मेनोपॉज को आम तौर ‘पॉज’ यानी रुकने के तौर पर देखा जाता है, लेकिन सच तो यह है कि ये महिलाओं के जीवन का एक नया अध्याय होता है। यहां से उनकी जिंदगी एक बार फिर शुरू होती है। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ महिलाओं के निजी विचार, जो मेनोपॉज को अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत मानती हैं।
बिना गिल्ट के ‘ना’ कहने का समय है मेनोपॉज

मूल रूप से मेनोपॉज का समय महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलावों का होता है, जिससे कुछ चुनौतियां भी जुड़ी होती हैं, लेकिन सही मायनों में यह समय नए अवसरों का होता है। इस दौर में आप खुद को नए नजरिए से देख सकती हैं। अपने हेल्थ और लाइफस्टाइल पर ज्यादा ध्यान देते हुए मानसिक रूप से भी अधिक सशक्त बन सकती हैं। ऐसे में आप कह सकती हैं कि मेनोपॉज का मतलब रुकना नहीं, बल्कि खुद को नए सिरे से अपनाते हुए, जीवन की नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना है। यह आपकी एक नई यात्रा की शुरुआत है, जहां शरीर, मन और आपकी लाइफस्टाइल को एक नई दिशा मिलती है, क्योंकि मेनोपॉज से पहले महिलाएं इतनी सारी जिम्मेदारियों में उलझी रहती हैं कि उन्हें खुद के लिए समय ही नहीं मिलता। ऐसे में मेनोपॉज, खुद की खुशी और आराम को प्राथमिकता देते हुए नए शौक अपनाने, अकेले समय बिताने, खुद को गहराई से समझने और बिना गिल्ट के ‘ना’ कहने का समय है।
परेशानियों से परे जीवन की नई शुरुआत है मेनोपॉज
इस सिलसिले में अपना अनुभव साझा करते हुए शमा भगत कहती हैं, “मेनोपॉज का समय काफी भयानक होता है, क्योंकि शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं और आपको पता ही नहीं चलता। उस दौरान आप धैर्य खो देती हैं। आपको बिना मतलब गुस्सा आता है, जिसका असर आपकी स्किन और बालों पर पड़ता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। इस दौरान हॉट फ्लैश के साथ मैं हाइपर पिगमेंटेशन का शिकार हो गई थी, जो मेनोपॉज का एक अहम हिस्सा है। हालांकि शुरुआत में मुझे समझ ही नहीं आया कि मेरे साथ ये क्या हो रहा है। मेरे पीरियड्स अनियमित हो गए थे और मेरे पेट में ऐंठन और दर्द काफी बढ़ गया था। लेकिन अब जब मेरे पीरियड्स हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं, तो मैं खुद को काफी आजाद महसूस करती हूँ। अब मुझे कहीं भी आने-जाने से पहले पीरियड्स के बारे में चिंता नहीं करनी पड़ती। मैं जो चाहे, वो कपड़े पहन सकती हूं, क्योंकि अब मुझे दाग-धब्बों की चिंता नहीं है। अब मैं पहले से काफी तरोताजा महसूस करती हूं। मुझे लगता है जैसे यह मेरे जीवन की नई शुरुआत है।”
उदासी के साथ खुशी का अहसास भी देती है मेनोपॉज

हालांकि मेनोपॉज के दौर से गुजर रही सुषमा शर्मा का अनुभव कुछ अलग है। उनका कहना है, “पिछले एक साल से मेरे पीरियड्स पूरी तरह से अनियमित हो गए हैं। कभी तीन महीने में तो कभी पांच महीने में आते हैं और जब आते हैं तो पेट में दर्द और ऐंठन से दिमाग की नसें फट जाती हैं। कभी-कभी लगता है क्या मुसीबत है। कभी बेहद गर्मी होने लगती है, तो कभी बेतहाशा ठंडी लगने लगती है। कई बार तो पूरी रात सिर्फ पंखे को कम-ज्यादा करने में गुजर जाती है। शारीरिक परेशानी के अलावा मानसिक परेशानी उससे भी ज्यादा है क्योंकि बिना कारण मन उदास हो जाता है। कई बार रोने का मन करता है और सबसे ज्यादा गुस्सा तब आता है, जब कोई समझता नहीं। हालांकि इतनी सारी परेशानियों के बावजूद मैं खुश हूं कि अब इससे पिंड छूटेगा।”
महिलाओं के साथ परिवार भी समझें मेनोपॉज का सकारात्मक पक्ष

डॉक्टर सोनम विश्वकर्मा कहती हैं, “हम सभी जानते हैं कि एक बार जब महिला की शादी हो जाती है तो वह अपना पूरा जीवन घरेलू काम-काज, परिवार की जरूरतों को पूरा करने और अपने पति-बच्चों की देखभाल में लगा देती है। ऐसे में मेनोपॉज वो समय होता है जब उन्हें अपने बारे में सोचना चाहिए, अपने आपको समय देना चाहिए। हालांकि इस दौरान कुछ औरतें खुद को ‘बेकार’ समझने लगती हैं। उन्हें लगता है अब वे अपने पति और बच्चों के लिए बेकार हो चुकी हैं। कई बार ऐसा होता भी है कि इस दौरान बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी करके या तो करियर में बिजी हो जाते हैं या अपने घर-परिवार में। इसमें दो राय नहीं कि औरतों के लिए मेनोपॉज का समय थोड़ा क्रिटिकल होता है, क्योंकि इस दौरान वे बहुत सारे हार्मोनल परिवर्तनों से गुजरती हैं, जिसके कारण मूड स्विंग आम बात है। इस दौरान वे इस कदर संवेदनशील हो जाती हैं, कि उन्हें छोटी-छोटी चीजें भी बहुत प्रभावित करती हैं। ऐसे में उन सभी महिलाओं से मैं यही कहना चाहूंगी कि मेनोपॉज को आप परेशानी की बजाय अपने जीवन की सौगात समझें। अपने आप को उस एक्टिविटी में शामिल करें जो आप करना चाहती थीं। हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ हेल्दी डाइट लें। इसके अलावा मैं परिवार के लोगों से भी कहूंगी कि वे मेनोपॉज के दौर से गुजर रही अपने घर की महिलाओं को समझने का प्रयास करें। उन्हें अपना समय देते हुए उनके साथ धैर्य से पेश आएं। विशेष रूप से पुरुषों में मेनोपॉज के बारे में जागरूकता पैदा करना बहुत जरूरी है, जिससे वे महिलाओं को बेहतर तरीके से समझ सकें और मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को अपनी पहचान बनाए रखने में सहायता कर सकें।”
मेनोपॉज, एक नई सोच

यह बात शत-प्रतिशत सच है कि मेनोपॉज के साथ सिर्फ जीवन का एक नया दौर शुरू नहीं होता, बल्कि आपके रिश्तों को भी एक नई ऊर्जा भी मिलती है। ऐसे में मेनोपॉज का आकलन कमजोरी या उम्र बढ़ने से लगाने की बजाय इसे मेच्योरिटी और समझ के साथ जीवन जीने का मौका समझिए। जीवनसाथी के साथ ज्यादा समय बिताने के अलावा अपने पुराने दोस्तों से नया संबंध बनाएं। अपने परिवार के साथ अपनी कहानियां और अनुभव साझा करें, जिससे वे भी इस बदलाव को सकारात्मक रूप से समझ सकें। अपनी बॉस खुद बनते हुए स्टीयरिंग व्हील अपने हाथों में लीजिए, क्योंकि मेनोपॉज, एक पॉज नहीं, बल्कि लाइफ का नया प्ले बटन है।