ऐसा कई बार होता है, जब हम किसी को मजाक में कोई बात कह जाते हैं, लेकिन हमें इस बात का अनुमान भी नहीं होता है कि एक शब्द किस तरह से दूसरे के लिए घातक साबित हो सकते हैं या उन्हें परेशानी में डाल सकते हैं, इसलिए जरूरी है कि आप ऐसी बातें जो किसी के लिए भी तनाव का कारण बनें, वो इस्तेमाल न करें, आइए जानते हैं साइकोलॉजिस्ट डॉ किरण से विस्तार में।
मेंटल है क्या
अमूमन आम बोलचाल की भाषा में भी मेंटल है क्या शब्द का बहुत इस्तेमाल हो जाता है, आप किसी को भी कह देते हैं कि मेंटल है क्या, दिमाग खराब मत कर, तेरे भेजे में कुछ घुसता नहीं है, ऐसे कई तरह के शब्दों का इस्तेमाल होता ही है, लेकिन यह दरअसल एक मानसिक स्थिति होती है और यह बात एक इंसान, जो कि इस स्थिति से गुजर रहा है, उन्हें परेशान कर सकता है, इसलिए बेहद जरूरी है कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न किया जाये। दरअसल, होता यह है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों की मानसिक बीमारियों के अलावा और भी कई तरह की परेशानियां होती हैं, ऐसे में वे दूसरों से यही उम्मीद करते हैं कि वे उन्हें प्यार से रखें, न कि उनका मजाक बनाएं, क्योंकि उन्हें हमेशा ही दूसरे के साथ शामिल होने की कोशिश करते हैं, इसलिए उन्हें किसी भी बात से उन्हें तकलीफ न हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
मेंटली डिस्टर्ब है
इस शब्द का इस्तेमाल भी हम बिना सोचे समझे कर देते हैं, यह भी होना नहीं चाहिए, बल्कि हमें कहना चाहिए कि यह इंसान मेंटल हेल्थ वाली परिस्थिति से गुजर रहा है, क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि डिस्टर्ब शब्द सुनते ही उन्हें और अधिक परेशानी हो जाती है, इसलिए ऐसे शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
यह सब आपके दिमाग में है
इस बात का भी ख्याल रखना जरूरी है कि हम अमूमन यह कह देते हैं कि यह सब कुछ आपके दिमाग में है, ये आपके दिमाग में इट्स ऑल इन योर हेड जैसी बातें हम यूं ही कह देते हैं, लेकिन वह बिल्कुल दूसरे पर अलग तरीके से असर कर जाती है, जो कि बिल्कुल नहीं होना चाहिए। जो इससे ग्रसित होते हैं, उनके दिमाग में एक अलग तरह का रसायन चलने लगता है और यह बातें उन्हें बेहद टच कर जाती है और फिर उन्हें यह बातें बर्दाश्त नहीं होती है, इसलिए ये बातें कहना ही सही नहीं होता है।
बहुत डिप्रेशन में हो क्या
जिस तरह से तनावपूर्ण माहौल है, बात-बात पर हमलोग एक दूसरे से पूछ बैठते हैं कि आप डिप्रेशन में हो क्या या फिर कोई निराश भी है, तो उसे डिप्रेशन का कारण कह देते हैं, जबकि डिप्रेशन भी एक मेंटल कंडीशन है और इसका इलाज सही समय पर होना जरूरी होता है, इसलिए अगली बार इसे बोलने से पहले कई बार सोच लें।
साइको है क्रेजी है
हमारे आस-पास कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो कुछ भी अलग तरह की चीजें कर देते हैं, तो हम उनको कहते हैं कि एकदम क्रेजी है या साइको है, दरअसल इन शब्दों का इस्तेमाल भी ऐसे नहीं करना चाहिए। ऐतिहासिक रूप से एक भेदभावपूर्ण शब्दावली के रूप में स्थापित हो गया है। ऐसे में कई बार "साइको", "सिज़ो", "लूनी" और "पागल" जैसे शब्दों को सही मान लिया गया है और कभी भी राह चलते भी हम इस शब्द का इस्तेमाल हो जाता है। दरअसल, ऐसे शब्दों का इस्तेमाल आगे चलकर उन्हें यह सोचने के दुष्चक्र में फंसा देता है कि वे "किसी बीमारी " से पीड़ित हैं। इसलिए इन शब्दों का इस्तेमाल भी सोच समझ के ही होना चाहिए। दरअसल,
मनोविकृति एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसके कारण व्यक्ति वास्तविकता से संपर्क खो देता है और केवल भ्रम में जीने लगता है, यह अनुमान है कि 3% लोग मनोविकृति का अनुभव करते हैं, इसलिए ऐसे शब्दों का प्रयोग सही नहीं है।
आज मौसम काफी बायपोलर है
हम जब किसी मौसम के बारे में बात करते हैं, तो उस मौसम को बायपोलर का नाम दे देते हैं। लेकिन हम इस बात से अनजान होते हैं कि इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा हो सकता है कि जैसे मौसम कभी भी ठण्ड या गर्म हो जाए, तो हम यही कहते हैं कि मौसम तो बायपोलर तरीके से काम कर रहा है, लेकिन बायपोलर शब्द एक मेंटल कंडीशन है और यह बात हमें समझनी चाहिए। दरअसल, बायपोलर होने पर एक व्यक्ति के कई तरह से मूड स्विंग्स होते हैं और होते ही रहते हैं, इसलिए इस कंडीशन को समझना भी बेहद जरूरी है।
मुझे इसका एडिक्शन हो गया है
आपको जब कोई एक काम बार-बार करने में मजा आता है, तो आप यह बात दोहराने लगते हैं कि मुझे एडिक्शन हो गया है, जबकि हमें उस बात से भी दूरी बनानी चाहिए। बता दें कि एडिक्शन या लत एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जो किसी भी व्यक्ति और उस व्यक्ति के प्रियजनों दोनों के जीवन को नष्ट कर सकती है। दरअसल, किसी भी चीज का आनंद लेना और उसकी आदी होने के बीच काफी अंतर है। हो सकता है कि जिसे लत की परेशानी हो, वो इंसान नशे की लत के व्यवहार से निकलना चाहता हो, लेकिन उसे बाकी चीजें अच्छी लगें, तो इसलिए कई बार सोचें कि क्या बोलना चाहिए, क्या नहीं।