हिंदी थियेटर में ऐसी कई महिला नाटककार रही हैं, जिन्हें विश्व पैमाने पर लोकप्रियता हासिल हुई है। आइए जानते हैं उनके बारे में।
उषा गांगुली
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उषा गांगुली एक थिएटर निर्देशक-अभिनेत्री और कार्यकर्ता थीं, जो 1970 और 1980 के दशक में कोलकाता में हिंदी थिएटर में अपने काम के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने संगीत कला मंदिर से अभिनय की शुरुआत की, उनकी पहली भूमिका मिट्टी की गाड़ी से की। उन्होंने थिएटर ग्रुप रंगकर्मी की स्थापना की। उनकी प्रसिद्ध प्रस्तुतियों में महाभोज, लोक कथा, कोर्ट मार्शल, रुदाली, हिम्मत माई, मंटो और मंटो और काशीनामा शामिल हैं।
हिमानी पंत
हिमानी पंत को कौन नहीं जानता है, वह एक बड़ा नाम हैं और थियेटर की दुनिया में कामयाब नाम भी। दरअसल, दिल्ली की वह एक थिएटर कलाकार हैं और उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी चुनौतियों का सामना करते हुए एक पहचान बनायीं। उनका नाटक 'हिस्टेरिकल हिस्टीरिया' मानसिक परेशानियों से जूझ रहे लोगों को संवेदनशीलता प्रदान करने की कोशिश करता है। हिमानी पंत ने अपने जीवन में महिलाओं से जुड़ीं कई परेशानियों और मुद्दों को अपने नाटकों के माध्यम से जीवंत रूप से प्रस्तुत किया है।
शबाना आजमी
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शबाना आजमी ने लंबे समय से अपनी पहचान स्थापित करके रखी है। उन्होंने विश्व थियेटर की दुनिया में भी काफी काम किया है और हमेशा उन्हें लोकप्रियता मिली है। ‘तुम्हारी अमृता’ और ‘सफेद कुंडली’ जैसे दर्जनों नाटक हैं, जिनका वह सफल मंचन करती हुईं न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी काफी लोकप्रियता हासिल कर चुकी हैं।
संजना कपूर
संजना कपूर भी एक नामचीन हस्ती हैं। उन्होंने थियेटर में काफी अधिक योगदान दिया है। मशहूर अभिनेता और थियेटर के लिए समर्पित शशि कपूर ने पृथ्वी थिएटर का निर्माण किया, उनकी बेटी संजना ने अपनी बागडौर संभाली और पृथ्वी थियेटर को सक्रिय रखा। इन्होंने मुंबई में पृथ्वी थिएटर को रिवाइव किया और इस थियेटर को नयी ऊंचाइयां दिया।
अमल अल्लाना
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अमल अल्लाना एक थिएटर निर्देशक, सुंदर डिजाइनर और कॉस्ट्यूम डिजाइनर रही हैं। उन्होंने नई दिल्ली में ड्रामेटिक आर्ट एंड डिजाइन अकादमी का संचालन करती हैं। अमल ने 2005 से 2013 तक लगातार दो कार्यकालों तक अपने अल्मा मेटर, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने मुंबई में थिएटर ग्रुप द वर्कशॉप स्टूडियो और दिल्ली में स्टूडियो 1 और थिएटर एंड टेलीविजन एसोसिएट्स दोनों की स्थापना की। अमल ने हिंदी में 55 से अधिक नाटकों का निर्देशन किया है, जिनमें आधे-अधूरे, आषाढ़ का एक दिन खामोश, अदालत जारी है, तुगलक, हयवदनाऔर महाभोज शामिल है।