"दोस्ती की है तो निभानी तो पड़ेगी" फ़िल्म मैंने प्यार किया का कितना प्यारा डायलॉग था न! दरअसल, दोस्ती ही दुनिया का एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें कोई शर्तें नहीं होतीं, कोई दिखावा नहीं होता. आपके दुखी होते ही, आपके बिना कहे, कोई फ़ौरन कॉल करे और कहे, दरवाज़ा खोल, मैं बाहर हूं. आपकी नज़र जब घड़ी पर जाती है और आप देखते हैं कि रात के 12 बज रहे हैं. आप हैरान होते हैं. लेकिन दरवाज़ा खोलते ही सामने अपने दोस्त को देख कर, आप अपना दर्द भूल जाते हैं. और जब दोस्त आपसे ये कहे कि अरे बस तेरी यही स्माइल देखने इतनी दूर से आई हूं. वैसे सुन न, टैक्सी के भाड़े के लिए पैसे नहीं है, चल चेंज निकाल. और बस फिर आप दोनों की हंसी ठिठोली निकल पड़ती है. फिर पूरी रात बस गॉसिप का सेशन चलता है. आपका दर्द क्या था, वह तो आप भूल चुकी होती हैं अब तक. फ्रेंडशिप एक ऐसी मेडिटेशन और थेरेपी है, जिसका आपकी ज़िंदगी में होना, ज़िंदगी को ख़ुशनुमा बना देता है. लेकिन फ्रेंडशिप यानी दोस्ती के रिश्ते में भी चैलेंज या चुनौतियां कम नहीं हैं. आप जैसे-जैसे अपनी उम्र के बसंत को पार करती जाती हैं, आपको नए लोग, नए दोस्त मिलते जाते हैं. ऐसे में कई बार ऐसा होता है, वे दोस्त या सहेलियां, जिनके साथ आपका अनमोल बचपन बीता है, वे दोस्त कहीं पीछे छूटती जाती हैं और नए दोस्त की जगह वहां बन जाती है. अब दोस्ती है तो ज़ाहिर है कि थोड़ी क्रेज़ीनेस रहेगी ही. भले ही प्यार वाली ही क्यों न हो. बचपन की दुनिया और आपकी युवावस्था की दुनिया में काफ़ी फ़ासला होता है, ऐसे में आपकी प्राथमिकताएं और पसंद-नापसंद बहुत कुछ बदल जाता है. लेकिन क्या हो, जब आपके बचपन की सबसे क़रीबी मित्र और आपके युवावस्था के बेस्ट फ्रेंड का आमना-सामना हो? ज़ाहिर है, दोनों एक दूसरे को लेकर थोड़े इनसिक्योर हो सकती हैं. लेकिन यह आपके ऊपर है कि आप कैसे दोनों को कम्फ़र्टेबल रखें और दोनों को अहमियत दें. आइए, आपको कुछ तरीक़े बताते हैं, जिनसे आप अपने दोनों ही दोस्तों का ख़्याल भी रख सकती हैं और दिल भी जीत सकती हैं.
न करें एक दूसरे के सामने टांग खिंचाई
कई बार ऐसा होता है कि बचपन के दोस्तों की कुछ कमज़ोरियां होती हैं, जिसका बचपन में आप ख़ूब मज़ाक उड़ाया करती होंगी और आपकी बचपन की दोस्त को उस वक़्त फ़र्क़ नहीं पड़ता होगा. लेकिन अब उम्र के साथ, इमोशन भी बदलते हैं. हो सकता है कि आपकी दोस्त अब ज़्यादा भावुक हो चुकी हो. इसलिए कभी भी अपने वर्तमान दोस्त के सामने, उस बात का मज़ाक न बनाएं. साथ ही, अभी वाले दोस्त की भी बचपन के दोस्त के सामने टांग खिंचाई न करें, बल्कि बेहतर यह होगा कि दोनों के सामने एक दूसरे की तारीफ़ करें और एक दूसरे की ख़ूबियों से दोनों को अवगत कराएं.
न लें किसी को भी फ़ाॅर ग्रांटेड
फ़र्ज़ कीजिए कि आपकी बचपन की कोई सहेली आपके घर पर आई है और उसने कमरे में केवल आपके अभी वाली सहेली की ही तस्वीरें देखी हैं. तो ज़ाहिर है, उसे इस बात से तकलीफ़ हो सकती है. यह भी मुमकिन है कि आपको बचपन की सहेली ने कुछ गिफ़्ट दिया हो और आप उसे लेकर बहुत ही केयरलेस हों. अचानक घर पर आने पर उसे वे चीजें कहीं दूर कोने में पड़ी नज़र आ जाएं तो उसका दिल टूटेगा इसलिए बेहतर है कि जब आपकी बचपन की दोस्त आ रही हों तो अभी वाली सहेली की तस्वीर के साथ, कुछ तस्वीर बचपन वाली भी लगा दें. अब मान लीजिए कि आपको हमेशा अपनी रूममेट, जो कि अभी आपकी बेस्ट फ्रेंड भी है, उसके साथ रात का खाना शेयर करने और साथ खाने की आदत है. अब बचपन की दोस्त की आने की ओवर एक्साइटमेंट में, आप अपनी रूममेट से खाना खाने के लिए पूछना ही भूल जाएं. ऐसे में उसे बुरा लगना लाज़िमी है. याद रखें, दोस्त बहुत ख़ुशनसीब लोगों को मिलते हैं. इसलिए हर दोस्त को संभाल कर रखना भी आपकी ही ज़िम्मेदारी है. एक दूसरे की वजह से किसी एक दोस्त को या एक दूसरे को भी फ़ाॅर ग्रांटेड न लें.
दोनों को एक दूसरे के साथ कम्फ़र्टेबल करें
बचपन की और अभी वाली दोस्त हो सकता है कि शुरू-शुरू में एक दूसरे के साथ कम्फ़र्टेबल न हों, लेकिन यह आप पर भी निर्भर करता है कि कैसे दोनों एक दूसरे के साथ घुलने-मिलने दें. दोनों के साथ शॉपिंग पर जाएं, मूवी देखने जाएं. रात को गप्पें करते हुए, एक दूसरे के स्ट्रॉन्ग पॉइंट्स पर बातें करें, एक दूसरे के कॉन्फ़िडेंस को बूस्ट करें. दोनों के बीच बैलेंस करना बेहद ज़रूरी है, तभी दोनों से आपके रिश्ते ख़ास बने रहेंगे.
सीक्रेट न करें शेयर
यह दोस्ती एकमात्र और अहम् रूल है कि आपके दोस्त ने आपसे अगर कोई एक ऐसा सीक्रेट शेयर किया है, जो उसने कहा है कि किसी को नहीं शेयर करना है तो यह आपकी बड़ी ज़िम्मेदारी है कि आप उसे शेयर न करें. वह सीक्रेट आपकी दोस्त की लव लाइफ़, फ़ैमिली लाइफ़, ख़ुद की पर्सनैलिटी से जुड़ा हो सकता है या फिर कोई हादसा या वाक़या हो सकता है, जिसके बारे में उसने अपनी ज़िंदगी में सिर्फ़ आपसे शेयर किया है. भूल के भी उन बातों को अपनी वर्तमान वाली सहेली या बचपन की सहेली से शेयर न करें. अगर आपने ऐसा किया तो बहुत मुमकिन है कि दोनों का जब आमना- सामना होगा और बातें सामने आएंगी तो दोनों का ही विश्वास आप पर से उठ जाएगा. इसलिए एक दूसरे के सीक्रेट्स न शेयर करें. याद रखें, दोस्ती की सबसे बड़ी नींव विश्वास पर ही टिकी होती है. साथ ही आपकी कोई बात, जो दोनों में से किसी एक को पता है तो यह बात भी दोनों को बुरी लग सकती है. इसलिए अगर दोस्त कहा है तो अपने सुख-दुःख तो अपनी दोनों दोस्तों से शेयर करें, लेकिन उनकी वे बातें, जो उन्होंने केवल आपको ही बताई हैं, अपने तक ही रखें.
दोनों को दिलाएं भरोसा कि उन्हें कोई नहीं कर सकता रिप्लेस
इनसिक्योरिटी की सबसे बड़ी वजह यही होती है, जब हमें लगने लगता है कि सामने वाला हमारी जगह ले लेगा. आपको इस बात की तसल्ली और विश्वास दोनों को ही दिलाना है कि दोनों ही आपकी ज़िंदगी के लिए अहम् है. और आप दोनों के बिना ही अधूरी हैं. दोनों एक दूसरे की जगह नहीं ले सकती हैं और दोनों एक दूसरे को रिप्लेस नहीं कर सकती हैं. आपको दोनों को ही यह एहसास, उनसे बातें करके, उन्हें वक़्त देकर, प्यार देकर और उनका सम्मान देकर ही करा सकती हैं. याद रखें, दोस्ती में बहुत अधिक औपचारिकता नहीं होती. लेकिन प्यार बरक़रार रखने के लिए, हर दिन उसमें नयापन लाने के लिए और उन्हें संजो कर रखने के लिए, अपनी तरफ़ से छोटी ही सही कोशिशें करती रहनी चाहिए, तभी आपके दोस्त भी आपकी अहमियत को समझेंगे.