कल को बेहतर बना सकते हैं, इसलिए आज में जीने की कला को समझना बेहद जरूरी है और ये घर के बड़े ही कर सकते हैं कि वे इसके महत्व को समझा सकें। तभी बच्चे भी आगे बढ़ने के बारे में सोचेंगे।
पारिवारिक मूल्य
हर परिवार का अपना पारिवारिक मूल्य होता है, जो उन्हें हमेशा ही मिलता रहता है, जो हर पीढ़ी को जानने की कोशिश करनी ही चाहिए और उन तक पहुंचाने की भी कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि जो भी अपने पारिवारिक मूल्यों को अपने साथ रखता है, एक बेहतर माहौल बनाता है, एक बेहतर दुनिया बनाता है और फिर वह कामयाब होने की ही कोशिश करता है, इसलिए हमारी यही कोशिश होनी चाहिए कि हम अपने बुजुर्गों से नैतिकता और पारिवारिक मूल्य जो हमें अगर बढ़ने का मौका दें, उन्हें भी स्वीकार करने की कोशिश करनी चाहिए।
संघर्ष की कहानी
अमूमन आपकी यही कोशिश होती है कि अपने बच्चों को और अपनी अगली जेनरेशन को संघर्ष की कहानी पता न चलें, वे अपनी जिंदगी में बेस्ट करने की कोशिश करें और जो संघर्ष हमने झेला है, वो कभी वे न झेलें, इसलिए हमारी कोशिश यही है कि संघर्ष की कहानी उन तक न पहुंचे, लेकिन ये बातें एक लिहाज से गलत होती है, क्योंकि अगर आपकी अगली पीढ़ी को यह पता ही नहीं होगा कि संघर्ष क्या है, तो वे कभी भी किसी चीज की कीमत नहीं समझेंगे, इसलिए उनको संघर्ष के बारे में भी बताएं, इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्हें भी आपकी मेहनत की कद्र तो होनी ही चाहिए।
समाज के साथ चलने का नजरिया
आजकल एक प्रवृति बेहद चल रही है कि नयी पीढ़ी को अकेले चलने में दिलचस्पी है, उन्हें सबको साथ लेकर चलने में दिलचस्पी नहीं है, ऐसे में उन्हें समझाना कि समाज में साथ चलना और साथ लेकर चलना क्यों जरूरी है, यह बच्चे समझ लें, तो अच्छा होगा, क्योंकि समाज में जब आप चार लोगों से मिलते जुलते हैं, तो आपके सामने जिंदगी जीने का एक नया नजरिया सामने आता है, इसलिए बेहद जरूरी है कि आप इसके बारे में सोचें और बच्चों को समाज के महत्व के बारे में जरूर बताएं।
कभी न पहनें पुराने ख्यालों की चादर
कई बुजुर्ग यह भी करते हैं कि पुराने ख्याल और ख्यालात नयी जेनरेशन पर थोपने लगते हैं, ऐसे में बच्चे कतराने लगते हैं, उनके लिए फिर आपकी बातें बोझ बन जाती हैं, इसलिए कोशिश करें कि वैसी पुरानी बातें जेहन में न आये और आप नयी पीढ़ी के साथ भी कदमताल करने के लिए खुद को हमेशा ही तैयार रखें, आपको इससे ख़ुशी मिलेगी।