होली खुशियों का त्यौहार लेकर आता है, ऐसे में होली की स्वादिष्ट मिठाइयों का स्वाद जब तक न चख लिया जाए, होली मुकम्मल नहीं होती है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है, किसी भी पर्व त्यौहार के जो पकवान बनाये जाते हैं, उनमें एक शिद्दत हमेशा ही नजर आती है, जो हमेशा महिलाएं खान पान में दर्शाती हैं, लेकिन लोगों के सामने कभी बयां नहीं करती हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
ठंडाई- रखें उनकी खुशियों की ‘बारीकियों’ का ख्याल
होली का एक पारम्परिक पेय माना जाने वाला ठंडाई शीतल पेय माना जाता है और गर्मियों के मौसम की शुरुआत, जो कि फागुन माह के साथ होली में हो जाती है, उसमें आपके गले को ठंडक देता है। ठंडाई यूं तो बाजार में उपलब्ध है, लेकिन घर में अगर इसे बनाना है, तो इसके लिए सारे ड्राई फ्रूट्स (मेवे) को बहुत ही बारीक तरीके से काटना और कूटना होता है, ये जितने बारीक कूटे जायेंगे, ठंडाई उतनी ही अच्छी लगेगी और आपके गले में अटकेगी नहीं। इसके लिए जाहिर सी बात है कि धैर्य की खास जरूरत होती है और जिंदगी में बारीकी से चीजों को करने की भी। गौर करें, तो एक महिला भी अपनी जिंदगी में ठंड यानी शांत स्वभाव रख कर, पूरे धैर्य के साथ किसी भी काम को पूरी करने की कोशिश में हमेशा तत्पर रहती हैं। साथ ही अपने परिवार और अपनों के ख्याल भी पूरी बारीकी से रखती है, लेकिन इस बार होली में आप कोशिश कीजिए कि उन्हें सरप्राइज दीजिए और उनके लिए बारीक खुशियों को समेटने की कोशिश करें और उन्हें पैम्पर करके देखें, यकीन मानिए अपनों से प्यार पाने से बढ़ कर उनके जीवन में कोई और बात ठंडक नहीं पहुंचा सकती, आपका स्नेह ही उनके लिए ‘ठंडाई’ है।
गुझिया - रिश्तों को ‘गूंथें’ ठीक उनकी तरह
अगर आपने अपने जीवन में गुझिया खाई है, तो आप इस बात से अच्छे से वाकिफ होंगे या होंगी कि इस मिठाई में मुख्य कारीगरी जो दिखाई जाती है, वो इसे गूंथने की कला पर निर्भर होती है, गुझिया जितनी खूबसूरती से और सही मोईन के साथ बनती है, खास्ता बनती है और खाने में स्वादिष्ट लगती हैं। एक महिला भी अपनी जिंदगी में और अपने परिवार में ठीक इसी तरह रिश्तों को गूंथने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं, उनकी कोशिश यही होती है कि पूरा परिवार एक साथ आगे बढ़ें , साथ रहें और रिश्ते बरकरार रहें। तो इस बार होली में आप उन्हें मौका दीजिए कि उन्हें एहसास कराएं कि उनके रिश्ते के धागे जो गूंथे हुए हैं, उन्हें मजबूती से बांधे रखने की जिम्मेदारी सिर्फ एक महिला की न हो, बल्कि वो जिम्मेदारी घर के पुरुष भी निभाएं।
दही बड़े -जिम्मेदारियां बांटें
बिहार और उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोगों की होली बिना दही बड़े के पूरी हो ही नहीं सकती है। जी हां, होली पर खासतौर से उड़द दाल के दही के कॉम्बिनेशन के साथ दही बड़े बनाये जाते हैं। लेकिन जो महिलाएं इसे बनाती हैं इस पर्व के दिन, सिर्फ वहीं जानती हैं कि इसे बनाने में कई स्टेप्स होते हैं यानी चरण होते हैं और कितने समय तक उन्हें इसे बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। दाल भिगोने से लेकर, उसे पीसने, फिर छानने, फिर पानी में डालने, फिर दही में डालने के बाद, ऊपर से छिड़कने के लिए सारे मसाले तैयार करना और फिर इन्हें कई चटनियों के साथ प्लेट में परोसने तक, इस पूरी तैयारी में उनका लम्बा समय जाता है, लेकिन वे धैर्य नहीं खोतीं, अंत में उन्हें ही मौका नहीं मिलता कि वे मेहमानों और घरवालों को खिलाने के बाद खुद इसका स्वाद चखें। दही बड़े के कई स्टेप्स की तरह ही महिलाओं की जिंदगी में कई चरण आते हैं, जिनका वे अकेले मुकाबला कर लेती हैं। तो इस बार होली में, उन्हें खुशियों के एक चरण पर चढ़ने का मौका दीजिए, उनका हाथ किचन में बंटाएं और सबसे पहले उन्हें दही बड़े का स्वाद चखाएं।
पुआ- मिठास घुले जीवन में
होली के खास पकवानों में पुए की भी खास जगह है, माल पुआ से लेकर रस पुआ, मैदे का पुआ और आटे के पुए बनते ही हैं। पुआ होली के पारम्परिक खान-पान का हिस्सा है और जैसे इसमें मिठास घुली होती है और किनारों से सख्त और अंदर से यह नरम होता है, महिलाओं का भी स्वभाव कुछ ऐसा ही होता है और उनकी यही कोशिश होती कि वे सख्त और नर्म दोनों रहने की कोशिश करती हैं। तो इस बार उनका साथ पुए तलने में दें और साथ मिल कर एन्जॉय करें और एक दूसरे के जीवन में मिठास घोलें।