जब भी कोई व्यक्ति बीमार होता है, तो अक्सर लोग उससे मुलाकात करने के लिए साथ में या तो फल लेकर जाते हैं या फिर फूल। यहां तक कि कई लोग घर के वातावरण को सकारात्मक बनाने के लिए फूल जरूर लगाते हैं। जन्मदिन और शादी की सालगिरह के दौरान भी फूल सकारात्मक और खुशियों का प्रतीक बनकर आते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे अच्छे मूड और तनाव से खुद को दूर रखने के लिए फ्लावर थेरेपी काम करती है।
क्या होता है फ्लावर थेरेपी
फ्लावर यानी की फूलों का इस्तेमाल करके की जाने वाली एक प्रक्रिया होती है,जो कि आपको मानसिक और शारीरिक तौर पर लाभ पहुंचाती है। फूलों की मौजूदगी और उसकी महक के अनुसार मानव मस्तिष्क पर काम करती है। फूलों की थेरेपी में आप अपनी पसंद के हिसाब से फूलों का चुनाव करके अपना मूड ठीक करने के लिए फ्लावर थेरेपी का इस्तेमाल कर सकती हैं।
फूलों की ताजगी
एक्सपर्ट्स का मानना है कि गुलाब, सूरजमुखी, जुही, गुड़हल और चमेली के फूल को भी अहम माना जाता है। एक्सपर्ट का मानना है कि फूलों में समाहित गुण हमारी जिंदगी को सकारात्मकता की तरफ लेकर जा सकते हैं। फूलों की ताजगी वातावरण को शुद्ध बनाने के साथ आपके दिमाग में खुशियों के तरंग भी प्रभावित करती है। फूलों को अपने करीब रखने से अवसाद और तनाव से भी रिलेक्स होने में सहायता मिलती है। इसी वजह से फूलों के ऑयल का प्रयोग भी तनाव दूर करने के लिए किया जाता है।
ऐसे करें फूलों का इस्तेमाल
गुलाब की पत्तियों के पानी को चेहरे पर लगाने से तनाव और थकान दूर होता है। कई जानकारों का मानना है कि सूरजमुखी के फूलों को नारियल तेल में मिलाकर कुछ दिनों तक धूप में रखें और इस तेल का प्रयोग शरीर में मालिश के लिए करें। इससे शरीर की त्वचा को लाभ होता है।
तनाव और चिंता के स्तर को करता है कम
चमेली का फूल तनाव और चिंता के स्तर को कम करने और अंदरूनी तौर पर शांति को प्रोत्साहित करता है। चमेली के फूलों की खुशबू से अच्छी नींद भी आती है। इस सुगंधित फूल को आप तेल के तौर पर भी बाजार से मंगा सकती हैं। फूलों पर भी कई शोध से यह पता चला है कि फूलों के आसपास रहने से भी तनाव कम होता है, इसके साथ ही इलाज में तेजी आती है और एकाग्रता बढ़ने के साथ मूड में भी सुधार होता है। साल 2005 में किए गए अध्ययन के अनुसार फूलों का पुरुषों और महिलाओं दोनों की भावनात्मक प्रतिक्रियाओं मनोदशा, सामाजिक व्यवहार और यहां तक कि स्मृति पर तत्काल और दीर्घकालीन प्रभाव पड़ता है।
थकान और चिंता की भावना होती है कम
एक और अध्ययन में यह जानकारी हासिल लगी है कि सर्जरी से उबरने के लिए जिन लोगों के अस्पताल के कमरे में पौधे या फिर फूल होते हैं, उनके स्वास्थ्य के बेहतर परिणाम होते हैं। यह भी माना गया है कि फूलों वाले कमरे में रहने के दौरान मरीज को थकान और चिंता की भावनाओं का कम सामना करना पड़ता है और एक सकारात्मक माहौल भी मिलता है। यह भी माना गया है कि फूल अपने साथ कई भावनाओं को संभालकर रखते हैं।
फूलों की चाय
फूलों का सामाजिक-भावनात्मक अर्थ होता है। उनका प्रयोग कई बार सहानुभूति, दुख, शर्म, प्यार, गर्व और खुशी के साथ धार्मिक भावनाओं को भी बयान करने के लिए किया जाता है। यह भी माना गया है कि कई फूलों में उपचार के पहलू भी होते हैं, जो कि शरीर को कई रोगों से जैसे कि सिरदर्द और नींद न आने की समस्या से भी आपको मुक्त कराता है। आयुर्वेद में कई उपचार ऐसे हैं, जहां पर फूलों की चाय भी बनाई जाती है। यह भी आपका मूड सुधारने में सहायक होती हैं। गुलाब, गुड़हल, गेंदे के फूलों से आप अपने लिए चाय बना सकती हैं। बाजार में .यह सभी चाय आसानी से मौजूद हैं।