कामकाज की भागदौड़ के बीच निजी जिंदगी की जिम्मेदारी तब और बढ़ जाती है, जब आपको अपने बुजुर्ग माता-पिता के जीवन में बच्चे की नहीं, बल्कि बड़े की भूमिका निभानी पड़ती है। ऐसे में घर पर अगर कोई पेट्स यानी कि पालतू जानवर है, तो कठिनाई का स्तर बढ़ना स्वाभाविक है। इन हालातों में जब पेट्स और पेरेंट्स को एक साथ संभालना हो, तो कई सारी जरूरी बातों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आइए जानते हैं विस्तार से कि किन जरूरी बातों को ध्यान में रखकर आप अपने पेरेंट्स के साथ पेट्स का भी ध्यान रख सकती हैं।
डायट पर ध्यान दें
पालतू जानवर और बुर्जुग माता-पिता का एक साथ ध्यान रखने में सबसे जरूरी बात आती है, दोनों के सेहत से जुड़ी हुई। इसके लिए अपने घर के किचन में या फिर बेडरूम में एक राइटिंग बोर्ड लगा लें। आप इस बोर्ड पेट्स और माता-पिता के हर सप्ताह के खाने का पूरा मेन्यू लिख कर रख सकती हैं। इससे आप दोनों के सही खान-पान का पूरा ध्यान रख पायेंगी। मुमकिन हो तो पेट्स के लिए किसी अनुभवी व्यक्ति को घर में रखें, जो कि पेट्स की पूरे दिन देखभाल सही तरीके से कर सकें। खासतौर पर जब आपको ऑफिस और घर एक साथ संभालना हो। अगर किचन में भी कोई सहायक आपकी खाने बनाने में मदद कर रही हैं ,तो किचन में मौजूद बोर्ड में लिखे गए खाने के मेन्यू से आपके न रहने पर भी सहायक को समझने में काफी मदद करेगी। याद रखें कि खाना बनाने के लिए कौशल कुक रखें, ताकि पेरेंट्स को पौष्टिक आहार देने के साथ पेट्स को भी उनका भोजन मिलने में देरी न हो।
सेहत पर होगी सबसे पहली नजर
पेरेंट्स के साथ आप अपने पेट्स के सेहत पर पूरा ध्यान रखें। इसके लिए महीने में एक बार आप पेरेंट्स के स्वास्थ्य जांच की तारीख तय कर लें। यह भी जरूरी है कि पेट्स के स्वास्थ्य जांच को भी नजरअंदाज न करें, लेकिन यह याद रहे कि दोनों को एक साथ न ले जाएं। अगर आप दोनों को एक साथ ले जाती हैं, तो आपके लिए दोनों तरफ ध्यान देना मुश्किल हो जाएगा। अपने मोबाइल में एक अलार्म सेट कर लें कि आपको किस दिन और किसे स्वास्थ्य जांच के लिए लेकर जाना है। इस बीच एक और बात सबसे अहम है कि कई सारे बुजुर्ग दवा का समय याद नहीं रख पाते हैं, ऐसे में उनके लिए मेडिसिन ऑर्गेनाइजर खरीदें।
टाइम मैनेजमेंट की कला जरूरी
माता-पिता के साथ पेट्स को संभालने के दौरान आपको टाइम मैनेजमेंट की कला आनी चाहिए। अपने पेरेंट्स और पेट्स दोनों के जीवन में आपकी भूमिका सबसे अहम है। ऐसे में आपको दोनों को कैसे संभालना है, इसका पूरा ध्यान समय के हिसाब से रखना होगा। हो सकें, तो कुछ भूल न जाएं, इसके लिए कुछ प्रमुख कामों के लिए डायरी मेंटेन करें। ख्याल रखें कि दोनों को संभालते हुए अपनी सेहत का ध्यान रखना न भूलें।
साथ में फैमिली टाइम तो बनता है
याद रखें कि सिर्फ जिम्मेदारी ही नहीं, परिवार भी जरूरी है। जब भी मौका हो, खासतौर पर छुट्टी के दिन परिवार के साथ खुशी भरा समय बिताएं। ऐसा करने से आप पेरेंट्स और पेट्स दोनों के साथ अपने रिश्ते को और भी मजबूत और गहरा कर पायेंगी। कई बार ऐसा होता है कि हमारे आराम का ध्यान रखते हुए पेरेंट्स अपने दिल की बात खुल कर नहीं कह पाते हैं। ऐसे में या तो उनके साथ बैठकर उनकी पसंद की कोई फिल्म देख लें या फिर बाहर खाना खाने के लिए चले जाएं। कुछ न करने का मन हो, तो मोबाइल एक तरफ रख कर उनके साथ बातचीत करें। यह भी अच्छा सुझाव है कि आप पेरेंट्स और पेट्स के साथ पार्क या फिर एक लंबी ड्राइव पर जाकर सुकून के पल बिता सकती हैं।
बीमारी के दौरान रखें खास ख्याल
अपने पेरेंट्स के जरूरी निजी सामानों से पेट्स से दूर रखें। खासकर जब पेट्स बीमार रहते हैं, तो उन्हें अपने बुजुर्ग माता-पिता से दूर रखना सही फैसला होता है। इससे किसी तरह रकी बीमारी फैलने का डर नहीं होता है। पेरेंट्स की खराब तबीयत के वक्त खान-पान का ध्यान रखना, वक्त-वक्त पर उनकी खैरियत पूछना न भूलें। कई दफा दवाई से ज्यादा ख्याल रखने की जादुई दवा ज्यादा काम आती है। अगर आपके पेट्स में किसी तरह का चिड़चिड़ापन या फिर आलस्य ज्यादा दिखाई दे,तो उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं, ताकि उनके अंदर आए बदलाव की वजह पता चल सके।
गौरतलब है कि पेट्स और पेरेंट्स को एक साथ संभालने से जुड़ी कई सारी अहम बातें और भी हैं, जो कि सिर्फ अनुभव से आती है। अगर कभी दोनों को संभालने में कोई गलती भी होती है, तो घबराएं नहीं, क्योंकि जिम्मेदारी अपने साथ उतार-चढ़ाव का तजुर्बा भी लेकर आती है।