जब हम एक साथ रहते हैं, तो फिर चाहे वह रिश्ता कैसा भी हो, किसी भी बात पर मतभेद और द्वन्द हो ही सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह रिश्ते का अंत नहीं होता है। आइए जानें विस्तार से।
अपनी बात को खुल कर रखें
कई बार हिचक के कारण भी द्वंद बढ़ता जाता है और फिर किसी एक दिन यह भयानक रूप लेता है, इसलिए जरूरी है कि आपका जो भी रिश्ता है, आप उनसे खुल कर बातचीत करें और अपनी बात रखें। किसी एक दिन सारी शिकायतों का घड़ा फोड़ने से बेहतर है, जो बात जब हो रही हो, उसी वक्त कह दी जाए, तो बेहतर होगा, नहीं तो एक दिन ज्यादा अधिक बात बढ़ेगी, तो परेशानी बढ़ जाएगी और तू तू मैं मैं भी, इसलिए यह गलती न करें और हर बार जब भी मौका मिले, खुल कर बात करें, इससे द्वन्द होने की गुंजाईश कम हो जाएगी।
कौन क्या सोचेगा से अधिक खुद को भी दें तवज्जो
कई बार जब आप परिवार के साथ चल रहे होते हैं या परिवार को लेकर चल रहे होते हैं, आपके दिमाग में ये बात अधिक घर कर जाती है कि आखिर कोई क्या सोचेगा, इस चक्कर में फिर आप गलती करेंगी और यह सोचेंगी कि मेरी इस बात से तो उसको बुरा लग सकता है, इसलिए चुप बैठा जाये और इस तरह से देखते-देखते आपके आगे की सोच को नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए यह कोशिश करें कि अपने आप को तवज्जो दें और कौन क्या सोचेगा नहीं और अपनी बात को खुल कर रख दें।
बात-बात पर दोषारोपण नहीं
एक बात जो हमेशा दो पार्टनर पर आती है कि हम जब इस बात को मान लेते हैं कि हममें तो कोई गलती नहीं है या हम तो कोई गलती कर ही नहीं सकते और इसके चक्कर में बार-बार जाकर आप अपने पार्टनर को बातें सुनाते हैं या उन पर दोषारोपण करते हैं, जो कि बिल्कुल सही नहीं है, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हर बार दोषारोपण न करें, बल्कि उनकी बात को भी पूरी तरह से समझने की कोशिश करें और अपनी गलती और कमी पर भी काम करें, एक हेल्दी रिश्ते के लिए दोषारोपण नहीं, बल्कि एक दूसरे की बात सुन कर और समझ कर ही द्वंद जैसी परेशानी को होने से रोका जा सकता है।
एक समय पर एक ही बात
यह भी हमारी बात होती है कि हम जब किसी लड़ाई या किसी तरह के वाद-विवाद या बहस में फंसने लगते हैं, तो वे बातें, जो कई साल पहले भी हुई थीं, उन बातों को भी कई बार एक साथ सुनाने लग जाते हैं। फिर होता यह है कि कभी-कभी एक ही विषय पर शुरू होने वाली बहस, एक विषय पर नहीं बल्कि इधर-उधर भटक जाती है। जाहिर है कि ऐसे फिर बहस जरूरत से ज्यादा होने लगती है और यह आपके रिश्ते बिगाड़ने की गाडी को एक तरह से चाबी देने जैसा है, तो कभी भी दो बातों को न मिलाएं, जिस बात के लिए तर्क शुरू हुआ है, उसी बात पर रहने दें। अगर आप एक बात से दूसरी बात पर जाएंगी, तो समस्या जहां से शुरू हुई थी और जहां समस्या को खत्म करने की बात है, वह और बढ़ जाएगी और कहीं न कहीं आपको परेशानी होगी ही। इसलिए जरूरी है कि आप उस मुद्दे पर रहें और चीजों को सुलझाने की कोशिश करें, न कि भटक कर एक बात से दूसरी बात पर जाने की कोशिश करें।
छोटी बातों का बतंगड़
कई बार हम ऐसी बात पर ध्यान नहीं देते, जो जरूरी है, लेकिन कई बार छोटी बातों का भी पूरा बतंगड़ बना कर रखते हैं और यही वजह है कि मुख्य मुद्दे से कई बार भटक जाते हैं और छोटी बातों का बतंगड़ बना कर रखते हैं, सो यह जरूरी है कि छोटी बातों को इग्नोर करना ही अच्छा है, तभी आप द्वन्द की स्थिति को पैदा होने से रोक पाएंगे और आगे अपने रिश्ते में सुधार लाने की कोशिश कर पाएंगे।
अच्छी बातों को भी तवज्जो दें
यह भी एक जरूरी बात है कि आपको अपने रिश्ते में कोई न कोई अच्छी बात ढूंढनी ही चाहिए, आपको यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि इस इंसान में तो सिर्फ कमियां ही कमियां होती हैं। उनकी अच्छी चीजों पर भी फोकस करने की कोशिश करें और कोशिश करें कि उनकी सकारात्मक बातें सामने आएं। इसलिए बेहद जरूरी है कि आप लोगों की अच्छाई को देखने की और परखने की कोशिश करें। किसी की अगर अच्छी नीयत है और वे आपके लिए कुछ भी अच्छी नीयत से कर रहे हैं तो इस सोच में न रहें कि इसके पीछे कोई तो कारण होगा, यह भी आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है और दो लोगों के बीच में द्वन्द होने की स्थिति को हवा दे सकता है।
धैर्य रखें, सम्म्मान करें
कई बार जब बातों का द्वन्द शुरू होता है और लड़ाई अपनी चरम सीमा को पार कर जाती है, हम अपना आप खो देते हैं और फिर नहीं देखते हैं, सामने कौन है, बस उसे खरी-खोटी सुनाने के साथ अपमान करना भी शुरू कर देते हैं, ऐसे में आपके लिए भी बेहद जरूरी है कि आप अपमान से खुद को बचाने की कोशिश करें और दूसरे का भी अपमान न करें। किसी पर भी व्यक्तिगत कटाक्ष करना या फिर आक्षेप या अपमान करना सही नहीं है। इसके अलावा, अगर आपकी जिससे भी बातचीत हो रही है, वह अपनी आवाज को काफी तेज कर दे रहा है या कर दे रही हैं और चिल्ला-चिल्लाहट हो रही है, तो आपको इन सारी बातों को इग्नोर कर देना चाहिए और किसी भी हाल में अपमानजनक शब्द या अपशब्दों का इस्तेमाल तो नहीं करना चाहिए। वरना, बाद में आपको इस बात से तकलीफ हो सकती है, इस बात के एहसास से बेहतर है, ऐसी स्थिति को पैदा ही नहीं होने दिया जाए। आप अपने साथ को कभी भी असहजता की स्थिति में न लाएं।
राज न खोलें
एक गलती जो दो रिश्तों के बीच द्वन्द होने पर हो जाने की सबसे अधिक गुंजाइश होती है कि हम लड़ाई-झगड़े होने पर अगर आपको किसी ने कोई राज बताया है तो उसको खोल देते हैं और इससे आप एक छोटा काम कर रहे हैं, किसी को भी किसी भी हाल में किसी और के सामने बेइज्जत करने की कोशिश न करें।
कभी-कभी मतभेद होने भी जरूरी
अब आप सोचेंगे कि हम यह कैसी बात कर रहे हैं कि द्वन्द होने से रोकने के लिए द्वन्द का होना या मतभेद होना जरूरी होता है। तो यह सच्चाई है, जी हां, यह बेहद जरूरी है कि कुछ बातों पर अगर आपके मतभेद हैं, तो उसे भी आप खुल कर जाहिर कर दें, क्योंकि मतभेद होने से चीजें स्पष्ट हो जाती हैं, किसी के अंदर किसी तरह की बात नहीं होती है और फिर रिश्ते और हेल्दी हो जाते हैं, इसलिए इस क्रिया को भी आपको कभी-कभी होने देने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।
समझें कि अब समय है निकल जाओ
और अब अंत में यह बेहद जरूरी है कि हम इस बात को समझ लें कि अगर कॉन्फ्लिक्ट है और उसके सुलझने की सारी परेशानी से दूर होने की ही कोशिश करनी चाहिए। वजह यह है कि एक समय के बाद आपको इस बात का एहसास ही नहीं होगा कि अब बातचीत करने से कोई मामला सुलझ नहीं रहा है, तो ऐसी स्थिति में उस रिश्ते से निकल जाना ही बेहतर है, वरना परेशानी आपकी सुलझने की जगह और उलझती ही जाएगी।