कई बार दूसरों की नजर में परफेक्ट होने की चाहत में अपनी पहचान खोने में हम एक मिनट भी नहीं लगाते हैं, जबकि परफेक्शन की न तो कोई परिभाषा है और न ही किसी के परफेक्शन के दिए गए मापदंडों पर खुद को साबित करने की कोशिश करनी भी चाहिए, तो आइए जानें विस्तार से कि क्यों जरूरी नहीं है हर चीज में परफेक्ट होना।
परफेक्शन के मापदंड क्यों
कुछ दिन पहले एक दोस्त से मुलाकात हुई, वह इस बात से दुखी थी कि उसे लगता है कि क्योंकि उससे परफेक्ट रोटी नहीं बनती है, इसलिए वह अपने जीवन में परफेक्शन का पी भी नहीं सीख पाई है, देखने या सुनने में आपको यह बात लग सकती है, लेकिन हकीकत यही है कि ऐसी कई महिलाएं हैं, जो इन बातों को लेकर बेहद परेशान रहती हैं कि वह क्यों हर काम में परफेक्ट नहीं हैं, ताकि उन्हें दुनिया भर से तारीफें मिलीं, घर परिवार के चंद लोगों के तैयार किये गए परफेक्शन के मापदंडों पर खुद को खरी उतारने के लिए वह अपने अस्तित्व को भूल जाती हैं। और ऐसा सिर्फ घरेलू महिलाओं के साथ नहीं होता है, बल्कि ऐसी महिलाएं जो ऊंचे पदों पर हैं, वह भी कई बार खुद को परफेक्ट न होने की वजह से कोसती रहती हैं।
सबको खुश क्यों रखना है
साइकॉलिजिस्ट डॉ रीना का कहना है कि महिलाओं को इस बात को जेहन में रखना ही होगा कि हम एक साथ कई भूमिकाएं निभाते हैं, यह समझना महत्वपूर्ण है कि हम उन भूमिकाओं में कितनी मनोवैज्ञानिक ऊर्जा का निवेश करते हैं और ऐसे में हम सबकुछ में एकदम परफेक्शन की तलाश नहीं कर सकती हैं।
दरअसल, इस बात को भी समझना बेहद जरूरी है मानसिक स्वास्थ्य वास्तव में केवल मस्तिष्क से जुड़ा नहीं है। इसका जुड़ाव शरीर से भी होता है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य हमारे लिए एक ऐसी स्थिति है, जिससे हमारा मानसिक संतुलन भी खोता है और यह बेहद जरूरी है कि आप इस बात का ख्याल रखें कि जब आप परफेक्शन के मापदंडों पर खुद को साबित करने की कोशिश करती हैं, तो इससे आपके मस्तिष्क और शारीरिक दोनों ही ही स्थिति में परेशानी होती ही है। सबसे पहले आपको अपनी ख़ुशी के बारे में ही सोचना चाहिए और उसे ही तवज्जो देना चाहिए और अपनी जिंदगी के सारे फैसले और एक्शन उसके आधार पर ही लेना चाहिए।
खुद से खुद के लिए ईमानदार रहिए
लोग क्या कहेंगे वाली सोच के साथ कई महिलाएं, इस ग्लानि में भी अधिक रहती हैं कि अगर वह किसी के लिए सबकुछ परफेक्ट नहीं कर पाती हैं, तो इसमें के लिए वह खुद को कोसने लगती हैं, तो कई महिलाएं जो होती हैं, वह खुद को भूल जाती है, ताकि वे किसी को खुश कर सकें, ऐसे में वह खुद से भी ईमानदार नहीं रहती हैं और सामने वाले भी आपको फॉर ग्रांटेड यानी हल्के में लेने लगते हैं, इसलिए आप किसी के लिए खुद को मत बदलिए, आप जैसी हैं, खुद के लिए ईमानदार रहिए।
किसी और के जजमेंट से घबराएं नहीं
ऐसा एक्सपर्ट का मानना है कि महिलाएं इस बात को लेकर भी चिंतित रहती हैं और हमेशा परफेक्शन की तलाश करती हैं कि उन्हें कोई जज न करें, लेकिन जाहिर सी बात है कि यह संभव है ही नहीं। लोग आपके अधिक पतले, अधिक मोटे, अधिक लंबे, कम लंबे होने जैसी हर बात पर कमेंट करेंगे, साथ ही आप घर के जो भी काम करती हैं, उनमें भी कमियां निकालेंगे, लेकिन इन बातों से आपको खुद को इतना मजबूत बनाना चाहिए कि ये बातें आपके जेहन में नहीं रहें और न ही आपके विकास में वह बाधाएं बनें, बल्कि जो ये बातें करते हों, आपकी कमियां गिनाएं, उन्हें ऐसा जटाएं कि कैसे आप उनकी बातों का कोई भी बुरा नहीं मान रही हैं, यकीन मानिए आपको बहुत अच्छी फीलिंग आएगी। आपको हंसने नहीं आता है, बैठने नहीं आता है, आपको खाना बनाना नहीं आता है, आपको घर के किसी कामों में मन नहीं लगता है, ये सारी बातें आपको हमेशा सुनाई देती रहेंगी, इन बातों पर सिर खपाने की वजह अपनी ऊर्जा सकारात्मक लोगों के साथ गुजारें।
न घबराएं तुलना से, बल्कि मजे लें
कई बार आपको परफेक्ट नहीं दिखाने के लिए, आपके आस-पास के लोग आपको कई उदाहरण देते हैं, कई जीती-जगती तस्वीर भी पेश करते हैं कि देखो उसकी बहू, उसकी पत्नी, उसकी बेटी क्या कमाल कर रही है और हर तरह से परफेक्ट है। ऐसे में आपके दिमाग में उनको लेकर ईर्ष्या तो होगी ही, आपमें कॉम्पटीशन भी आएगी कि आपको उनकी तरह ही बनना है, लेकिन इस बात को लेकर आपको अधिक सोचने की जरूरत नहीं है, बल्कि आपको जो लोग भी उपाधि दें या उदाहरण दें, उन्हें व्यंग्यात्मक तरीके से ही अपनी सोच दर्शाने की कोशिश करें और उन्हें भी दर्शा दें कि आपको इन बातों से फर्क नहीं पड़ रहा है, एक समय के बाद आप खुद देखेंगी कि वे आपको आगे से टोकना छोड़ देंगे। साथ ही आप किसी से भी हेल्दी कॉम्पटीशन रखें, इसमें बुराई नहीं है, लेकिन कभी भी कॉम्पटीशन के चक्कर में अपनी जिंदगी का सुख-चैन खत्म मत कर लीजिए।