वर्ष 2023 में, विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) के क्षेत्र में 43 प्रतिशत भारतीय स्नातक महिलाएं हैं, जो कि विश्व स्तर पर एक बड़ी बात है। ऐसे में एक नजर उन महिलाओं पर डालते हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र में भारत में सबसे बड़े योगदान दिए। आइए जानें विस्तार से।
अय्यालसोमयजुला ललिता : भारत की पहली महिला इंजीनियर
अय्यालसोमयजुला ललिता, भारत की पहली महिला इंजीनियर रही हैं। उन्होंने 1943 में इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग से स्नातक किया था। ललिता की शादी 15 साल की छोटी उम्र में हो गई थी, अपने पति के साथ उन्होंने ज्यादा समय नहीं बिताया था, चूंकि उनकी मृत्यु बेहद कम उम्र में हो गई थी। ललिता ने फिर तय किया कि वह अपनी पढ़ाई जारी रखेंगी और फिर उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। उस दौर में जब केवल पुरुष ही इस क्षेत्र में आगे आते थे, ललिता के पिता पप्पू सुब्बा राव ने उनकी माध्यामिक शिक्षा पूरी करने की इच्छा का समर्थन किया था और ऑल पुरुष कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने जमालपुर रेलवे स्टेशन में पहला वर्कशॉप किया था। उन्होंने भारत के सबसे बड़े बांध भाखड़ा नंगल डैम, ट्रांसमिशन लाइंस और सबस्टेशन ले आउट्स पर काम किया।
अन्ना मणि : भारत की पहली महिला मौसम वैज्ञानिक
अन्ना मणि को भारत की वेदर वुमन माना जाता है। नोबेल विजेता प्रफेसर सीवी रमन की स्टूडेंट रहीं अन्ना मणि को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस ने पीएचडी देने से इनकार कर दिया था। फिर मीटरोलॉजिकल इंस्ट्रूमेंट्स यानी मौसम का हाल बताने वाले उपकरणों की एक्सपर्ट बनीं। अन्ना मणि के नेतृत्व में 100 से ज्यादा वेदर इंस्ट्रूमेंट्स को दुरुस्त किया। अन्ना को हमेशा से ही पढ़ाई का बेहद शौक रहा। उन्होंने 12 साल की उम्र में अपनी एक लाइब्रेरी बना ली थी। उन्होंने देशभर में सोलर रेडिएशन मापने के लिए मॉनिटरिंग स्टेशंस भी लगाये।
आसिमा चटर्जी : भारत की पहली महिला डॉक्टरेट
विज्ञान में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाली पहली महिला आसिमा चटर्जी हैं। उन्होंने मलेरिया की रोकथाम करने वाली दवाओं पर काफी शोध किया। उन्होंने बायोलॉजिकल केमिस्ट्री और केमेस्ट्री में शिक्षा हासिल की थी।
डॉ आनंदीबाई गोपाल जोशी : पश्चिमी चिकित्सा की पहली भारतीय महिला चिकित्सक
डॉ. आनंदीबाई गोपाल जोशी पश्चिमी चिकित्सा की पहली भारतीय महिला चिकित्सक थीं। वह मुंबई ( तब बंबई) में पहली महिला सर्जन और पहली परीक्षक, प्रॉक्टर और रजिस्ट्रार भी थीं। उनके पिता एक किसान थे और उन्होंने अपने बच्चों को सात साल की उम्र तक घर पर ही पढ़ाया। फिर उन्होंने उनके लिए स्थानीय स्कूल में जाने की व्यवस्था की। आनंदी गोपाल जोशी ने एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ाई की, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और फिर चिकित्सा और जीवन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। एक भारतीय महिला के रूप में उस वक्त मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाना उनके लिए बहुत मुश्किल था। लेकिन उन्होंने इसे तोड़ा और प्रवेश लिया। डॉ आनंदीबाई जोशी का महिला शिक्षा के मूल्य के बारे में बहुत अधिक दृढ़ विश्वास था।
कमला सोहोनी : पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला
कमला सोहोनी वैज्ञानिक अनुशासन में पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला थीं। उन्होंने आईआईएससी में रिसर्च फेलोशिप के लिए आवेदन किया था और उस दौर में उन्हें केवल इसलिए अस्वीकार कर दिया गया, क्योंकि वह एक महिला थीं। बता दें कि वह प्रोफेसर सीवी रमन की पहली महिला छात्रा थीं। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण रमन ने उन्हें और शोध करने की अनुमति दे दी।