भारत के पारंपरिक खाने की महक उसकी विरासत में भी झलकती है। आप यह समझ सकती हैं कि आगरा के ताजमहल से लेकर दिल्ली के लाल किले ने, जिस तरह भारत की सबसे अनमोल धरोहर है। ठीक इसी तरह हमारे भारतीय खाने का कुछ चुनिंदा स्वाद ऐसा है, जो कि हमारी परंपरा और सभ्यता की अनमोल धरोहर है। भारतीय परंपरा के खजाने से आइए चलते हैं हेरिटेज फुड वॉक पर और करते हैं, मुलाकात हमारे खाने से जुड़ी भारतीय धरोहर से। आइए जानते हैं विस्तार से।
पेठा
पेठा एक तरह की मिठाई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ताजमहल के निर्माण के साथ पेठे ने भी जन्म लिया है। माना जाता है कि ताजमहल को बनाने के दौरान हर दिन लगभग 21 हजार मजदूर हर दिन काम करते थे। उनके भोजन के लिए दाल और रोटी की व्यवस्था की गई थी। हर दिन एक ही तरह का भोजन करके मजबूर ऊब चुके थे, साथ ही हर दिन काम करने की ऊर्जा भी उनमें घटती जा रही थी। उस समय के मुगल सम्राट शाहजहां ने मास्टर आर्किटेक्ट उस्ताद ईसा एफेंदी के सामने अपनी चिंता जाहिर की और फिर इसके बाद पेठे की रेसिपी सामने आयी और 500 रसोईयों ने मिलकर मजदूरों के लिए पेठा तैयार किया। इसी के साथ पेठा हमारी भारतीय खाने की धरोहर का हिस्सा बन गया।
दाल- बाटी
दाल-बाटी से राजस्थान की मिट्टी की खुशबू आती है, लेकिन इसी के साथ एक खुशबू युद्ध मैदान की मिट्टी की भी आती है। आपको बता दें कि राजा-महाराजाओं के जमाने से दाल-बाटी और चूरमा खाने की थाली में शामिल हुआ है। मेवाड़ के चित्तौड़गढ़ किले में दाल-बाटी और चूरमा बनने की शुरुआत हुई। हुआ यूं कि युद्ध पर जाने से पहले शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए ऐसे खाने की जरूरत थी, जिसमें पौष्टिक पदार्थ मिले हुए रहते हैं। इसी लिए घी में गूंथे आटे से बाटी और दाल की पोष्टिकता के साथ मेवे (ड्राईफूट्स), घी और गेहूं के आटे को मिलाकर चूरमा बनाया गया, जिससे युद्ध के दौरान लंबे समय तक पेट भरा रहता था और साथ ही युद्ध के दौरान राजाओं को जल्दी भूख और थकावट का एहसास नहीं होता था।
जलेबी
दिलचस्प है कि जलेबी को कई रोचक नामों से इतिहास के पन्नों में दर्ज किया गया है। इसे जलेबी के अलावा जलाबिया, जुलाबिया, जिल्बी, जिलापी और जेलापी भी कहा जाता रहा है। जान लें कि एशियाई महाद्वीप में तकरीबन 1000 साल से जलेबी का स्वाद चखा जा रहा है। माना गया है कि 13 वीं सदी में जलेबी को फारसी लोगों ने ईजाद किया और फिर इस स्वादिष्ट मिठाई के ज्ञान को भारत लाया गया। इसके साथ जलेबी भारत में लोकप्रिय मिठाई के तौर पर अपना दबदबा कायम कर लिया। 17 वीं शताब्दी के कई ऐतिहासिक ग्रंथों में जलेबी की मिठास का उल्लेख किया गया है।
दम बिरयानी
इतिहास के पन्नों से ज्ञात हुआ है कि भारतीय खाने की धरोहर में दम बिरयानी का भी नाम शामिल है। माना गया है कि दम बिरयानी की उत्पत्ति निजामों के युग में हैदराबाद की रियासत में हुई है। भारत में मुगलों के जमाने से ही बिरयानी भी खाने का हिस्सा रही है। कई इतिहासकारों ने यह भी कहा है कि भारत पर तैमूर के आक्रमण के समय बिरयानी खाने में सभी के लिए रखी गई थी। दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है कि बिरयानी की उत्पत्ति लखनऊ में हुई थी। अवध के नवाब मे अपनी प्रजा के लिए खाना बनाया था और भोजन की कमी होने के कारण उन्होंने एक बड़ी-सी हांडी में बिरयानी बनाने का आदेश दिया था और इसे बड़ी सी हंडी में काफी दम लगाकर बनाया गया था। उस दौरान से ही इसे दम बिरयानी कहा जाने लगा था।
खाजा
खाजा न केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में शादी के मौके का खास पकवान माना जाता है, बल्कि इसे ओडिशा की भी सबसे लोकप्रिय मिठाई माना जाता है। माना जाता है कि तकरीबन 2 हजार साल पहले बिहार के गंगा नदी के मैदानी इलाके में बनाया गया था। इसी के साथ खाजा भी भारतीय खाने के धरोहर का लोकप्रिय खान-पान है, जो कि मुगलों से लेकर राजा-महाराजाओं के शाही रसोई का हिस्सा रहा करता था और वर्तमान में भी खाजा ने अपनी मिठास पकवानों की दुनिया में बनाए रखी है।