हिंदी सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया में काम करते हुए भी आज भी ऐसी कई महिला थियेटर आर्टिस्ट हैं, जिन्होंने थियेटर से अपनी पहचान बनाई हैं और थियेटर को जिंदा रखा है और वे लगातार सक्रिय हैं, आइए ऐसी कुछ महिला नाट्यकर्मी के बारे में जानते हैं।
सरिता जोशी
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सरिता जोशी ने कमाल का काम हिंदी सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया में किया है, लेकिन इतनी लोकप्रियता मिलने के बावजूद उन्होंने अपनी पहचान नहीं बदली है, उन्होंने गुजराती थियेटर में अब भी खुद को सक्रिय रखा है और वह लगातार थियेटर का हिस्सा बन रही हैं। वह मराठी थियेटर में भी बड़ा और स्थापित नाम हैं। गुजराती थियेटर में इन्होंने कई नाटकों का मंचन किया है। उन्हें गुजराती नाटकों में अपने योगदान के लिए वर्ष 1988 में संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है। साथ ही पद्म श्री से भी नवाजा जा चुका है। सरिता जोशी ने छह साल तक बाल कलाकार के रूप में काम करने के बाद उन्हें 16 साल की उम्र में पहली मुख्य भूमिका मिली। वह इंडियन नेशनल थिएटर गुजराती में अभिनय करने गयीं और यही उनकी मुलाकात अपने जीवनसाथी प्रवीण जोशी से हुई और फिर दोनों ने अपने सफर की शुरुआत की।
शीबा चड्डा
शीबा चड्डा भी फिल्मी दुनिया का बड़ा नाम हैं, लेकिन वह थिएटर की दुनिया में भी काफी लोकप्रिय रही हैं। शीबा चड्डा आज भी कई शोज और कई थियेटर का मंचन करती हैं। उन्होंने शुरुआती दौर में जम कर वर्कशॉप किया। दरअसल, उन्होंने कई स्टेज नाटकों में भी अभिनय किया है। खासतौर से रजत कपूर की सी फॉर क्लाउन, अतुल कुमार की द ब्लू मग जैसे थियेटर का हिस्सा बनीं। वहीं ब्लैक एंड व्हाइट में रॉयस्टन एबेल के ओथेलो में डेसडिमोना की भूमिका निभाई और साथ ही हेनरिक इबसेन के नाटक हेडा गैबलर जैसे नाटक भी किये। साथ ही साथ वह मुंबई में एक थिएटर ग्रुप द कंपनी थिएटर के संचालन में भी भागीदारी निभाती हैं।
लिलेट दुबे
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लिलेट दुबे की यह खासियत रही है कि उन्होंने अपनी एक पहचान स्थापित की, आज भी वह सिनेमा, टीवी की दुनिया में और थियेटर की दुनिया में लगातार सक्रिय हैं और खूब काम कर रही हैं। उन्हें थियेटर की दुनिया में हमेशा से काफी दिलचस्पी रही थी और वह कॉलेज के दिनों से सिनेमा और थियेटर के लिए काम करती आ रही हैं। उन्हें शुरुआती दौर में घर-परिवार से एक्टिंग करने की इजाजत नहीं मिली थी। आश्चर्यजनक बात यह हुई थी कि उन्हें कुछ अरसे बाद थियेटर में निखरने का मौका मिला। लिलेट दुबे लगभग चार दशकों से एक थियेटर आर्टिस्ट और निर्देशक के रूप में भारतीय रंगमंच के लिए काम कर रही हैं और उनकी थिएटर कंपनी, प्राइम टाइम थिएटर कंपनी लगभग कई दशकों से कई नाटकों का मंचन कर रही हैं।
रोहिणी हटंगड़ी
रोहिणी हटंगड़ी एक ऐसा नाम है, जो किसी पहचान की मोहताज नहीं। आज भी हिंदी सिनेमा के साथ-साथ वह थियटर की दुनिया में सक्रिय हैं। उन्हें भी संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है। उन्होंने भी अभिनय का प्रशिक्षण नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से हासिल किया है। उनके परिवार में हमेशा से ही थियेटर का माहौल रहा, क्योंकि उनके पिता भी थियेटर आर्टिस्ट रहे और उन्होंने उनसे ही प्रशिक्षण लिया। उन्होंने आविष्कार नाम से एक थियेटर ग्रुप की भी शुरुआत की थी, जहां उन्होंने 150 से भी नाटकों का मंचन किया। वह कन्नड़ नाटक यक्षगान में अभिनय करने वाली पहली महिला हैं, जो के शिवराम कारंथ द्वारा निर्देशित एक लोक नाटक है, साथ ही इबारगी में अभिनय करने वाली एशिया की पहली महिला रही हैं।
रत्ना पाठक शाह
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रत्ना पाठक शाह, जितनी लोकप्रिय फिल्मों में हैं और धारावाहिकों में हैं, उतना ही प्रेम उनका थियेटर में हैं। अपने जीवनसाथी नसीरुद्दीन शाह के साथ थिएटर में सक्रिय हैं। थियेटर हमेशा से उनका पहला प्यार रहा है। वर्ष 1975 से नसीर के साथ वह जुड़ी हुई हैं। खासतौर से इस्मत आपा के नाम का मंचन कई स्थानों पर किया है। मुंबई के पृथ्वी थियेटर में उनकी लोकप्रियता हमेशा ही रही है। दोनों मिल कर लगातार कई नाटकों का मंचन करते रहते हैं। रत्ना पाठक शाह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का हिस्सा रही हैं।