चांद के चंद्रयान पर पहुंचने से लेकर घर में रसोई की पाक कला तक, बेटियां अपने पंख को विकास की तरफ सतत बढ़ा रही हैं। देश के की ऐसे शहर हैं, जहां पर बेटियां पैदा होने पर जश्न मनाया जाता है। इन शहरों में किसी के घर बेटी जन्म होना, पूरे शहर के लिए गर्व का पल होता है। इसके साथ ही न केवल देश के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए मिसाल है, जो कि गर्ल चाइल्ड का महत्व सीखा रहे हैं। आइए जानते हैं विस्तार से कि कौन से ऐसे शहर हैं, जहां पर बेटियां अपने पैदा होने के साथ अभिमान, मान, सम्मान और गौरव की गाथा रच रही हैं।
उत्तर प्रदेश का सहारनपुर गांव
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के थरौली गांव में बेटियों के जन्म पर जश्न मनाया जाता है। सहारनपुर के थरौली गांव की प्रधान रीटा चौधरी और ग्रामीणों ने बेटियों के जन्म पर त्योहार मनाने का फैसला किया है। हाल ही में इसकी शुरुआत की गई है। दिलचस्प है कि इस गांव में एक साथ बेटियों का जन्म उत्सव मनाया जाता है। यहां पर उत्सव के दौरान जाति का बंधन नहीं होता है। सभी जाति और धर्म के लोग एक साथ मिलकर बेटी के जन्म का उत्सव मनाते हैं। उत्सव के समय ढोल की धुन पर बेटियों के माता-पिता को कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाता है। बधाई गीत के साथ मिठाई बांटी जाती हैं। पूरे गांव को भोज खिलाया जाता है, साथ ही बेटियों के माता-पिता को उपहार भी दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि दूसरे गांव के ग्राम प्रधानों को बेटियां उत्सव समारोह में आमंत्रित करके बेटी उत्सव मुहिम को आगे बढ़ाने का भी सराहनीय कार्य किया जाता है। साल में एक या दो बार बेटी उत्सव का आयोजन इस गांव में किया जाता है। इस गांव की पहचान यहां की बेटियों से है।
मध्य प्रदेश का बैतूल गांव
मध्य प्रदेश के बैतूल में भी बेटी पैदा होने का जश्न लेकर आता है। बैतूल में बेटी सुरक्षा के लिए एक टीम गठित की गई है, जहां बेटी का महत्व बताने के लिए यह पूरी टीम एक साथ कार्य करती है और अनेक तरह के कार्यक्रम करती है। इस टीम में गांव के शिक्षक, व्यापार और समाजसेवी कार्यरत हैं। यह टीम बेटियों का महत्व समझाने के लिए साल के पहले दिन बेटियों को सोने और चांदी का लॉकेट देकर उनका और उनकी मां का सम्मान करती है। यहां की गांव की दीवारों पर ‘बेटी बचाओ, बेटी है तो कल है’ जैसे स्लोगन दीवारों पर लिखे गए हैं।
झारखंड, हिमाचल और हरियाणा
झारखंड के चतरा जिले के गिद्धौर प्रखंड के एक गांव में पौधारोपण करने के लिए एक खास जगह बनाई गई है। साल 2007 से यहां पर बेटियों के जन्म से जुड़ी एक परंपरा है। इस गांव में बेटा होने पर 5 पौधे और बेटी होने पर 6 पौधे लगाए जाते हैं। साथ ही पेड़ों की रक्षा के लिए भी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। ठीक इसी तरह हिमाचल के लाहुल स्पीति की गाहर घाटी में गोची उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव खासतौर पर बेटियों के जन्म पर मनाया जाता आ रहा है। इस दिन खास पूजा के साथ, नृत्य और संगीत का आयोजन कर गांव में बेटी का स्वागत किया जाता है। दक्षिण हरियाणा में भी बेटियों के जन्म पर थाली बजाना और कुआं पूजन जैसे कार्यक्रम होते हैं।
माझी कन्या भाग्यश्री योजना
केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से भी बेटियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं हैं। केंद्र सरकार की तरफ से सुकन्या समृद्धि योजना, वहीं महाराष्ट्र में माझी कन्या भाग्यश्री योजना है। इस योजना के तहत महाराष्ट्र सरकार की तरफ से बेटियों के जन्म पर 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। जाहिर सी बात है कि कई लोग ऐसे हैं, जो कि सरकार की तरफ से मिलने वाले इन पैसे को अपनी बेटी की शिक्षा और विकास में निवेश करते हैं।