मां होना एक साथ कई जिम्मेदारियों को अदा करना है। मां बनने के साथ महिलाएं एक साथ कई जिम्मेदारियों को उठा कर अपने जीवन में आगे बढ़ती हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि मां अपने हर उम्र के पड़ाव पर बच्चे के बड़े होने से लेकर और अपने बुढ़ापे तक तनाव का सामना करती हैं। खासकर मां जब एक कामकाजी महिला की भूमिका में रहती हैं, तो वह अपने साथ बच्चे के साथ मौजूद न होने का पश्चतावा भी साथ लेकर तनाव में रहती है। आइए एक्सपर्ट से बातचीत पर जानते हैं कि कैसे मां अपने जीवन में तनाव का सामना करती हैं।
मां को रहती है परफेक्शन की तलाश
काउंसलर श्वेता कहती हैं कि एक मां तनाव के कई स्तर का सामना करती हैं। मां हमेशा एक तरह के घबराहट में रहती हैं कि क्या मैं मेरे बच्चे का ध्यान में सही तरीके से कर रही हूं या नहीं ? इसका मतलब यही है कि मां के लिए तनाव का सबसे बड़ा कारण यही है कि एक मां हमेशा परफेक्शन की तलाश करती हैं और उसके पीछे भागती रहती हैं। उन्हें लगता है कि क्या मैं अपने बच्चे के लिए परफेक्ट काम कर पाऊंगी या नहीं? क्या मैं परफेक्ट मां हूं? मेरी यह राय है कि परफेक्ट होने की कोई परिभाषा नहीं होती है। मेरे बच्चे के लिए जो सही है, मेरे परिवार के साथ मेरे खुद के लिए जो सही है, वो एक मां को अपने लिए सोचना चाहिए। समाज के नजरिए से कभी भी मां को यह नहीं सोचना चाहिए कि मुझे सबकुछ अच्छा करना चाहिए।
आत्मग्लानि में रहती हैं कामकाजी मां
काउंसलर श्वेता एक रिसर्च को आधार बनाते हुए कहती हैं कि एक कामकाजी मां आत्मग्लानि में रहती है कि क्या मैं अपने बच्चे के लिए पूरी तरह से मौजूद रहती हूं? क्या मैं अपने बच्चे को अपना सौ प्रतिशत नहीं दे पा रही हूं? क्या मैं बच्चे के लिए सही कर रही हूं? इस तरह के लगातार आत्मग्लानि में एक कामकाजी मां रहती है। जितना समय बाकी की मां दे पाती हैं और उतना मैं नहीं दे पाती हूं? यही विचार एक कामकाजी महिला के लिए तनाव का कारण बन जाती है।
खान-पान से संभल सकता है तनाव
डयटीशियन अमिता कहती हैं कि मां को हर दिन किसी न किसी छोटे या फिर बड़े तनाव का सामना करना होता हैं। जैसे की बच्चों की पसंद और नापसंद का ध्यान रखना। इसके साथ बच्चों के टाइम टेबल के अनुसार मां को अपना टाइम टेबल बनाना पड़ता है। मां को परिवार के दूसरे सदस्यों का भी ध्यान रखना पड़ता है। कई बार मां को अपने करियर और बच्चों की एक साथ जिम्मेदारी संभालनी पड़ती हैं। अध्ययन के अनुसार अगर मां अपने खान-पान का सही तरीके से ध्यान रखती हैं, तो तनाव को संभाला जा सकता है।
ब्रेकफास्ट और एक्सरसाइज
अमिता इस बात पर अधिक जोर देती हैं कि एक मां को कभी भी अपना ब्रेकफाइस्ट यानी कि सुबह के नाश्ते को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि कई बार महिलाएं काम के कारण नाश्ता नहीं करती हैं और उनमें चिड़चिड़ापन, कम एनर्जी और इसकी वजह से तनाव का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में अगर आप प्रोटीन से युक्त नाश्ता करती हैं, तो आपके दिन की शुरुआत अच्छी होती हैं। कई बार तनाव के कारण डायबिटीज की भी समस्या होती है और अगर आप अपने खान-पान में प्रोटीन को शामिल करती हैं, तो इससे मानसिक तनाव कम होता है और टाइप 2 की डायबिटीज का खतरा कम करता है। इसके साथ आप अगर पूरे 24 घंटे में 20 से 30 मिनट योग और एक्सरसाइज करती हैं, तो आपका तनाव कम होता है।
आयरन को दें महत्व
अमिता का कहना है कि भारत में कई ऐसी मां हैं, जो तनाव के कारण कई तरह की बीमारियों का सामना करती हैं। इसकी वजह से कमजोरी, थकान, चक्कर और सिर दर्द के साथ कई तरह की अन्य बीमारियों की समस्या होती है। ऐसे में आयरन युक्त पदार्थों के सेवन से एक मां इन सारी परेशानियों से बच सकती हैं। अपने खान-पान में हरे पत्ते की सब्जियां, दाल, सोया और पनीर को शामिल कर खुद को आयरन दे सकती हैं।
डेयरी प्रोडक्टर और कलर फुल डायट
अमिता यह भी स्वीकार करती हैं कि खाने में अगर हम अलग-अलग रंग की सब्जियां शामिल करती हैं, तो खान-पान के जरिए एंटीऑक्सीडेंट बढ़ता है, जो कि तनाव को कम करता है। साथ ही डिप्रेशन और घबराहट का खतरा भी कम होता है। यह भी जान लें कि डेयरी प्रोडक्ट भी तनाव पर काम करते हैं। दूध का सेवन करना तनाव को काफी करता है। इसकी वजह यह है कि दूध में कैल्शियम की मात्रा अच्छी होती है। कैल्शियम मसल्स से तनाव को हटाता है। इससे मां खुद को मानसिक और शारीरिक तनाव से दूर रख पाती है। अमिता इसे स्वीकार करती हैं कि भारत में 57 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी पायी गई है। विटामिन-सी आयरन के स्तक को बढ़ाता है, जिसकी वजह से हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद मिलती है। खट्टे फल, अमरूद और आंवला के साथ गर्मी के मौसम में नींबू भी विटामिन-सी के स्तर को बढ़ाता है।