एक महिला को कुदरत ने वो नेमत बक्शी है कि उनमें ममता का सागर होता है और ऐसे में वे न केवल अपनी कोख से जन्म देती है एक बच्चे को, बल्कि अपनी करूणा से बिना जन्म दिए भी मां का स्नेह बच्चे तक पहुंचा सकती हैं। आइए ऐसे में कुछ ऐसी ही यशोदा मांओं के बारे में जानें।
सिंधुताई सप्तकाल
सिंधुताई सप्तकाल एक ऐसी महिला रहीं, जिन्होंने कई अनाथ बच्चों की मां बनना तय किया। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता रहीं। उन्होंने लगभग 1400 से भी अधिक अनाथ बच्चों को गोद लिया था। उन्होंने इस बच्चों के पालन-पोषण के लिए भिक्षा मांगने से भी गुरेज नहीं किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन इन्हीं बच्चों पर कुर्बान किया। उन्हें महाराष्ट्र की मदर टेरेसा भी कहा जाता है। वह महाराष्ट्र के वर्धा जिले से संबंध रखती थीं। उनका जीवन इतना सुहावना नहीं रहा। बता दें कि जब वह 9 साल की थीं, तब उनकी शादी कर दी गई थी और वह भी बड़े उम्र के व्यक्ति से। उन्होंने महज चौथी क्लास तक ही पढ़ाई की थी। वह आगे पढ़ना चाहती थीं, लेकिन उन्हें न मायके का साथ मिला न ही ससुराल का। उनके संघर्ष के दिन उस वक़्त शुरू हुए, जब उन्हें गर्भावस्था में घर से बाहर निकाल दिया। सिंधुताई ने एक बेटी को जन्म दिया, साथ ही कई बच्चों को गोद लिया और बच्चों का पेट पालने के लिए उन्होंने भीख मांगना शुरू कर दिया। उन्हें अब तक 700 से अधिक सम्मान मिल चुका है।
धरा पांडे
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मध्य प्रदेश से संबंध रखने वाले धरा पांडे अपने पति निखिल दवे के साथ मिल कर यह जिम्मेदारी पूरी कर रही हैं कि उन्होंने 20 बच्चों की परवरिश का फैसला लिया है। धरा शिक्षण के क्षेत्र से ही जुड़ी हुई हैं और निखिल व्यवसाय करते हैं। दोनों ने ‘क्राफ्टिंग फ्यूचर’ नाम से अपना यह नेक काम शुरू किया । ऐसे में दोनों की कोशिश यही होती है कि वह जहां भी जाएं, वहां के जरूरतमंद और हुनरमंद बच्चों के साथ जुड़ें। ऐसे में मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाके में जब आदिवासी बच्चों में प्रतिभा देखी, तो वह हैरान रह गए और उन्हें लगा कि इन्हें जरूर पढ़ाया जाना चाहिए। वर्ष 2014 में दोनों ने मिल कर, यहां के बच्चों को गोद लिया। पहले तो उनके पेरेंट्स तैयार नहीं थे। लेकिन बाद में मशक्क्त के बाद सभी तैयार हुए। इन दोनों के लिए यह आसान निर्णय नहीं था, क्योंकि ये दो लोग इस काम को अंजाम नहीं दे सकते थे, फिर इन्हें इनके काफी दोस्तों ने भी मदद करना शुरू किया। फिर सबने आपस में ही मिल कर जिम्मेदारियां बांटी। उनके दोस्तों ने राशन से लेकर, स्कूल में दाखिले, पुस्तक और ऐसे कई जरूरी इंतजाम, जो इन बच्चों को चाहिए थे, सबने मिल कर बंदोबश्त किया।
डॉ किरण मोदी
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डॉ किरण मोदी एक शानदार उदाहरण हैं, इस बात कि आप बच्चे को जन्म दिए बगैर भी मां बन सकती हैं। डॉ किरण उदयन केयर की संस्थापक भी हैं और प्रबंध ट्रस्टी हैं। उन्होंने 'मेकिंग यंग लाइव्स शाइन' के दृष्टिकोण के साथ 1994 में दिल्ली, भारत में उदयन केयर की स्थापना की, जो अपनी कई परियोजनाओं में अनाथ और जोखिम वाले बच्चों के लिए समूह घर चलाता है। उनकी संस्था गरीब बच्चों के कल्याण के लिए कार्य करता है।
तुलसी परिहार
तुलसी परिहार एक अद्भुत महिला रही हैं, जो एक मां के रूप में एसओएस(SOS) चिल्ड्रेन विलेजेज में जुड़ीं और अब दुनिया में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली मां हैं। गौरतलब है कि उन्होंने अपनी देखरेख में 33 बच्चों को पाला है। वर्ष 1984 में उन्होंने संगठन की स्थापना की। उन्होंने उन बच्चों की सेवा करना अपना मिशन बना लिया और उन्हें प्यार, देखभाल और समर्थन दिया।