बचपन में दुर्गा पूजा का आहवाहन, महालया से ही शुरू हो जाया करता था, जब मां रेडियो पर महालया सुनने के लिए एक दिन पहले ही परिवार में सबको कह दिया करती थी, महालया की सुबह चार बजे पूरा परिवार उठ कर, रेडियो सुन रहा होता था। घर में हरश्रृंगार के पेड़ थे, जिसे मां का खास फूल माना जाता है, मां के साथ उसे चुनना, अगले दस दिनों के लिए एक मॉर्निंग रिचुअल होता था। फिर दूसरे दिन नवरात्र की शुरुआत के लिए कलश स्थापना की तैयारी, दुर्गा सप्तशती का पाठ और फिर सुबह-शाम आरती। चाहे जो जाये, पूरा परिवार साथ होता था और साथ मिल कर केवल मेले नहीं, देवी मां की पूजा की जाती थी। लेकिन जैसे-जैसे जब अपने बचपन के शहर से दूसरे शहर गयी, धीरे-धीरे ये बचपन की बातें यादों का गुल्लक बन कर कहीं घूम होती जाती है। फिर दूसरे शहरों में पर्व केवल एक औपचारिकता बन कर रह जाती है। ऐसे में उन पुरानी यादों को दोबारा जीने के लिए, हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि हम पर्व त्योहार में, खासतौर से दुर्गा पूजा में अपने परिवार वालों के पास जरूर जाएं, क्योंकि कुछ चंद दिन जब परिवार के साथ बीता कर आप पूरे साल के लिए अपनी ऊर्जा को बरकरार रख सकती हैं। आइए जानें विस्तार से।
बढ़ती है पारिवारिक बॉन्डिंग
पर्व में जब आप अपने परिवार में लौट कर आते हैं, ऐसे में आपस में बॉन्डिंग बढ़ती है। अपनी व्यस्त जिंदगी में कई बार आपको अपनों से फोन पर बातचीत करने या फेस टाइम करने का भी समय नहीं मिलता है। तब पर्व-त्यौहार ही वह मौका होता है, जब एक बार फिर से आप अपने परिवार वालों के साथ बॉन्डिंग बढ़ा पाएं, तो भले ही साल भर आप एक-दूसरे से न मिल पाएं, लेकिन आपको अपने भाई-बहनों से मिल कर, इस बात की प्लानिंग करनी चाहिए, ताकि साल में एक बार अपनी सारी व्यस्तताओं से दूर हम अपनों के साथ भी सुकून से कुछ पल गुजर सकें।
बचपन के पल फिर से जीते हैं हम
पर्व त्योहारों में कई बार जब एक बार फिर से पूरे परिवार के साथ आप मिलती हैं, तो आपकी बचपन की यादें, जिन्हें आपको काम की भागदौड़ के दौरान याद करने का समय नहीं होता है। ऐसे में एक बार से अपनी बचपन की यादें इकट्ठे करके उनको जीने की कोशिश कर सकते हैं, बचपन के खेल-खिलौने और वे पुरानी बातों और किस्सों को भी याद करने का यह खास मौका होता है।
दोस्ती-यारी
पर्व के दौरान आप अपने कई दोस्तों से, जिनके साथ बचपन के हसीन पल बीते हैं, एक बार फिर से उनसे मिल पाते हैं। उनके साथ मेला घूमना, अड्डेबाजी करना और साथ ही शायद उन बातों और अपने उन हुनर की भी यादें ताजा करना, जो अब धीरे-धीरे काम की थकान और तनाव की वजह से कहीं खो चुके हैं, कई बार बाहर जाने के बाद, आपकी कई अच्छी आदतें भी बदल जाती हैं, दोस्त आपको उनकी याद दिलाते हैं और आप यकीन मानिए एक बार फिर से आपको आपकी ही अच्छी आदतों का ज्ञान होगा और एक बार शायद फिर से आप उसे अपनी जीवनशैली में शामिल करने की कोशिश करने लगें।
सुबह का मी टाइम
बड़े शहरों में अमूमन आपको अपने लिए सुबह का मी टाइम नहीं मिलता है, क्योंकि आपको अपने ऑफिस पहुंचने की हड़बड़ी रहती है। ऐसे में जब आप घर जाती हैं, तो अमूमन छोटे शहरों में आज भी लोग जल्दी उठ जाते हैं और जल्दी सो जाते हैं, ऐसे में आपको उनके साथ बैठ कर, चाय पीने, गप्पे लड़ाने और अखबार पढ़ने का मौका मिलता है।
अपनी पारिवारिक और पारंपरिक रीति-रिवाजों को जानने के लिए
पारिवारिक रीति-रिवाजों को जानने के लिए भी अपने पूर्वजों के साथ बैठना जरूरी होता है,ऐसी कई कहानियां होती हैं, जो आपके अपने परिवार वालों की होती हैं, जो शायद आपको पता नहीं होती हैं, तो जब सभी साथ आते हैं, तो मिल कर उनके बारे में बात करते हैं, हो सकता है कि आपके परिवार में कोई ऐसी शख्सियत रही है, जिसकी कुछ वीरता वाली या कुछ गर्व का एहसास कराने वाली कहानियां हों, ऐसे में बड़े-बुजुर्गो को उसे आप तक पहुंचाने का भी मौका मिलता है।
हम साथ-साथ हैं
कई बार ऐसा होता है कि जब आप साथ होते हैं, तो घर के बाकी काम काफी आसानी से हो जाते हैं, ऐसे में किसी एक इंसान पर इसका प्रेशर नहीं आता है और इससे आपमें भी यह समझ बढ़ती है कि किस तरह से लोगों के साथ मिल-जुल कर टीम स्पिरिट को बरकरार रखा जाता है। साथ ही आपको नए तरह के डिश बनाने के भी आइडिया मिलते हैं। साथ ही यह भी हो सकता है कि आपके पेरेंट्स से जुड़ीं ऐसी परेशानियां, जो वह आपसे शेयर नहीं करते हैं, उनके बारे में भी आपको उनके इत्मीनान से बैठ कर बात करने पर समझ आये। साथ ही आपके अपने बच्चे, अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से जुड़ पाएं और उनका सम्मान कर पाएं, इन सारी बातों के लिए यह बेहद जरूरी है। साथ ही उन्हें भी घुलने-मिलने का मौका मिलता है।
सोशल मीडिया से दूर जहां और भी है
अमूमन जब आप अपने परिवार के साथ होते हैं, तब आपको इस बात की जरूरत नहीं होती है कि आप अपना समय सोशल मीडिया पर बिताएं, क्योंकि सोशल मीडिया पर जाने के लिए आपके पास समय नहीं होता है। साथ ही यह भी जरूरी है कि आपको भले ही सबकुछ सोशल मीडिया पर शेयर करने की आदत है, तो जब आप परिवार के साथ रहें, तो कोशिश करें कि मेमोरी बनाएं, न कि हमेशा सोशल मीडिया अपडेट्स की तरफ भागें। अगर आपको यह करना भी है तो तस्वीरें लेकर रखें और बाद में उसे जब आप अपने शहर लौट जाएं तो इसे पोस्ट करें।
अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए भी जरूरी
हमें इस बात का इल्म नहीं होता है कि तनाव और बड़े शहर की भागदौड़ में हम अपनी मेंटल हेल्थ कई बार बिगाड़ लेते हैं, ऐसे में जरूरी है कि मेंटल हेल्थ को भी तनाव से कुछ दिन दूर रखा जाए, आप खुद नया और फ्रेश महसूस करेंगे और देखेंगे कि आपके चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहेंगी, क्योंकि खाने-पीने से लेकर, नए कपड़े, लोगों से मिलना, घूमना-फिरना सभी आपको फ्रेशनेस देता है।