कहते हैं हम अपना परिवार नहीं चुन सकते, लेकिन दोस्त चुनते वक्त यह सुविधा हमें मिलती है। यही वजह है कि कई बार हम अपने चुने दोस्तों को अपना परिवार बना लेते हैं। आइए जानते हैं क्या करें जब आपकी बेस्टी, आपका परिवार बन जाए।
आइना होते हैं दोस्त
आम तौर पर दोस्ती साझेदारी के साथ, एक-दूसरे के प्रति विश्वास और स्नेह का रिश्ता है। ऐसी कई बातें हैं, जो आप अपने परिवार से साझा नहीं कर सकते, लेकिन अपने दोस्तों से करते हैं। उनसे अपने दिल की बात कहकर आप निश्चिंत हो जाते हैं कि अब सब ठीक है। सिर्फ यही नहीं किसी तरह का भी गुस्सा हो, तो उन्हीं पर उतारकर शांत हो जाते हैं। और अच्छे दोस्त खामोशी से उसे सुन भी लेते हैं। वे बहुत कम समय में आपको इतना जान लेते हैं, जितना कई बार आप खुद को भी नहीं जान पाते। एक अच्छा दोस्त वह होता है, जो यदि आपके अच्छे कामों के लिए आपकी सराहना करता है, तो आपकी कमियों, आपकी गलतियों के लिए आपको लताड़ता भी है। ऐसे में आपकी जिंदगी के हर पहलू से जुड़ी आपकी वह खास दोस्त, आपकी बेस्टी आपका परिवार बन जाती है।
अपनी दोस्ती को ग्रांटेड न लें
आम तौर पर देखा गया है, जो चीजें आसानी से हमें मिल जाती है हम उनको ग्रांटेड लेने लगते हैं, विशेष रूप से परिवार और दोस्त। इनमें भी दोस्तों को कई बार हम जरूरत से ज्यादा ग्रांटेड लेने लगते हैं। हम यह मान चुके होते हैं कि ये तो हैं ही, ये कहां जाएंगे। यही वजह है कि कई बार अनजाने में हम उन्हें कुछ ऐसा कह जाते हैं, जो हमें नहीं कहना चाहिए था। उस पर भी तुर्रा ये देते हैं कि मैं तो मजाक कर रही थी या कर रहा था या तुम्हें समझना चाहिए था वगैरह-वगैरह।
उनका या उनसे जुड़े लोगों का न उड़ाए मजाक
दोस्ती-यारी में हंसी-मजाक कोई नई बात नहीं है। एक मजबूत दोस्ती की यह पहचान है, लेकिन जरूरी है कि अगर आपने अपने बेस्ट फ्रेंड या अपनी बेस्टी को अपने परिवार का सदस्य मान लिया है, तो किसी भी सूरत में, किसी के भी सामने उनका मजाक न बनाए और न दूसरों को बनाने दें। सिर्फ यही नहीं, आपको चाहिए कि अपनी बेस्टी के परिवार और उससे जुड़े लोगों को भी उतना ही सम्मान दें, जितना कि आप अपने लोगों के लिए उनसे अपेक्षा करती हैं। विशेष रूप से अगर आपकी बेस्टी, अपने होनेवाले पार्टनर से आपको मिलवाती है, तो गलती से भी उसके सामने उसकी कमियां निकालते हुए, उसकी बुराई न करें और न मजाक उड़ाएं। अगर आपको उनकी कोई बात अच्छी नहीं लगी हो, तो उसे इस तरह कहें कि आप अपनी बात भी कह दें और उन्हें बुरा भी न लगे।
गॉसिप करते वक्त गोपनीयता का पूरा ध्यान रखें
बेस्टी के साथ आप चटपटे गॉसिप का मजा न लें, ऐसा हो नहीं सकता। आम तौर पर हम भले ही 5 मिनट के लिए अपने बेस्ट फ्रेंड से मिले, लेकिन इस 5 मिनट में भी हम उनसे मन भरकर बात कर लेना चाहते हैं। ऐसे में कई बार हम जाने-अनजाने में उनसे अपने परिवार की या लोगों की वे बातें भी शेयर कर देते हैं, जो किसी ने हमसे गोपनीयता के आधार पर साझा की थी। सिर्फ अपना गुबार निकालने के लिए या 5 मिनट के निर्मल आनंद के लिए हम वो कर बैठते हैं, जो नैतिकता के आधार पर बिल्कुल सही नहीं है।
दोस्ती में जलन की भावना को स्थान न दें
दो लोगों के बीच जब तीसरा आ जाता है, तो न चाहते हुए भी जलन की भावना आ ही जाती है। वह चाहे भविष्य का सपना देख रहे लाइफ पार्टनर हों या अच्छे दोस्त। अगर आपके साथ भी ऐसी समस्या आती है, तो उस पर झल्लाने, चिल्लाने या नाराज होकर सीधे अपनी दोस्ती तोड़ने की बजाय, अपनी बेस्टी से खुलकर बात करें। उसकी भावनाओं का ख्याल रखते हुए ही कोई निर्णय लें। उसे भी अपनी इच्छानुसार, अपने दोस्तों को चुनने का अधिकार दें, बजाय इसके कि आप उस पर अपना एकाधिकार जमाए रखें।
न मेंटल बनें, न जजमेंटल बनें
अक्सर कुछ बातें हमारे हाथ में नहीं होती हैं। ऐसे में कई बार हम इतना चिढ़ जाते हैं कि गुस्से में अपना आपा खो बैठते हैं और कुछ ऐसा कर गुजरते हैं, जिसका मलाल हमें जिंदगी भर होता है। ऐसे में खुद पर नियंत्रण रखते हुए ठंडे दिमाग से स्थितियों का आकलन करें। हो सकता है समय के साथ चीजें बेहतर हो जाएं। ध्यान रखिए, जज्बात एक दिन में नहीं मरते, जब तक कि उन्हें बुरी तरह मारा न जाए।
अपने परिवार में न करे बेस्टी की बुराई
हो सकता है आपकी बेस्टी से आपकी कहासुनी हो गई हो, लेकिन जब वो आपके परिवार का एक हिस्सा बन चुकी है, तो इसका जिक्र गलती से भी अपने परिवार या परिवार के किसी सदस्य से न करें। विशेष रूप से अपने परिवार के सदस्यों से उसकी बुराई तो बिल्कुल न करें, क्योंकि हो सकता है, वक्त के साथ आपकी बेस्टी से आपका मनमुटाव खत्म हो जाए, लेकिन अपने परिवार के दिल में, उसके प्रति आई गलतफहमी को आप चाहकर भी खत्म नहीं कर पाएंगी।