‘हम दो हमारे दो’ के स्लोगन को पीछे छोड़ आजकल हर कोई एक ही बच्चा प्लान करता है। आज के जनरेशन के नए दंपति यही चाहते हैं कि वो एक बच्चा करे और अपना सारा प्यार, दुलार और मेहनत, बस वो एक बच्चे पर लगाएं। हालांकि, यह उनका निजी मामला है और इसमें कुछ गलत नहीं है। लेकिन, इस बात को पूरी तरह से नकारती हैं वे महिलाएं, जिन्होंने दो बच्चों को जन्म दिया।
हम ऐसी ही एक महिला, रौशनी चोपड़ा से मिले, जिन्होंने हमें बताया कि वे अपने दो बच्चों के बीच बॉन्डिंग को देखकर बहुत इमोशनल हो जाती हैं। रौशनी ने कहा कि वो बहु खुश हैं कि उन्होंने दो बच्चों को जन्म दिए। उनकी एक बेटी रिया 12 साल की है और दूसरी बेटी हिमांशी 8 साल की। रौशनी कहती है, ‘जब किसी चीज की अनुमति लेनी होती है, तो रिया और हिमांशी आपस में बातचीत करने के बाद मेरे पास आती है और दोनों एक-दूसरे की सारी बात मुझे मनवा ही लेती है। मैं उनकी इस जुगलबंदी को देखकर कभी-कभी बहुत हैरान हो जाती हूं।’
रौशनी ही नहीं कुछ सर्वे का भी यही मानना है कि जो लोग भाई-बहनों के साथ बड़े हुए हैं, वे दूसरों से कुछ अलग होते हैं। आइए जानते हैं कि सिब्लिंग्स होने से बच्चों में क्या बदलाव आते हैं
तरह-तरह के लोगों को अपना लेना
भाई-बहनों के साथ पले-बढ़े बच्चों की स्वाभाविक समझ होती है कि लोग बहुत अलग हो सकते हैं। भाई शांत और पढ़ाई में अव्वल हो सकता है। बहन दिल से एक एडवेंचर लवर हो सकती है। जब आप अपने से अलग योग्यताओं और व्यक्तित्व वाले लोगों के साथ बड़े होते हैं, तो यह आपके अनादर लोगों को समझने की सामाजिक और भावनात्मक समझ पैदा करता है। साथ ही, यह आपको मुश्किल लोगों के साथ डील करने में भी सहायता करता है।
दूसरों की भावनानों को समझना
भाई-बहनों वाले लोगों ने अपने बचपन में एक-दूसरे से बहुत सी बातें शेयर की है और एक अच्छा समय साथ निकाला है। भाई-बहनों को देखना और सुनना बच्चों को ज्यादा समझदार बनाता है। वे जल्दी से समझ जाते हैं कि उनके दोस्तों के साथ क्या काम करेगा और क्या नहीं। ठीक वैसा ही जैसे रौशनी ने हमें बताया कि वे अपने माता-पिता के साथ बातचीत करने के लिए अनोखे तरीके भी विकसित करते हैं। एक बच्चे पर भाई-बहन का प्रभाव उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि माता-पिता का।
सब कुछ भूल कर प्यार बनाए रखने की खूबी
जो बच्चे अपने भाई-बहनों के साथ अच्छी बॉन्डिंग के साथ बड़े हुए हैं, वे बड़े होने के दौरान ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि एक माता-पिता, समान वातावरण, समान कंडीशनिंग, समान अनुशासन और यहां तक कि समान निराशाओं को शेयर करते हुए भाई-बहन एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह जानते हैं। भाई-बहन हमेशा आपस में सहमत नहीं हो सकते हैं या एक-दूसरे के जैसे भी नहीं हो सकते हैं, लेकिन उनमें सब कुछ भूल कर प्यार बनाए रखने की कमाल की खूबी होती है।
भाई-बहन का रिश्ता छोटे बच्चों के लिए मानो एक नेचुरल प्रयोगशाला है। यह सीखने के लिए कि अन्य लोगों के साथ कैसे बातचीत करें, असहमति को कैसे पेश करें और दुनिया में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों भावनाओं को कैसे हैंडल करें। बच्चों के लिए बड़ों की दुनिया बहुत अलग है और जब तक वो बड़ों की दुनिया में आएं, उससे पहले एक सिबलिंग उसे बहुत कुछ सिखा देता है।