‘कहते हैं कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ है और इस साल चुनिंदा महिलाओं ने इसे पूरा करके दिखाया है। खुद को मिसाल बनाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए इन महिलाओं ने उम्र के बंधनों को भी तोड़कर कारनामा कर दिखाया है। अपनी हिम्मत से इन महिलाओं ने साबित कर दिखाया है कि उम्र की कोई सीमा नहीं होती है। आइए जानते हैं विस्तार से।
54 साल की ज्योति रात्रे
भोपाल की महिला पर्वतारोही ज्योति रात्रे ने 54 साल की उम्र में लोगों को अपने जज्बे से आश्चर्यचकित कर दिया है। ज्योति ने माउंट एवरेस्ट की 8200 मीटर तक की चढ़ाई को पूरा किया है और अपने देश का तिरंगा लहराया है। एक समय ऐसा था, जब ज्योति घुटनों के दर्द से परेशान रहती थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। हालांकि भारी बर्फबारी के कारण ज्योति एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने से 649 मीटर पीछे रह गयीं। यहां तक ज्योति ने अपने गाइड की भी जान बचायीं। चोटी पर उनके गाइड खो गए थे। उन्होंने उनकी तलाश की और उन्हें सुरक्षित लेकर आयीं।
60 साल की बलजीत कौर और गुरमीत कौर
पंजाब के मोगा गांव की 2 बुजुर्ग महिला बलजीत कौर और गुरमीत कौर ने 60 साल की उम्र में 10 वीं पास करके गांव के लिए खुद को रोल मॉडल बना लिया है। उल्लेखनीय है कि दोनों महिलाएं स्वास्थ्य विभाग में आशा वर्कर के तौर पर कार्य करती हैं। बलजीत कौर और गुरमीत कौर ने बचपन में आर्थिक हालात अच्छे नहीं होने के कारण आठवीं के बाद पढ़ाई नहीं की थी, वक्त गुजरा लेकिन दोनों किसी न किसी कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएं। जब दोनों ने अपने पोते-पोतियों को पढ़ते देखा, तो उनका मन भी पढ़ाई करने का हुआ। दोनों ने 10 वीं कक्षा में प्रवेश लिया और कक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया।
55 साल की वीरपाल कौर
पंजाब की वीरपाल कौर ने भी अपने जज्बे से लोगों को हैरान कर दिया है। पंजाब के फरीदकोट की वीरपाल कौर। इन्होंने 55 साल की उम्र में अपने जोश से कई युवाओं को पीछे छोड़ दिया है और यह बताया है कि अगर सेहत सही है, तो हर कामयाबी हासिल की जा सकती है। वीरपाल कौर ने यह साबित कर दिखाया है कि हिम्मत के दम पर आप किसी भी जीत को हासिल कर सकती हैं, जरूरत केवल हौसले की ऊंची उड़ान की है। वीरपाल कौर ने पंजाब में 50 साल से अधिक उम्र की 100 मीटर रेस में गोल्ड मेडल हासिल किया है।
92 साल की सलीमा खान का जज्बा
पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती और इसे साबित कर दिखाया है सलीमा ने। 92 साल की सलीमा स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं। बुलंदशहर की रहने वालीं 92 साल की बुजुर्ग महिला ने उम्र के अंतिम पड़ाव पर खुद को शिक्षित करने की ख्वाहिश को पूरा किया है। अपने इस कोशिश से सलीमा गांव के लिए मिसाल बन गई हैं। सलीमा खान ने अपने इस कोशिश को पूरा करते हुए 100 तक की गिनती पढ़ने में सक्षम हो गई हैं। सलीमा ने अपना नाम लिखना सीख लिया है जो कि उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बन गई है।
106 साल की रामबाई
हरियाणा की 106 साल की रामबाई ने अपनी उम्र को पीछे छोड़ खुद के सपने को मजबूती से पूरा किया है। उन्होंने 100 और 200 मीटर की रेस में शामिल होकर 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। 106 साल की उम्र में अपने इस कमाल के कारण उन्हें उड़नपरी परदादी के नाम से पुकारा जाने लगा है। जान लें कि इससे पहले उड़नपरी दादी ने साल 2021 में वड़ोदरा में हुए नेशनल चैंपियनशिप में 4 गोल्ड मेडल जीते थे।