ऐसे बहुत कम लोग होते हैं, जो आगे बढ़ने की प्रेरणा के साथ, दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। ज्योति रेड्डी उन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने शिक्षा के दम पर तय किया दिहाड़ी मजदूर से बिलियन डॉलर कंपनी की सीईओ बनने का सफर। आइए जानते हैं इनसे जुड़ी खास बातें।
ज्योति रेड्डी की मेहनत, लगन और आत्मविश्वास
भारत से अमेरिका की दूरी लगभग 12,053 किलोमीटर है, जहां फ्लाइट से जाने के लिए लगभग 17 से 20 घंटे की लगातार यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन दिहाड़ी मजदूर रहीं ज्योति रेड्डी को यह सफर तय करने में अपनी जिंदगी के लगभग 35 साल लग गए। यह ज्योति रेड्डी की मेहनत, लगन और आत्मविश्वास का ही नतीजा है कि कभी दो वक्त भोजन के लिए तरसनेवाली, स्कूल जाने के लिए 5 किलोमीटर की यात्रा नंगे पैर करनेवाली और हर रोज सिर्फ 5 रुपये कमाने के लिए धान के खेतों में 10 घंटे मजदूरी करनेवाली ज्योति रेड्डी, आज अमेरिका में न सिर्फ लक्जरी कार से चलती हैं, बल्कि बिलियन डॉलर कंपनी की सीईओ ज्योति रेड्डी आज खुद अपने हजारों कमर्चारियों को लाखों रूपये सैलरी देती हैं। गौरतलब है कि डी अनिला ज्योति रेड्डी, फिलहाल एक अरब डॉलर से भी अधिक आईटी कंपनी ‘की सॉफ्टवेयर सोल्यूशंस’ की सीईओ हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने वर्ष 2001 में की थी।
ज्योति रेड्डी का जन्म और उनका पालन-पोषण
अपने सपनों के पीछे दौड़नेवाली ज्योति रेड्डी का जन्म वारंगल, तेलंगाना के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर रही ज्योति रेड्डी के मजदूर माता-पिता के लिए सभी बच्चों का खर्च उठा पाना मुमकिन न था। ऐसे में उन्हें और उनकी एक बहन और भाई के साथ अनाथालय भेज दिया गया, जहां रहकर उन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी की। अनहेल्दी भोजन के साथ मुश्किल परिस्थितियों में अनाथालय में रहना ज्योति रेड्डी के लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने जैसे न हारने की कसम खा ली थी। अनाथालय में रहकर दसवीं पास कर चुकी ज्योति रेड्डी ने फैसला कर लिया था कि वे खूब पढेंगी और अपने साथ अपने परिवार की मुश्किलें आसान करेंगी, लेकिन समाज के दबाव में उनके घरवालों ने महज 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह एक गरीब किसान से करवा दिया। एक अच्छी जिंदगी का सपना संजोए बैठी ज्योति रेड्डी के सपने तब धराशायी हो गए जब विवाह के दो वर्ष बाद ही वे दो बेटियों की मां बन गईं। अपने पति के साथ घर और बच्चों की आजीविका चलाने के लिए वे हर रोज धान की खेती में 5 रूपये पर दिहाड़ी मजदूर बन गईं और शायद वे इस जिंदगी को स्वीकार भी कर लेतीं, लेकिन जब उन्होंने देखा कि इतनी मेहनत के बावजूद उन्हें पति के साथ और प्यार की बजाय मार मिल रही है, तो उन्होंने उस जिंदगी को तिलांजलि देकर आगे बढ़ने का फैसला कर लिया।
पति से दूर बेटियों के लिए पसारे अपने पंख
एक अच्छी जिंदगी की तलाश में अपने बच्चों के साथ घर छोड़ चुकी ज्योति रेड्डी ने आखिरकार एक बार फिर अपने सपनों का पीछा करना शुरू कर दिया। 190 रुपये की मासिक वजीफे के साथ उन्हें वहीं एक लोकल स्कूल में स्वयंसेविका का काम मिला। कुछ समय तक यहां रहीं ज्योति रेड्डी ने पंख पसारने शुरू किए और स्वयंसेविका से एक अन्य स्कूल में लाइब्रेरियन बन गईं। अपनी दोनों बेटियों की जिम्मेदारी अकेले उठा रहीं ज्योति रेड्डी घर खर्च के लिए रात में लोगों के कपड़े भी सिलती थीं। इस तरह अपने बच्चों की जिम्मेदारी उठा रहीं ज्योति रेड्डी ने बच्चों के साथ अपनी पढ़ाई पर भी फोकस करते हुए 24 साल की उम्र में एक ओपन यूनिवर्सिटी से ग्रेज्युएशन और फिर पोस्ट ग्रेज्युएशन किया। पोस्ट ग्रेज्युएशन के बाद वे एक सरकारी स्कूल में टीचर बन गईं, लेकिन वे जानती थीं ये उनकी मंजिल नहीं, सिर्फ एक पड़ाव है। हालांकि पूरी मेहनत के साथ आगे बढ़ रहीं ज्योति रेड्डी ने तय कर लिया था कि जिस तरह की जिंदगी उन्होंने जी है, वो जिंदगी वे अपनी बेटियों को कभी नहीं देंगी, फिर इसके लिए उन्हें चाहे कितनी भी मेहनत क्यों न करनी पड़े।
अमेरिकी धरती पर बुने सपने को सच कर दिखाया
कहते हैं भविष्य की कोख में क्या छुपा है, इसे कोई नहीं जान सकता। बचपन में अमेरिका का नाम स्कूल की किताबों में पढ़ चुकी ज्योति रेड्डी ने शायद ही कभी सोचा होगा कि वे अमेरिका की हवाई यात्रा करेंगी, लेकिन अमेरिका में रहकर एक ऑड जॉब कर रहे उनके चचेरे भाई ने मानो उनके सपनों को और विस्तार दे दिया। उसके मार्गदर्शन में ज्योति रेड्डी ने न सिर्फ कंप्यूटर एप्लिकेशन में पोस्ट ग्रेज्युएशन डिप्लोमा हासिल किया, बल्कि मई 2000 में अमेरिका भी चली गईं। कैलिफोर्निया में सॉफ्टवेयर रिक्रूटर के तौर पर गईं ज्योति रेड्डी वहां 18 महीने रहीं, और इन 18 महीनों में उन्होंने बेबीसिटर के साथ सेल्स गर्ल, गैस स्टेशन अटेंडेंट और मॉटेल्स में ऑड जॉब्स किये। गौरतलब है कि अपनी दोनों बेटियों को तेलंगाना के हॉस्टल में छोड़कर गईं ज्योति रेड्डी, के मन से ये ऑड जॉब्स करते हुए भी कुछ बड़ा करने का ख्याल नहीं छूट रहा था। अमेरिका में 18 महीने रहने के बाद जब वे अपनी बेटियों से मिलने भारत आ रही थीं, तब इत्तेफाक से उनकी मुलाकात एक पादरी से हुई, जिन्होंने इनकी सक्सेस की भविष्यवाणी करते हुए इन्हें बताया कि इनका जन्म किसी की नौकरी करने की बजाय अपनी खुद की बॉस बनने के लिए हुआ है। उनकी इस बात ने ज्योति रेड्डी के सपनों की आग में जैसे ईंधन का काम किया और अमेरिका लौटते ही उन्होंने अमेरिका में रह रहे अपने चचेरे भाई को अपना बिजनेस पार्टनर बनाकर, वर्ष 2001 में फीनिक्स में अपनी पहली कंपनी ‘की सॉफ्टवेयर सोल्यूशंस’ की स्थापना कर दी।
आज हैं लाखों महिलाओं की प्रेरणा
अपनी कंपनी पोर्टफोलियो में टैलेंट रिक्रूटमेंट और सॉफ्टवेयर डेवेलपमेंट सेवाएं जोड़ते हुए उन्होंने अपनी कंपनी का विस्तार किया। बेहद कम समय में अपने बिजनेस को खड़ा करके कामयाबी के शिखर पर पहुंची ज्योति रेड्डी की कंपनी ‘की सॉफ्टवेयर सोल्यूशंस’ आज बिलियन डॉलर वाली बहुत बड़ी कंपनी बन चुकी है। पिछले कई सालों से इस कंपनी की सीईओ का पदभार संभाल रहीं ज्योति रेड्डी, अपनी दोनों बेटियों के साथ आज उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जो शिक्षा का दामन थामकर अपनी मेहनत के बल पर यह कहना चाहती हैं कि असंभव कुछ भी नहीं।