हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, हालांकि महिलाओं के इस दुनिया में होने के अस्तित्व का सेलिब्रेशन हर दिन होना चाहिए। फिर चाहे महिलाओं के साथ सम्मान से पेश आना हो या फिर महिलाओं को बराबरी का हक देना हो। ऐसे एक नहीं कई जरिए हैं, जिससे आप अपने घर, पड़ोस, आफिस, स्कूल और कॉलेज में मौजूद महिलाओं के साथ आदर पूर्वक पेश आकर यह जाहिर कर सकते हैं कि उनके होने की अहमियत हमारे जिंदगी में कितनी अहम है। देखा जाए, तो संयुक्त राष्ट्र ने 8 मार्च 1975 को महिला दिवस मनाने की शुरुआत की थी। खास तौर पर 8 मार्च को एक खास दिन बनाया गया, ताकि दुनिया में महिलाओं के सम्मान को लेकर जागरूकता पैदा की जा सके। आइए विस्तार से जानते हैं कि 8 मार्च को क्यों अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महिला दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई।
आखिर क्यों चुना गया 8 मार्च
जान लें कि अमेरिका में काम करने वाली महिलाओं ने 8 मार्च को ही अपने अधिकारों को लेकर आंदोलन शुरू किया था। इसके बाद ही सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में साल 1908 महिला वर्कर्स को सम्मान देने के लिए इस दिन को चुना था। दूसरी तरफ रूसी महिलाओं ने पहले विश्व युद्ध का विरोध किया था। साथ ही 1917 में हड़ताल भी की थी। रूस की महिलाओं के साथ यूरोप की महिलाओं ने भी 8 मार्च को ही महिलाओं के समर्थन में रैलियां निकाली थीं। इसके बाद से ही हर साल महिला दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है। देखा जाए, तो हर साल की थीम कोई भी क्यों न हो, लेकिन हर साल महिला दिवस का मकसद यही होता है कि कैसे विश्व में महिलाओं के सम्मान और बराबरी को लेकर जागरूकता फैले।
जानें क्या है इस साल की महिला दिवस की थीम
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक तरह से विश्व में महिला सशक्तिकरण को भी प्रस्तुत करता है, क्योंकि महिला दिवस का मकसद महिलाओं की उन्नति और विकास को भी बढ़ावा देना है और इस साल महिला दिवस की कैंपेन थीम इंस्पायर इंक्लूजन ( Inspire Inclusion) है। इसका सीधा और साफ अर्थ यह है कि महिलाओं के महत्व को समझने के लिए लोगों को जागरूक करना। इसके साथ ही इस थीम का अर्थ महिलाओं के लिए एक ऐसे समाज के निर्माण को बढ़ावा देना भी है, जहां महिलाएं खुद को समाज से परिवार से और देश से जुड़ा हुआ महसूस करें और इसके साथ ही महिलाएं सशक्त भी महसूस करें। इस साल की थीम यह भी समझाती है कि महिलाओं के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। अगर दुनिया और देश के किसी कोने में महिलाओं के साथ भेदभाव हो भी रहा है, तो उसे बिल्कुल खत्म कर देना चाहिए। किसी भी तरह से अगर महिलाओं के साथ अच्छा बर्ताव नहीं होता है, तो उसके खिलाफ सभी को मिलकर आवाज उठानी जरूरी हो जाती है। इस साल की थीम का एक अर्थ यह भी है कि महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूत और सशक्त बनाया जाए। साथ ही महिलाओं को अनेक पदों पर भर्ती करना और उनका विभिन्न तौर पर विकसित करते रहना भी हमारे समाज का एक उद्देश्य होना चाहिए। साथ ही परिवार और समाज से जुड़े किसी भी महत्वपूर्ण मामले के दौरान नेतृत्व करना और निर्णय लेने के साथ व्यवसाय में महिलाओं और लड़कियों का समर्थन करना भी इस साल की थीम इंस्पायन इंक्लूजन का मकसद है। साथ ही विश्व में महिलाओं और लड़कियों की जरूरतों को पूरा करने वाले बुनियादी ढांचे का भी निर्माण इसी थीम के अंतर्गत होता है। खेती के स्तर पर भी महिलाओं को बढ़ावा देना, यानी कि कृषि और खाद्य सुरक्षा में महिलाओं की भागीदारी को अहम बनाना।
शिक्षा और महिलाएं
कई दशकों से महिलाओं के शिक्षा के अधिकार को जोड़ते हुए महिलाओं के कलात्मक प्रतिभा को भी इस साल की थीम में बढ़ावा देना साथ ही हर जगह हर पहलू में महिलाओं को पहले स्थान पर रखनी भी इस साल की थीम का अहम हिस्सा है। कहीं न कहीं इस साल की थीम इस बात को खुले तौर पर बयान करती हैं कि महिलाओं की मौजूदगी को किसी भी तरह से अनदेखा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विश्व में महिलाओं द्वारा किए गए अथक प्रयासों को याद करने का एक बड़ा प्रमाण भी है, जो कि न केवल किसी एक व्यक्ति या समाज को प्रेरणा देता है, बल्कि खुद महिलाओं को भी सतत आगे बढ़ते रहने का और खुले आसमान में उड़ने की सीख देता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कई सालों से महिलाएं अपनी रचनात्मकता, ताकत और बुनियाद को दुनिया के कैनवास पर बिखरते आए हुए हैं।
जानें क्या है क्लारा जेटकिन का महिला दिवस से नाता
क्लारा जेटकिन वो महिला हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी है। क्लारा जेटकिन ने ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी। उन्होंने ही महिलाओें को आवाज उठाने की ताकत दी है, अपनी आवाज बुलंद करने का हथियार दिया है। उन्होंने महिलाओं को हौसला दिया कि रुढ़िवादी परंपराओं को तोड़ते हुए कैसे खुद को साबित करना और खुद के लिए खड़ा होना सबसे अहम है। उल्लेखनीय है कि 116 साल पहले 1908 में न्यूयॉर्क शहर में 15 हजार महिलाओं ने परेड निकाली थी। इन सारी महिलाओं ने यह मांग की थी कि उनके काम के घंटे को कम किया जाए, साथ ही महिलाओं को मतदान करने का और अपना नेता चुनने का भी हक मिले। इस पूरी घटना के एक साल बाद साल 1909 में अमेरिका में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की घोषणा हुई और फिर 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बनाए जाने की सोच को जन्म दिया क्लारा जेटकिन ने। क्लारा जेटकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जो कि महिलाओं के मुद्दे को लेकर हमेशा आवाज उठाने में यकीन रखती थीं। जेटकिन ने महिलाओं के अधिकारों के लिए एक बड़े सम्मेलन का भी आयोजन किया था। इस सम्मेलन में 17 देशों की 100 महिलाएं पहुंची थीं और उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए महिला दिवस मनाने की पेशकश की, जिसका खुले दिल से स्वागत हुआ और 1911 में पहली बार जर्मनी, ऑस्ट्रिया, स्विजरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा। जेटकिन ने जब पहली दफा महिलाओं के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के विचार को रखा था, तो इसके लिए किसी दिन और किसी महीने को तय नहीं किया गया था। उस वक्त यह चर्चा हुई कि शुरुआती समय में फरवरी के पहले रविवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई, लेकिन कुछ साल बाद यानी कि साल 1955 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में इसे 8 मार्ट को मनाने की औपचारिक मान्यता मिली।
क्या है महिला दिवस का बैंगनी रंग से नाता
उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का रंग बैंगनी है। हर साल महिला दिवस को सेलिब्रेट करने के लिए कई जगहों पर बैंगनी रंग में पोस्टर और कई महिलाएं भी बैंगनी रंग के कपड़ों में दिखाई देती हैं। इसके पीछे भी एक इतिहास है, जो कि बैंगनी रंग के महत्व को बताता है। ज्ञात हो कि बैंगनी रंग मतदान के अधिकार से जुड़ा हुआ है। 20वीं शताब्दी से मताधिकार आंदोलन की शुरुआत महिलाओं को मतदान का अधिकार दिलाने के लिए किया गया था। इस आंदोलन में महिलाओं ने अपने मतदान के अधिकार के लिए बैंगनी, सफेद और हरे रंग का इस्तेमाल किया था। इन तीनों रंगों का इस्तेमाल पहले से ही आंदोलन के तीन सबसे प्रमुख पहलू को दर्शाने के लिए किया गया था। बैंगनी रंग के जरिए महिलाएं अपनी गरिमा को प्रस्तुत कर रही थीं, तो वहीं सफेद उनकी पवित्रता का और हरा उनके लिए उम्मीद की किरण का रंग था। बैंगनी, सफेद और हरे रंग के बैंनर और कपड़ों का इस्तेमाल महिलाओं ने इस आंदोलन में भरपूर किया था। दूसरी तरफ से देखा जाए, तो बैंगनी रंग क्रिएटिविटी, कल्पना और आध्यत्मिकता का भी रंग है, जो कि लंबे समय तक महिलाओं से जुड़ा हुआ रहता है। बैंगनी रंग महिलाओं की मौजूदगी का उत्सव मनाने का भी रंग है और साथ ही हर क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धियों को भी दर्शाता है। इसके अलावा भी देखा जाए, तो बंगनी रंग को गरिमा, शक्ति, क्रिएटिविटी और आशा का भी प्रतीक है। इसके साथ ही बैंगनी रंग को महिला शक्ति का भी रंग माना जाता है। इसलिए पूरे विश्व में महिला दिवस को मनाने के लिए बैंगनी रंग का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उत्सव का रंग माना जाता है।