कैंसर का पता चलने पर जीवन खत्म होता हुआ प्रतीत होता है, लेकिन उसका सामना करना किसी भी कैंसर पीड़ितों के लिए नए जीवन के समान होता है। कई सारे कैंसर पीड़ितों के बीच हंसा रंघवानी ने भी अपने कैंसर संघर्ष के साथ नई कहानी लिखी है और समाज के सामने सदाबहार जीवन जीने का उदाहरण पेश किया है। हंसा रंघवानी का संघर्ष बताता है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है, जरूरत केवल हिम्मत से आगे बढ़ने की। आइए जानते हैं विस्तार से।
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मुंबई की ब्राइडल मेकअप आर्टिस्ट से कैंसर से होने वाली जंग ने उनके जीवन और शरीर से छह ऑर्गन को छीन लिया, हालांकि उन्होंने अपने जीवन से हार नहीं मानी और इसका डट कर मुकाबला किया और हर उस इंसान के लिए प्रेरणा बन गयीं, जो जीवन में आने वाली जरा-सी मुश्किलों के बाद निराशा का हाथ थाम लेते हैं। बता दें कि हंंसा के कैंसर के ऑपरेशन के बाद गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन, ट्यूब, कोलन, गाॅल ब्लैडर, अपेंडिक्स और लिवर का हिस्सा हटाने के लिए सर्जरी की गयी। जीवन के उस पड़ाव पर उन्हें कैंसर का सामना करना पड़ा, जब वह 2 बच्चों को संभाल रही थीं। उन्हें अपने शरीर में मौजूद एडवांस्ड कोलोरेक्टल कैंसर का पता तब चला, जब वह कैंसर के चौथे स्टेज पर पहुंच चुकी थीं। कैंसर के झटके के साथ उन्हें यह भी पता चला कि इस बीमारी ने उनके शरीर के कई ऑर्गन पर भी अपना खतरनाक असर कर दिया है। डॉक्टर ने कई घंटों तक जारी रहने वाली जटिल सर्जरी के बाद उन्हें रोग मुक्त किया। हंसा के हालात ऐसे थे कि ट्यूमर के आकार के कारण वह खाने और चलने में भी असहाय थीं, लेकिन जीने की चाह में उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया।
जाहिर-सी बात है कि न केवल हंसा, बल्कि कई ऐसी महिलाएं हैं, जो कि कैंसर से अपनी जंग के बाद देश और दुनिया के समक्ष मिसाल बन चुके हैं। जानकारों का मानना है कि कैंसर का जन्म हमारे शरीर के अंदर की कोशिकाओं से ही होता है। कैंसर, किसी भी कोशिका के असामान्य तरीके से बढ़ने की एक गंभीर बीमारी है। अन्य बीमारियों की तरह कैंसर के भी आम लक्षण हैं, जिसे हम सभी को अनदेखा नहीं करना चाहिए। बुखार आना, वजन में कमी, शरीर में दर्द के साथ सिरदर्द तक कैंसर के शुरुआती लक्षण में गिने जाते हैं। आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि कैंसर शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर आपको अपनी चपेट में ले सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर साल सबसे अधिक मौत कैंसर के कारण होती है और कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा शिकार महिलाएं होती हैं, ब्रेस्ट कैंसर बीमारी उनकी मौत का कारण बनती है। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं साल में एक या 2 बार अपने पूरे शरीर की जांच अवश्य कराएं, ताकि वह कैंसर की आहट को पहचान कर खुद का जीवन सुरक्षित कर पाएं।